‘अगर ट्रंप जीत गए तो…’, मतदान से ठीक पहले ईरान के राष्ट्रपति उम्मीदवारों ने बताया अपना-अपना एजेंडा

28 जून को ईरान में राष्ट्रपति पद के लिए चुनाव होने हैं. इब्राहिम रईसी की जगह लेने के लिए राष्ट्रपति उम्मीदवारों के बीच पहली प्रेसिडेंशियल लाइव डिबेट का आयोजन किया गया. उम्मीदवारों ने ईरान की अर्थव्यवस्था को बेहतर करने और विदेश नीति में सुधार करने के लिए अपने प्रस्तावों और योजनाओं पर चर्चा की है. सभी ने वादा किया कि वे प्रतिबंधों को हटाने और रिश्तों में सुधार लाने की कोशिश करेंगे. उम्मीदवारों ने इंफ्लेशन, बजट घाटे, ईरान में घरों की समस्या और भ्रष्टाचार से लड़ने के तरीकों पर भी चर्चा की.
28 जून का चुनाव ऐसे समय में हो रहा है जब ईरान और पश्चिम के बीच तेहरान के तेजी से बढ़ते परमाणु कार्यक्रम, यूक्रेन के खिलाफ युद्ध में रूस को हथियार देने और क्षेत्र में मौजूद प्रॉक्सी की मदद करने आदि पर विवाद बढ़ा है. राष्ट्रपति उम्मीदवारों में से पांच उम्मीदवार कट्टरपंथी हैं, जबकि छठे उम्मीदवार, 69 साला सांसद मसूद पेजेशकियन एक हार्ट सर्जन हैं और मसूद को कुछ सुधारवादियों का समर्थन भी प्राप्त है.
विश्व शक्तियों से करेंगे परमाणु समझौता
राष्ट्रपति पद के हार्डलाइनर (कट्टरपंथी) उम्मीदवार मोहम्मद बाघेर कलीबाफ ने कहा, “परमाणु करार के लिए हम निश्चित रूप से बातचीत करेंगे और विश्व शक्तियों के साथ परमाणु समझौते फिर से जिंदा करेंगे, जिसे राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प ने 2018 में तोड़ दिया था.” वहीं दूसरे कट्टरपंथी दावेदार और पूर्व परमाणु वार्ताकार सईद जलीली ने कहा, “हमें ईरान पर प्रतिबंध लगाने के लिए दुश्मनों को पछतावा कराना चाहिए.” उन्होंने प्रतिबंधों को कम करने के लिए लैटिन अमेरिका और अफ्रीकी राष्ट्र के साथ बेहतर आर्थिक संबंध बनाने का प्रस्ताव रखा.
सॉफ्टलाइनर उम्मीदवार और सांसद मसूद पेजेशकियन ने कहा, “हमें दुनिया के साथ अपनी समस्याओं को हल करना होगा, हमें परमाणु प्रोग्राम के लिए समझौता करना हेगा.” उन्होंने इजराइल पर निशाना साधते हुए, नाम लिए बिना कहा कि अगर वे राष्ट्रपति बने तो कब्जे और नरसंहार को बर्दाश्त नहीं करेंगे.
डोनाल्ड ट्रंप के साथ करेंगे बातचीत
ईरान के उपराष्ट्रपति और राष्ट्रपति उम्मीदवार अमीर होसैन काजीज़ादेह हाशमी ने कहा कि अगर ट्रम्प अमेरिकी राष्ट्रपति बनते हैं तो हम ट्रम्प के साथ बातचीत कर सकते हैं और अपनी मांगें मनवा सकते हैं. होसैन ने ईरान के प्रतिबंधों और विदेशी संबंधों में परेशानी के लिए पूर्व राष्ट्रपति हसन रूहानी की सरकार को जिम्मेदार ठहराया. बता दें कि हसन रूहानी ने ही 2015 में विश्व शक्तियों के साथ परमाणु समझौता किया था.
सभी उम्मीदवारों ने ईरान के पड़ोसियों के साथ बेहतर रिश्ते, मजबूत अर्थ व्यवस्था, परमाणु प्रोग्राम आदि पर बात करने के साथ साथ जनता से चुनाव में हिस्सा लेने की अपील की है.

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