अजीत पवार की घर वापसी पर शरद पवार ने दिया संकेत, क्या फिर एक होंगे चाचा-भतीजे?

महाराष्ट्र में विधानसभा चुनाव को लेकर सियासी हलचल तेज हो गई है. लोकसभा चुनाव के नतीजे से सूबे की स्थिति बदली गई है और अब सियासी नफा-नुकसान के दांव खेले जाने लगे हैं. एकनाथ शिंदे ने युवाओं को साधने के लिए ‘लाडला भाई योजना’ के तहत हर महीने 6 हजार रुपये देने का ऐलान कर चुनावी अभियान में जुट गए हैं. वहीं, लोकसभा के चुनाव में खुद को साबित करने में फेल रहे अजीत पवार से पीछा छुड़ाने का दबाव बीजेपी पर बढ़ता जा रहा है. एनसीपी नेता अब उनका साथ छोड़कर शरद पवार खेमे में जाने का सिलसिला शुरू हो गया है, जिसके चलते सवाल उठ रहे हैं कि क्या चाचा-भतीजे के बीच सुलह-समझौता का कोई फॉर्मूला बन सकता है?
अजीत पवार के संग 2023 में शरद पवार का साथ छोड़कर जाने वाले नेताओं के नेताओं की घर वापसी का सिलसिला शुरू हो गया है. बुधवार को पिंपरी चिंचवड़ से बड़ी संख्या में पूर्व नगरसेवक, अध्यक्ष और पूर्व विधायक ने अजित पवार की एनसीपी छोड़कर शरद पवार के नेतृत्व वाली पार्टी में शामिल हो गए थे. लोकसभा चुनाव के बाद ही शरद पवार ने कहा था कि अजीत पवार के साथ गए नेता दोबारा से आना चाहते हैं. हाल ही में अजीत पवार के करीबी दिग्गज ओबीसी नेता छगन भुजबल ने भी शरद पवार से मुलाकात की थी, जिसे लेकर सियासी कयास लगाए जाने लगे हैं.
अजीत पवार की घर वापसी पर क्या बोले शरद पवार?
पूर्व मुख्यमंत्री शरद पवार से बुधवार को संवाददाताओं ने पूछा कि क्या अजीत पवार के लिए आपकी पार्टी में कोई जगह है और उन्हें लिया जा सकता है तो उन्होंने इस बात से इनकार नहीं किया. शरद पवार ने कहा कि इस तरह के फैसले व्यक्तिगत स्तर पर नहीं लिए जा सकते. संकट के दौरान मेरे साथ खड़े रहे सहयोगियों से पहले पूछा जाएगा, उसके बाद फैसला लिया जाएगा. इस तरह से अजित पवार को लेने के सवाल से इनकार न करके शरद पवार ने क्या एनसीपी के नेताओं की घर वापसी के लिए दरवाजे खुले रहने के संकेत तो नहीं दे दिए.
लोकसभा चुनाव में अजित पवार की अगुवाई वाली एनसीपी के चार में से तीन सीट पर हारने के बाद से उनके खेमे में उथल-पुथल मची हुई है. आरएसएस से जुड़े मराठी साप्ताहिक ‘विवेक’ की रिपोर्ट में कहा गया है कि 2023 में एनसीपी के साथ गठबंधन के बाद जनता की भावनाएं बीजेपी के खिलाफ हो गई हैं, जिसके कारण हाल ही में महाराष्ट्र में हुए लोकसभा चुनावों में पार्टी का प्रदर्शन खराब रहा. ऐसे में एनसीपी के साथ मिलकर बीजेपी को विधानसभा चुनाव नहीं लड़ना चाहिए. इसके बाद ही छगन भुजबल ने शरद पवार से अचानक मुलाकात करने पहुंच गए थे.
इस मुलाकात पर छगन भुजबल ने आरक्षण पर मराठा और ओबीसी के बीच हस्ताक्षेप करने के लिए शरद पवार से गुहार लगाने लगे थे, लेकिन राजनीतिक पंडितों का कहना है कि इस बहाने अपने रिश्ते को पटरी पर लाने की बात कही थी. शरद पवार खेमे के नेता मानते हैं कि बीजेपी अब अजीत पवार से पीछा छुड़ाने की कोशिश में है, जिसके लिए बैगडोर से संदेश दे रही है. एनसीपी (शरद पवार) के प्रवक्ता क्लाइड क्रैस्टो ने कहा कि लोकसभा चुनावों में मिली हार के बाद भाजपा महाराष्ट्र में आगामी विधानसभा चुनाव जीतने की कोशिश कर रही है, लेकिन उनको लगता है कि अजीत पवार के नेतृत्व वाली पार्टी के साथ गठबंधन उसकी संभावनाओं को नुकसान पहुंचाएगा.
महाराष्ट्र में बीजेपी की सीटों की संख्या 2019 में 23 से घटकर हाल के लोकसभा चुनावों में सिर्फ 9 रह गई और उसकी सहयोगी शिवसेना ने सात सीटें मिली हैं और डिप्टी सीएम अजीत पवार के नेतृत्व वाली एनसीपी सिर्फ एक सीट पर जीत हासिल हुई. इसके विपरीत इंडिया गठबंधन ने 30 सीटें जीती हैं, जिसमें कांग्रेस को 13, उद्धव ठाकरे की एनसीपी को 9 और शरद पवार की एनसीपी के खाते में 8 लोकसभा सीटें आई हैं.
शरद पवार से अलग होकर पूरी तरह से फेल रहे अजीत
शरद पवार से अलग होकर अजीत पवार खुद को साबित करने में पूरी तरह से फेल रहे हैं. वो अपने कोटे की 4 में से तीन सीट हार गए हैं और सिर्फ एक सीट ही जीत सके हैं. मोदी कैबिनेट में अजीत पवार की पार्टी को हिस्सा नहीं मिल सका, उनकी पार्टी को राज्यमंत्री पद देने का ऑफर दिया गया था, लेकिन उससे स्वीकार नहीं किया. इस तरह बीजेपी अजीत पवार को कोई खास अहमियत नहीं दे रही है, जिसके चलते उनके साथ आए नेताओं में सियासी बेचैनी दिख रही है. इसके चलते ही घर वापसी का सिलसिला शुरू हो गया है.
शरद पवार महाराष्ट्र की सियासत के मंझे हुए खिलाड़ी है. 2019 में भी अजीत पवार ने शरद पवार के खिलाफ जाकर बीजेपी के साथ हाथ मिलाकर डिप्टीसीएम पद की शपथ ले ली थी, लेकिन विधानसभा में बहुमत साबित करने से पहले ही इस्तीफा दे दिया था. इसके बाद शरद पवार ने उन्हें दोबारा से पार्टी में ले लिया था. इस बार लोकसभा चुनाव से पहले 40 एनसीपी विधायकों को लेकर बीजेपी से हाथ मिलाया है, जिसके बाद शरद पवार से पार्टी छीन लिया. शरद पवार को बड़ा झटका लगा था और अब दोबारा से पार्टी को खड़े करने के लिए मशक्कत करनी पड़ रही है.
शरद पवार ने लोकसभा चुनाव में अजीत पवार को मात ही नहीं दिया बल्कि यह बता दिया है कि असली एनसीपी उनकी है. इसके चलते ही अजीत पवार के करीबी शरद पवार के घर पर दस्तक देने शुरू कर दी है. अब देखना है कि शरद पवार क्या भतीजे अजीत पवार के सारे गिले-शिकवे भुलाकर गले लगाने का काम करेंगे या फिर अकेले दम पर पार्टी की नैया पार लगाएंगे?

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