अपनी सबसे बड़ी कसम तोड़कर भारत के लिए जीते बैक टू बैक 2 मेडल, इस खिलाड़ी ने चुकाई थी 52 सेकंड की कीमत
वाह खिलाड़ी वाह! यही तो कहेंगे आप जब जानेंगे कि भारत की खातिर उसने अपनी सबसे बड़ी कसम तोड़ दी. वो कसम जो उसने 52 सेकंड के बदले मिली सजा के बाद खाई थी. वैसे 52 सेकंड और उसकी खाई कसम का कनेक्शन क्या है? सबसे पहले तो ये जान लीजिए कि हम जिनकी बात कर रहे हैं, उस खिलाड़ी का नाम सुंदर सिंह गुर्जर है. सुंदर सिंह गुर्जर ने पेरिस पैरालंपिक में भारत की खातिर ब्रॉन्ज मेडल जीता है. ये उस खाई गई कसम को तोड़ने के बाद देश के लिए उनका जीता बैक टू बैक दूसरा पैरालंपिक मेडल है.
52 सेकंड की कीमत और सबसे बड़ी कसम
अब सवाल है कि सुंदर सिंह गुर्जर की खाई कसम क्या थी? और वो उन्होंने क्यों ली थी? इसके तार रियो पैरालंपिक से जुड़े हैं, मुकाबले से पहले कॉल रूम में 52 सेकंड की देरी से पहुंचने के चलते उन्हें डिस्क्वालिफाई कर दिया गया था. जिसके बाद उनका मेडल जीतने का सपना तो टूटा ही था. वो मानसिक तौर पर भी बुरी तरह से आहत हुए थे. मानसिक तौर पर टूटने के बाद ही उन्होंने ये शपथ ली थी कि अब कभी जैवलिन यानी भाले को नहीं उठाएंगे.
सुंदर सिंह ने क्यों तोड़ दी कसम?
साफ है कि 52 सेकंड की कीमत उन्हें डिस्क्वालिफाई होकर चुकानी पड़ी थी. लेकिन, उस डिस्क्वालिफिकेशन के चलते उन्होंने जो कसम खाई थी, उसे आखिरकार देश की खातिर उन्हें तोड़ना पड़ गया. कोच महावीर प्रसाद सैनी के समझाने-बुझाने और काउंसलिंग के बाद सुंदर सिह गुर्जर ने अपनी कसम तोड़ने का फैसला किया था. फिर से जैवलिन को उठाने का फैसला करने के बाद सुंदर सिंह गुर्जर और ज्यादा मजबूती के साथ मैदान पर उतरे.
कसम तोड़ने के बाद टोक्यो से पेरिस तक जीते मेडल
सुंदर सिंह गुर्जर जैवलिन थ्रोअर हैं. उनका बायां हाथ नहीं है. पैरालंपिक में वो पुरुषों के जैवलिन थ्रो F46 इवेंट में हिस्सा लेते हैं. रियो पैरालंपिक में तो कुछ नही हुआ. लेकिन, कसम तोड़ने के बाद जब वो टोक्यो पैरालंपिक में उतरे तो वहां ब्रॉन्ज मेडल अपने नाम किया. और, अब टोक्यो के बाद पेरिस पैरालंपिक में भी उनकी वजह से भारत की झोली में ब्रॉन्ज गिरा है.