अब आसान होगा एक्सपोर्ट-इंपोर्ट का बिजनेस करना, शुरू हुई ये सर्विस
एक्सपोर्ट और इंपोर्ट का बिजनेस करने वालों की मदद के लिए केंद्र सरकार ने बुधवार को एक नई सर्विस शुरू की. सरकार ने बुधवार को निर्यात और आयात से जुड़ी सभी प्रकार की जानकारी देने के लिए एक व्यापार पोर्टल शुरू किया. ट्रेड कनेक्ट ई-प्लेटफॉर्म को सूक्ष्म, लघु एवं मझोले उद्यम (एमएसएमई) मंत्रालय, भारत निर्यात-आयात बैंक (एक्जिम बैंक), टीसीएस, वित्त मंत्रालय के तहत आने वाले वित्त सेवा विभाग और विदेश मंत्रालय के सहयोग से तैयार किया गया है.
वाणिज्य और उद्योग मंत्री पीयूष गोयल ने पोर्टल पेश करते हुए कहा कि ये प्लेटफॉर्म सीमा शुल्क, एक्सपोर्ट-इंपोर्ट से जुड़े नियमों समेत सभी प्रकार की सूचनाएं एक ही जगह पर उपलब्ध कराएगा. पोर्टल एक्सपोर्टर्स को सशक्त बनाने के साथ-साथ सूचना की कमी की समस्या को दूर करने का काम करेगा.
विदेशी दूतावास से कनेक्ट होंगे उद्यमी
विदेश व्यापार महानिदेशक (डीजीएफटी) संतोष कुमार सारंगी ने कहा कि यह एक्सपोर्टर्स को तत्काल समय पर महत्वपूर्ण व्यापार-संबंधी जानकारी उपलब्ध कराएगा. साथ ही उन्हें विदेश में भारतीय दूतावास, वाणिज्य विभाग, निर्यात संवर्धन परिषद जैसी प्रमुख सरकारी संस्थाओं और विशेषज्ञों से जोड़ेगा. उन्होंने कहा कि यह पोर्टल एक्सपोर्टर्स को निर्यात के हर चरण में सहायता करने के लिए तैयार किया गया है.
यह प्लेटफॉर्म छह लाख से अधिक आईईसी (आयात-निर्यात कोड) धारकों, 180 से अधिक भारतीय दूतावास के अधिकारियों, 600 से अधिक निर्यात संवर्धन परिषद के अधिकारियों के अलावा डीजीएफटी, वाणिज्य विभाग और बैंकों के अधिकारियों को भी जोड़ेगा.
लगातार अपडेट होगा ये पोर्टल
मंत्री पीयूष गोयल ने कहा कि पोर्टल को नियमित रूप से अपडेट किया जाएगा. संबंधित पक्षों की प्रतिक्रिया के आधार पर 2025 में इसका दूसरा संस्करण पेश करने में मदद मिलेगी. इसे क्षेत्रीय भाषाओं में भी जारी किया जाएगा.
उन्होंने कहा, वैश्विक व्यापार संकट की स्थिति में है लेकिन यह दुनिया में भारत की बाजार हिस्सेदारी बढ़ाने का हमारा प्रयास है.
संतोष कुमार सारंगी ने कहा कि दूसरे संस्करण में बैंक, बीमा और लॉजिस्टिक जैसी अन्य सेवाओं को शामिल किया जाएगा. वाणिज्य सचिव सुनील बर्थवाल ने कहा, यह एक्सपोर्टर्स के लिए एक चैटजीपीटी होगा… हम चाहते हैं कि उद्यमी व्यापार में आगे बढ़ें. जब तक हमारे पास उद्यमी नहीं होंगे, तब तक (2030 तक) वस्तुओं और सेवाओं के 2,000 अरब डॉलर के निर्यात का लक्ष्य हासिल करना मुश्किल होगा.