इस साल देश से फिर हो सकता है चावल का भरपूर एक्सपोर्ट, इतनी बढ़ी धान की बुवाई
बीते साल सरकार ने देश में चावल की कीमतें सस्ती बनी रहें, इसलिए उसके एक्सपोर्ट पर बैन लगा दिया था, क्योंकि इसका प्रोडक्शन कम हुआ था. सरकार के इस बैन का असर अमेरिका से लेकर खाड़ी देशों तक देखा गया था, क्योंकि भारत दुनिया के टॉप राइस एक्सपोर्टर में से एक है. हालांकि बाद में एक्सपोर्ट को लेकर सरकार ने थोड़ी राहत भी दी थी. लेकिन इस साल के अंत तक देश में आम आदमी की थाली में सस्ता चावल पहुंच सकता है, वहीं एक्सपोर्ट फिर से भरपूर होने से किसानों को भी फायदा मिल सकता है, क्योंकि देश में धान की बुवाई में बढ़ोतरी हुई है.
चालू 2024-25 खरीफ (ग्रीष्म) सत्र में अब तक धान खेती का रकबा 4.29 प्रतिशत बढ़कर तीन करोड़ 94.2 लाख हेक्टेयर हो गया है. कृषि मंत्रालय ने मंगलवार को यह जानकारी साझा की है. पिछले साल इसी अवधि में धान खेती का रकबा तीन करोड़ 78 लाख हेक्टेयर था. देश में धान की मुख्य खरीफ फसल की बुवाई जून में शुरू होती है. इसी समय देश में दक्षिण-पश्चिम मानसून पहुंचता है. इस फसल की कटाई अक्टूबर से होती है और साल के अंत तक नया चावल बाजार में आ जाता है. अक्टूबर में धान की कटाई होने के चलते ही दिवाली के पूजन में खील का इस्तेमाल होता है, जो धान को चटका कर बनाई जाती है.
दालों के सस्ते होने के भी आसार
कृषि मंत्रालय ने अपने बयान में कहा है कि चालू सत्र में 27 अगस्त तक दलहन की बुवाई का रकबा भी बढ़ा है. ये एक करोड़ 22.1 लाख हेक्टेयर हो गया है, जो पिछले साल इसी अवधि में एक करोड़ 15.5 लाख हेक्टेयर था. ‘अरहर’ का रकबा 40.7 लाख हेक्टेयर से बढ़कर 45.7 लाख हेक्टेयर हो गया और इसकी बुवाई का काम पूरा हो चुका है.
वहीं उड़द की बुवाई का रकबा 29 लाख हेक्टेयर है जबकि इससे पहले यह रकबा 30.8 लाख हेक्टेयर था. मोटे अनाज और श्रीअन्न (बाजरा) का रकबा एक साल पहले की समान अवधि के एक करोड़ 77.5 लाख हेक्टेयर से बढ़कर अब एक करोड़ 85.5 लाख हेक्टेयर हो गया. मोटे अनाजों में मक्का का रकबा पहले के 81.2 लाख हेक्टेयर से बढ़कर 87.2 लाख हेक्टेयर हो गया.
तेल भी होगा जल्दी सस्ता
लोगों के जीवन का अहम हिस्सा यानी खाने का तेल भी इस साल सस्ता हो सकता है, क्योंकि तिलहन की बुवाई मामूली ही सही लेकिन बढ़त दर्ज की गई है. तिलहन का रकबा इस खरीफ सत्र में एक करोड़ 88.3 लाख हेक्टेयर हो गया, जो एक साल पहले इसी अवधि में एक करोड़ 87.3 लाख हेक्टेयर था.