अपने हक के 76,293 करोड़ आखिर कैसे वसूलेगी सरकार? हर दांव-पेंच आजमा कर SEBI भी गई हार

अगर आपने किसी को कभी कोई उधार दिया है, तो आपको पता होगा कि उसे वापस वसूलना कितना कठिन काम होता है. अब ज़रा सोचिए कि सरकार के हक के पूरे 76,293 करोड़ रुपए कहीं अटक जाएं, तो क्या हो? मार्केट रेग्युलेटर ‘भारतीय प्रतिभूति और विनिमय बोर्ड’ यानी सेबी (SEBI) ने हाल में एक रिपोर्ट जारी की है, जिसके हिसाब से देश में 76,293 करोड़ रुपए की राशि वसूलना हर तरह से मुश्किल हो चुका है, क्योंकि इसके लिए आजमाया गया कोई भी दांव-पेंच काम नहीं आया है.
सेबी का कहना है कि उसने 76,293 करोड़ रुपए की इस बकाया रकम को ‘मुश्किल वसूली’ (Difficult To Recover) कैटेगरी में रखा है. अपनी एनुअल रिपोर्ट में उसने कहा है कि ये रकम पिछले साल इस कैटेगरी में रखी गई रकम से 4% अधिक है.
कहां फंसा है सरकार का ये पैसा?
सेबी ने अपनी एनुअल रिपोर्ट में कहा है कि इस रकम की वसूली के सभी उपाय करने के बावजूद इसे रिकवर नहीं किया जा सका है. इतना ही नहीं इस रकम का बड़ा हिस्सा कोर्ट केसों की वजह से अटका पड़ा है. सेबी का कहना है कि देश की अलग-अलग अदालतों ने कई मामलों में आदेश जारी करके समितियों की नियुक्ति की और फिर वसूली के केस उन समितियों के पास लंबे समय से लंबित पड़े हैं.
सेबी का कहना है कि ‘मुश्किल वसूली’ वाले बकाया को खातों में कैटेगराइज करना एक कंप्लीट एडमिनिस्ट्रेटिव जॉब है.ये अधिकारियों को उस बकाया रकम को वसूल करने से रोकने या इस राशि को बट्टे खाते डालने का काम नहीं है.
807 मामलों का पैसा है फंसा
सेबी की रिपोर्ट के मुताबिक 31 मार्च 2024 तक उसने ‘मुश्किल वसूली’ वाले कुल 807 मामलों की पहचान की है. इनका कुल बकाया 76,293 करोड़ रुपए रहा है. जबकि पिछले साल 692 मामलों में ये राशि 73,287 करोड़ रुपए थी.
इन 807 मामलों में से 36 मामले राज्य की ​​अदालतों, राष्ट्रीय कंपनी विधि न्यायाधिकरण (एनसीएलटी), राष्ट्रीय कंपनी विधि अपीलीय न्यायाधिकरण (एनसीएलएटी) में चल रही कार्यवाही के कारण लंबित हैं. इन मामलों में 12,199 करोड़ रुपए की राशि बकाया है. इसके अलावा 60 मामले अदालत द्वारा गठित समितियों के पास लंबित हैं, जिनमें 59,970 करोड़ रुपए की वसूली की जानी है. इन दोनों कैटेगरी में सरकार की कुल वसूली राशि का करीब 95 प्रतिशत हिस्सा है.

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