अनंत-राधिका की शादी से रिलायंस ब्रांड को हुआ फायदा, लोकल इकोनॉमी को भी ऐसे मिला बूस्ट

एशिया के दिग्गज कारोबारी मुकेश अंबानी के छोटे बेटे अनंत और राधिका की शादी हो गई है. लेकिन इसकी चर्चा अभी भी हर तरफ है. मुकेश अंबानी ने अपने बेटे की शादी में पैसा पानी की तरह बहाया है, जिस कारण ये दुनियाभर में ऐतिहासिक शादी भी बन गई है. मुकेश अंबानी ने शादी को ऐतिहासिक बनाने के लिए इसकी तैयारी लगभग 6 महीने पहले से ही करनी शुरू कर दी थी. अंबानी फैमिली ने शादी से पहले दो प्री वेडिंग फंक्शन भी किये थे, जिसमें देश विदेश से कई गणमान्य लोग शामिल हुए.
शादी के फंक्शन्स में बिजनेस, एंटरटेनमेंट, स्पोर्ट्स और राजनीति से जुड़ी हस्तियां भी शामिल रहीं. बिजनेस वर्ल्ड में अनंत और राधिका की शादी के कई मायने हैं. इस शादी ने रिलायंस इंडस्ट्रीज को एक ग्लोबल ब्रांड के तौर पर पूरी दुनिया में स्थापित करने में अहम भूमिका निभाई है. इसके अलावा देश में शादी होने से लोकल इकोनॉमी को भी बूस्ट मिला है.
लोकल इकोनॉमी को ऐसे हुआ फायदा
जानकारों के मुताबिक, अन्य अमीरों की से इतर अंबानी फैमिली ने शादी के कार्यक्रम भारत में ही किए. इससे लोकल इकोनॉमी को बूस्ट मिला. साथ ही दुनियाभर से आए लोगों के बीच एक बिजनेस ग्रुप के तौर पर रिलायंस इंडस्ट्रीज का सम्मान भी बढ़ा है. पूरी दुनिया की मीडिया की नजर भी भारत के सबसे अमीर शख्स के घर में हो रही इस शादी और उसमें आ रहे मेहमानों पर थी. इस शादी में जस्टिन बीबर और रिहाना और रेमा समेत कई ग्लोबल सुपरस्टार मौजूद रहे.
ज्यादातर पैसे भारतीयों की जेब में गए
बिजनेस टुडे की रिपोर्ट के मुताबिक, इंडस्ट्री एक्सपर्ट का कहना है कि भारत में शादी होने की वजह से कई लोकल कलाकारों और कारोबारियों को काम मिला. इससे ब्रांड रिलायंस की छवि आम लोगों में और मजबूत हुई है. शादी पर खर्च हुआ ज्यादातर पैसा भारतीयों के पास गया. इसके लिए बनारस देख लीजिए या इंदौर. शादी में छोटे शहरों से खाना, कपड़ा और वेडिंग के रिटर्न गिफ्ट्स के ऑर्डर दिए गए. देश की वेडिंग इंडस्ट्री को भी अनंत और राधिका की शादी से फायदा पहुंचा है. इससे नई नौकरियां पैदा हुईं, गतिविधियां बढ़ीं और लोगों के हाथ में ज्यादा पैसा पहुंचा.
डूब जाते हैं 1 लाख करोड़ रुपये
कंफेडरशन ऑफ ऑल इंडिया ट्रेडर्स (CAIT) के मुताबिक, हर साल लगभग 5000 अमीर लोग अपनी शादियां विदेशी लोकेशन पर करते हैं. इससे हर साल लोकल कारोबारियों के हाथ से लगभग 1 लाख करोड़ रुपये के अवसर निकल जाते हैं. इसके अलावा विदेश में होने वाली इन महंगी शादियों से सरकारी खजाने को भी टैक्स और सेस का नुकसान होता है. शादियों में 80 फीसदी खर्च गुड्स और सर्विसेज पर होता है. एक अनुमान के मुताबिक, साल 2024 में लगभग 38 लाख शादियां होंगी, जिनमें करीब 4.74 लाख करोड़ रुपये खर्च होने का अनुमान है.

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