अंटार्कटिक संधि क्या है जिसकी मेजबानी कर रहा है भारत? किन एजेंडों पर होगी चर्चा

पृथ्वी का सबसे सुदूर इलाका अंटार्कटिका किसी रहस्यमयी दुनिया से कम नहीं. यह महाद्वीप अपने भीतर ऐसे अनगिनत रहस्यों को समेटे हुए है जिसे लेकर रिसर्च में कई वैज्ञानिक जुटे हैं. अगर यह महाद्वीप न होता तो धरती पर जीवन मुमकिन नहीं होता. गर्मी इतनी पड़ती कि न तो पेड़ पौधे होते नहीं कोई जीव जंतु. इसलिए बार बार जोर दिया जाता है इसका सेफ रहना जरूरी है. लेकिन जलवायु में हो रहे बदलाव और यहां घूमने आने वाले लोगों की वजह से इस पर खतरा मंडरा रहा है.
इसी खतरे को देखते हुए कुल 60 से ज्यादा देशों के प्रतिनिधि केरल के कोच्चि में इकट्ठा हुए हैं. अंटार्कटिक संधि परामर्श/ ATCM की 46वीं बैठक के लिए. इस बैठक की मेजबानी भारत कर रहा है, जो 20 मई को शुरू हुआ है और 30 मई तक कोच्चि में चलेगा. अंटार्कटिक संधि की बैठक का मकसद अंटार्कटिका में कानून व्यवस्था, विज्ञान, पर्यटन और दक्षिण महाद्वीप के दूसरे पहलुओं पर बातचीत करना है. पहली बार इस बैठक में अंटार्कटिका में बढ़ रहे पर्यटन पर चर्चा की जाएगी.
क्या है अंटार्कटिक संधि, कब लागू हुई?
अंटार्कटिक संधि पर सबसे पहले 12 देशों -अर्जेंटिना, ऑस्ट्रेलिया, बेल्जियम, चिली, फ्रांस, जापान, न्यूजीलैंड, नॉर्वे, दक्षिण अफ्रीका, यूएसएसआर, यूनाइटेड किंगडम और अमेरिका ने 1 दिसंबर 1959 को हस्ताक्षर किए थे. संधि 1961 में लागू हुई थी. लागू होने के बाद से लेकर अभी तक इसमें कुल 56 देश शामिल हुए हैं. भारत साल 1983 में इसका सदस्य बना था.
भारत के नेशनल सेंटर फॉर पोलर एंड ओसियिन रिसर्च गोवा ने इस साल मिनिस्ट्री ऑफ अर्थ साइंस के साथ मिलकर इस संसद का आयोजन किया है जिसमें अंटार्कटिक संधि से जुड़े 50 से ज्यादा सदस्य देश हिस्सा ले रहे हैं. भारत ने इससे पहले आखिरी बार 2007 में नई दिल्ली में एटीसीएम की मेजबानी की थी.
भारत नए रिसर्च स्टेशन पर चर्चा करेगा
बैठक में भारत अंटार्कटिका में नए रिसर्च स्टेशन बनाने पर चर्चा करेगा. बैठक में लगभग 350 से अधिक शोधकर्ताओं और अधिकारियों के भाग लेने की उम्मीद है.
1989 में भारत ने अपना दूसरा अंटार्कटिक रिसर्च स्टेशन स्थापित किया था जिसका नाम मैत्री था. ये रिसर्च सेंटर अभी भी चालू है. नेशनल सेंटर फॉर पोलर एंड ओशन रिसर्च के मुताबिक मैत्री में गर्मियों में 65 और सर्दियों में 25 लोग रह सकते हैं.
पहला स्टेशन भारत ने 1983 में चालू किया था जिसका नाम दक्षिण गंगोत्री है. ये स्टेशन 1990 तक संचालित हुआ. साल 2012 में जो तीसरा रिसर्च स्टेशन खुला उसका नाम भारती था.
किन एजेंडो पर होगी चर्चा होगी?
कुल मिलाकर, बैठक का सबसे महत्वपूर्ण एजेंडा जलवायु परिवर्तन के प्रभावों पर नज़र रखना, पिछले जलवायु आकलन और जलवायु प्रभावों की बेहतर निगरानी करना है.
बैठक में अंटार्कटिका में पर्यटन को विनियमित करने पर पहली बार चर्चा भी होगी. पिछले कुछ वर्षों में अंटार्कटिका आने वाले पर्यटकों की संख्या में बढोतरी देखी गई है. जिससे यह महत्वपूर्ण हो गया है कि इस क्षेत्र को टिकाऊ बनाए रखने और खोज सुनिश्चित करने के लिए ठोस नियम बनाए जाएं.
तस्मानिया, यूनाइटेड किंगडम और ऑस्ट्रेलिया के विश्वविद्यालयों की तरफ से हाल ही में किए गए एक संयुक्त अध्ययन में बताया गया है कि यहां आने वाले पर्यटकों की संख्या 1993 में 8,000 से बढ़कर 2022 में 1,05,000 हो गई है. रिपोर्टें बताती हैं कि पर्यटकों की संख्या वैज्ञानिकों से ज्यादा है.
इन बैठकों में उपस्थित लोगों की यह चिंता रही है कि ज्यादा जहाजों और ज्यादा लोगों का मतलब ज्यादा मानव निर्मित प्रदूषण और आपदाओं की बढ़ती घटनाएं हैं जो इस इलाके की अनूठी जैव विविधता को अस्त-व्यस्त कर रहीं हैं.
एक अन्य मुद्दा जिस पर चर्चा होने की संभावना है, वह है कनाडा और बेलारूस को परामर्श दर्जा देना, जिसके बाद उन्हें संधि में मतदान का अधिकार मिल जाएगा.

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