हरियाणा में हुड्डा Vs सुरजेवाला-शैलजा… चुनाव से पहले कांग्रेस में छिड़ी CM पद की जंग

हरियाणा कांग्रेस में चुनाव से पहले ही सीएम पद की जंग छिड़ गई है. यहां सीएम पद के सबसे बड़े दावेदारों में शुमार भूपिंदर सिंह हुड्डा को सीधे तौर पर कुमारी शैलजा से चुनौती मिल रही है. रणदीप सुरजेवाला भी कतार में हैं. इधर हुड्डा गुट भी कम नहीं पड़ रहा. अब इस गुट की ओर से ऐसी मांग की गई है, जिस पर अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे और राहुल गांधी को फैसला लेना है.
हरियाणा में कांग्रेस की तरफ से सीएम पद के सबसे बड़ा दावेदार भूपिंदर सिंह हुड्डा को माना जा रहा था. तीन दिन पहले कुमारी शैलजा ने उन्हें चुनौती देकर ये साबित कर दिया कि हुड्डा की राह आसान नहीं रहने वाली. शैलजा के अलावा रणदीप सुरजेवाला ने भी विधानसभा चुनाव लड़ने की इच्छा जाहिर कर दी है. यही कांग्रेस की स्क्रीनिंग कमेटी के लिए मुसीबत बन गया है. दरअसल हुड्डा गुट के नेताओं ने मांग की है कि सांसदों को विधानसभा चुनाव में टिकट नहीं देना चाहिए. अब खरगे और राहुल गांधी को इस पर फैसला लेना है.
हुड्डा समर्थकों की ये है कोशिश
हरियाणा कांग्रेस में टिकट बंटवारे के लिए स्क्रीनिंग कमेटी के चैयरमैन अजय माकन ने अहम नेताओं से अलग अलग मुलाकात करनी शुरू कर दी है. सूत्रों की मानें तो हुड्डा गुट के नेताओं का कहना है कि, सांसदों को विधानसभा टिकट नहीं मिलना चाहिए। दरअसल, इसके जरिये वो शैलजा और सुरजेवाला के विधानसभा चुनाव लड़ने के मंसूबे पर पानी फेरना चाहते हैं. आखिर भूपिंदर हुड्डा विधायक होने के नाते चुनाव लड़ेंगे ही, साथ ही उनके बेटे दीपेंदर हुड्डा लोकसभा सांसद हैं, फिलहाल अजय माकन इस बावत आखिरी फैसला खरगे-राहुल से चर्चा करके लेंगे.
सुरजेवाला को टिकट देने के मूड में नहीं आलाकमान
सूत्रों का कहना है कि, रणदीप सुरजेवाला फिलहाल राज्यसभा सांसद और कर्नाटक के प्रभारी महासचिव भी हैं. ऐसे में आलाकमान उनको टिकट देने के मूड में नहीं है. दरअसल, राज्यसभा में कांग्रेस के 27 सांसद हैं, 25 से कम होने पर खरगे से नेता प्रतिपक्ष का दर्जा छिन जायेगा. वहीं कर्नाटक में ताजा सियासी घटनाक्रम के चलते भी सुरजेवाला को आलाकमान फ्री नहीं करना चाहता. हालांकि, इस सूरत में सुरजेवाला के बेटे आदित्य को टिकट मिल सकता है.
शैलजा के टिकट से तेज हो सकती है गुटबाजी
दूसरी तरफ कुमारी शैलजा को लेकर आलाकमान का मानना है कि, सीएम का फैसला चुनाव बाद होना है. ऐसे में लोकसभा सांसद शैलजा को टिकट देने से गुटबाज़ी तेज़ हो सकती है. वैसे भी पार्टी इस तर्क के साथ शैलजा को समझाने के मूड में है कि, हुड्डा जब पहली बार सीएम बने थे तो लोकसभा सांसद थे न कि, विधायक. फिलहाल अजय माकन ने इस मसले पर सबकी दलीलें सुन ली हैं और आलाकमान से चर्चा करके वो नेताओं को अपना फैसला सुना देंगे.

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