अदालतों में लंबित मामले बड़ी चुनौती- राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू

राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने रविवार 1 सितंबर को जिला न्यायपालिका के राष्ट्रीय सम्मेलन को संबोधित किया. इस कार्यक्रम में प्रधान न्यायाधीश डी वाई चंद्रचूड़ और केंद्रीय कानून एवं न्याय राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार) अर्जुन राम मेघवाल भी शामिल हुए. इस दौरान उन्होंने कहा कि त्वरित न्याय सुनिश्चित करने के लिए अदालतों में स्थगन की संस्कृति को बदलने के प्रयास किए जाने की जरूरत है.
राष्ट्रपति ने कहा कि अदालतों में लंबित मामले सभी के लिए बड़ी चुनौती हैं. इसे प्राथमिकता दी जानी चाहिए और समाधान ढूंढना जाना चाहिए. उन्होंने कहा कि न्याय की रक्षा करना देश के सभी न्यायाधीशों की जिम्मेदारी है. अदालती माहौल में आम लोगों का तनाव का स्तर बढ़ जाता है. राष्ट्रपति ने कहा कि रेप के मामलों में इतने समय में फैसला आता है. देरी की वजह से लोगों को लगता है कि संवेदना कम है.
‘न्याय और अन्याय का निर्णय करने वाला धर्म शास्त्र है’
राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने कहा कि महाभारत में उच्चतम न्यायालय के ध्येय वाक्य, ‘यतो धर्मः ततो जयः’, का कई बार उल्लेख हुआ है, जिसका भावार्थ है कि ‘जहां धर्म है, वहां विजय है’. उन्होंने कहा कि ‘न्याय और अन्याय का निर्णय करने वाला धर्म शास्त्र है’ . राष्ट्रपति ने कहा कि उन्हें खुशी है कि सुप्रीम कोर्ट ने न्यायपालिका में लोगों का विश्वास सुनिश्चित करने के लिए इस तरह के कार्यक्रमों का आयोजन किया है.
महिलाओं,बच्चों के खिलाफ अपराध चिंता का विषय
उन्होंने महिलाओं और बच्चों के खिलाफ हो रहे अपराध को लेकर कहा कि ये देश में गंभीर चिंता का विषय बन गया है. राष्ट्रपति ने जिला न्यायालय के न्यायाधीशों से अपील की कि वो इन मामलों का जल्द से जल्द निपटारा करें, ताकि महिलाओं और पूरे समाज में सुरक्षा की भावना पैदा हो सके. भारत मंडपम में आयोजित इस कार्यक्रम के दौरान राष्ट्रपति मुर्मू ने उच्चतम न्यायालय का ध्वज और प्रतीक चिह्न भी जारी किया.

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