बांग्लादेश में हिंदुओं की सुरक्षा पर बंद है अमेरिका का मुंह, रहस्यमयी चुप्पी पर खड़े हो रहे सवाल

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडेन के बीच सोमवार देर रात को हुई टेलीफोन पर बातचीत में बांग्लादेश के हालात को लेकर विस्तार से चर्चा हुई थी. प्रधानमंत्री मोदी ने राष्ट्रपति बाइडेन से कहा था कि बांग्लादेश में अल्पसंख्यकों विशेषकर हिंदुओं की सुरक्षा को लेकर चिंताजनक हालत हैं. दोनों नेताओं की बातचीत पर व्हाइट हाउस की तरफ से जो बयान जारी किए गए उसमें बांग्लादेश को लेकर हुई बातचीत का मुद्दा गायब है.
अमेरिकी बयान में सिर्फ उनके मतलब की बातों का ही जिक्र है. प्रधानमंत्री मोदी के यूक्रेन दौरे को अमेरिकी स्टेटमेंट में बड़ी प्रमुखता से जगह दी गई, लेकिन बांग्लादेश के हिंदुओं को लेकर प्रधानमंत्री मोदी की चर्चा और भारत की चिंता का कोई जगह नहीं दी गई.
अमेरिका ने क्या जारी किया बयान?
व्हाइट हाउस की ओर से जारी बयान में कहा गया है कि राष्ट्रपति ने पोलैंड और यूक्रेन की ऐतिहासिक यात्राओं के लिए भारतीय प्रधानमंत्री की सराहना की. ये दशकों में किसी पहले भारतीय प्रधानमंत्री की यात्रा थी और यूक्रेन के ऊर्जा क्षेत्र सहित उसके लिए शांति और निरंतर मानवीय सहायता को लेकर संदेश के लिए भी सराहना की. यूक्रेन में चल रहे युद्ध के बारे में अपनी बातचीत के दौरान प्रधानमंत्री ने राष्ट्रपति बाइडेन को उस देश की अपनी हालिया यात्रा के बारे में बताया. उन्होंने भारत के अडिग रुख को दोहराया, जो इस मुद्दे को सुलझाने के लिए बातचीत और कूटनीतिक प्रयासों की वकालत करता है.
बयान में कहा गया, ‘यूक्रेन की स्थिति पर चर्चा करते हुए प्रधानमंत्री ने राष्ट्रपति बाइडेन को अपनी हालिया यूक्रेन यात्रा के बारे में जानकारी दी. उन्होंने बातचीत और कूटनीति के पक्ष में भारत की लगातार स्थिति को दोहराया और शांति और स्थिरता की शीघ्र वापसी के लिए पूर्ण समर्थन व्यक्त किया.’
पीएम मोदी ने कहा कि भारत शांति और स्थिरता लाने के लिए पूरा सहयोग करने को तैयार है. दोनों नेताओं के बीच बांग्लादेश के ताजा हालात को लेकर भी बात की. बांग्लादेश में शांति बहाली, अल्पसंख्यकों खासकर हिंदुओं की सुरक्षा सुनिश्चित करने पर दोनों नेताओं ने जोर दिया. पीएम मोदी और बाइडन ने क्वाड सहित बहुपक्षीय सहयोग को और मजबूत बनाने की प्रतिबद्धता दोहराई. उन्होंने कहा कि भारत-अमेरिका साझेदारी का उद्देश्य मानवता को लाभ पहुंचाना है.
बांग्लादेश पर अमेरिकी रुख को लेकर उठते कई सवाल
5 अगस्त को बांग्लादेश की पूर्व प्रधानमंत्री शेख हसीना को जिस तरह ढाका से भागना पड़ा तब से बांग्लादेश में हो रहे विरोध प्रदर्शन में अमेरिकी भूमिका पर दुनिया भर में चर्चा है. शेख हसीना की तरफ से भी यह दावा किया गया है कि रणनीतिक रूप से महत्वपूर्ण बांग्लादेश के सैंट मार्टिन आइलैंड को अमेरिका को देने से मना करने की वजह से ही उनकी गद्दी गई है.
पिछले साल रूस ने बांग्लादेश में अमेरिकी हस्तक्षेप को लेकर तत्कालीन शेख हसीना सरकार को अलर्ट भी किया था. बांग्लादेश में सरकार परिवर्तन के बाद से अमेरिकी बयानों से भी इस संदेह को बल मिला है. 5 अगस्त और उसके बाद बांग्लादेश में जारी हिंसा और हिंदुओं पर अत्याचार को अमेरिका और पश्चिम जगह जानबूझकर अनदेखी कर रहा है.

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