अब मंगलवार को मिलते हैं… अरविंद केजरीवाल की जमानत याचिका पर सुप्रीम कोर्ट ने क्या-क्या कहा?
दिल्ली शराब नीति घोटाले में सीबीआई के मामले में सुप्रीम कोर्ट ने गुरुवार को मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल की जमानत और गिरफ्तारी के खिलाफ याचिका पर फैसला सुरक्षित रख लिया है. कोर्ट ने कहा कि किसी पक्ष को लिखित दलीलें जमा करनी हैं तो वो पक्ष शनिवार तक जमा कर सकता है. हम आपको मंगलवार को मिलेंगे. कोर्ट इस मामले में अगले हफ्ते फैसला सुना सकता है. आइए जानते हैं सुनवाई के दौरान दोनों पक्षों (अरविंद केजरीवाल और सीबीआई) की ओर क्या दलीलें दी गईं और कोर्ट ने क्या कहा.
जस्टिस सूर्यकांत और जस्टिस उज्जल भुइयां की पीठ में सुनवाई शुरू होते ही केजरीवाल की ओर से पेश वकील अभिषेक मनु सिंघवी ने कहा कि पीएमएलए के तहत दोहरी शर्तों का प्रावधान है. सिंघवी ने कहा कि इन सख्त नियमों के बावजूद हमारे पक्ष में दो फैसले हुए हैं. दो नियमित जमानत के आदेशों का हवाला दिया, जिसमें एक निचली अदालत का और दूसरा सुप्रीम कोर्ट का आदेश है. इसके अलावा भी सिंघवी ने कई दलीलें रखते हुए विभिन्न टाइम लाइन यानी कब-क्या हुआ, इसकी जानकारी कोर्ट को दी.
सिंघवी ने अगस्त 2022 से अप्रैल 2023 का जिक्र किया. सिंघवी ने कहा कि सीबीआई ने केजरीवाल को मामले में दो साल बाद गिरफ्तार किया गया. यह इंश्योरेंस अरेस्टिंग है क्योंकि दो साल तक कोई गिरफ्तारी नहीं हुई थी. यह गिरफ्तारी इसलिए की गई ताकि केजरीवाल को जेल में ही रखा जा सके. सिंघवी ने कोर्ट को मनी लॉन्ड्रिंग केस में अंतरिम जमानत मिलने के आदेश की जानकारी देते हुए कहा कि ईडी के मामले में अंतरिम जमानत खत्म होने के बाद में दो जून को वापस केजरीवाल जेल गए.
सिंघवी ने कहा कि 20 जून को ईडी के मामले में निचली अदालत से नियमित जमानत मिली. इसके बाद हाईकोर्ट ने निचली अदालत के आदेश पर रोक लगा दी. हालांकि सुप्रीम कोर्ट से पीएमएलए के मामले मे अंतरिम जमानत मिल गई और कुछ मुद्दों को बड़ी बेंच को रेफर किया है. पिछले दो साल में सीबीआई की तरफ से कोई गिरफ्तारी नहीं हुई. सीबीआई ने केजरीवाल को 26 जून को गिरफ्तार किया. वो भी जनवरी के बयानों के आधार पर किया. उन्होंने उन बयान का जिक्र करते हुए कहा कि सीबीआई के पास मंगुटा रेड्डी के बयान के अलावा कोई नया सबूत नहीं है, जो कि जनवरी का है.
उन्होंने कहा कि सीबीआई द्वारा की गई गिरफ्तारी केवल एक आधार पर हुई कि केजरीवाल पूछताछ में सहयोग नहीं कर रहे थे. सिंघवी ने कोर्ट को बताया कि ईडी के मामले में अंतरिम जमानत देते समय सुप्रीम कोर्ट ने भी उनकी गिरफ्तारी के तरीके की आलोचना की थी. पहली बात कही थी कि गिरफ्तारी मनमाने ढंग से और अधिकारियों की मर्जी के आधार पर गिरफ्तारी नहीं की जा सकती. दूसरा- आरोपी की गिरफ्तारी केवल जांच के उद्देश्य से नहीं की जा सकती. तीसरा- जांच अधिकारियों को गिरफ्तार किए जाने वाले व्यक्ति के लिए मौजूद सामग्री को चुनिंदा तरीके से चुनने की अनुमति नहीं दी जा सकती. एजेंसी को अन्य सामग्री पर भी समान रूप से ध्यान देना होगा जो आरोपी को दोषमुक्त कर सकती है.
सिंघवी ने गिरफ्तारी पर सवाल उठते हुए कहा कि इस तरह गिरफ्तार तब की जाता है जब जांच प्रभावित होने की संभावना हो लेकिन यहां तो केजरीवाल जेल में थे. जब दो सालों के जांच के दौरान गिरफ्तार नहीं किया गया तब अब गिरफ्तारी क्यों? बिना किसी आधार के अचानक किसी को गिरफ्तार नहीं किया जा सकता. उन्होंने कहा सीबीआई ने सीआरपीसी की धारा 41-ए के तहत जांच और पूछताछ के लिए कोर्ट में अर्जी दाखिल की थी. यह इस बात का सबूत है कि सीबीआई पहले केजरीवाल को गिरफ्तार नहीं करना चाहती थी.
केजरीवाल के वकील ने कहा कि सीबीआई इस मामले में सिर्फ इंश्योरेंस अरेस्ट करना चाहती थी. उसके पास कुछ नया आधार नहीं है. सिंघवी ने बताया कि ट्रिपल टेस्ट की शर्तें मेरे फेवर में हैं. शराब नीति के कथित घोटाला मामले में ईडी ने नौ चार्जशीट और सीबीआई मामले में पांच चार्जशीट दाखिल की हैं. उन्होंने कहा कि मुझे लेकर कोई फ्लाइट रिस्क नहीं है. सबूतों के साथ छेड़छाड़ और गवाहों को प्रभावित करने का भी रिस्क नहीं है. इसलिए जमानत की जो शर्तें हैं वो मेरे पक्ष में हैं.
क्या आम लोगों को भी इतना समय मिलता है?
मामले की सुनवाई के दौरान जस्टिस सूर्यकांत ने कहा कि एक सवाल यह है कि क्या जमानत के मामले में हम इतनी देर तक सुनवाई करनी चाहिए? क्या आम लोगों को भी इतना समय मिलता है? हालांकि इस मामले में सीबीआई तरफ से पेश हुए एएसजी ने यह कहा कि याचिकाकर्ता ने जितना समय अपनी दलीलें रखने में दिया है, एजेंसी को भी उतना ही समय दिया जाना चाहिए. सिंघवी ने कहा कि उन्होंने कहा, 2023 में सीबीआई ने केजरीवाल को गवाह के तौर पर बुलाया था. इस साल मार्च में आचार संहिता लगी. फिर जून में उनको गिरफ्तार किया. सुप्रीम कोर्ट ने इस साल 10 मई को अंतरिम जमानत पर रिहा किया. जून में ट्रायल कोर्ट ने जमानत दी. फिर गिरफ्तारी की क्या जरूरत है? सीबीआई को गिरफ्तारी की इतनी जल्दी क्या थी? जबकि जून में निचली अदालत ने उनको जमानत दे दी थी. उन्होंने पूछा कि हिरासत में रहने के दौरान तीन महीने में क्या हुआ?
सिंघवी ने कहा कि निचली अदालत का कहना है कि गिरफ्तारी का समय थोड़ा अजीब है. वो ट्रिपल टेस्ट पूरी तरह से संतुष्ट है. यह एक विडंबना है कि अब सिर्फ एक को छोड़कर इस मामले के सह-आरोपी सिसोदिया, के. कविता, बुची बाबू, विजय नायर सभी को जमानत मिल गई है. उन्होंने कहा कि कोर्ट उन्हें जमानत के लिए अब ट्रायल कोर्ट को वापस नहीं भेज सकते क्योंकि ऐसा करना सिर्फ मामले में देरी करने की कवायद होगी. एएसजी ने सिंघवी की दलील पर आपत्ति जताते हुए कहा कि क्या वह जमानत पर या गिरफ्तारी पर बहस कर रहे हैं? उन्होंने कहा कि इसके लिए हमारे पास प्रारंभिक आपत्तियां हैं. वह दोनों मामलों को मिला नहीं सकते. हालांकि सिंघवी ने इस दलील का विरोध करते हुए कहा कि मुझे अपनी दलील पूरी करने दी जाए.
केजरीवाल समाज के लिए कोई खतरा नहीं हैं
सिंघवी ने कहा कि ‘बेल नियम है और जेल अपवाद है’ सुप्रीम कोर्ट का यह फैसला ईडी और सीबीआई केस में भी लागू होगा. केजरीवाल केस में भी लागू होगा. सिंघवी ने अपनी दलील पूरी करते हुए कहा कि रिहाई के कई आदेश दिए गए लेकिन ट्रिपल टेस्ट मामले में जमानत नहीं दी गई. वैसे भी केजरीवाल समाज के लिए कोई खतरा नहीं हैं. न ही वो कोई खूंखार अपराधी हैं. जमानत मिलने पर ट्रायल के दौरान उनका सहयोग रहेगा और जब कोर्ट बुलाएगी वो कोर्ट के आदेश पर मौजूद रहेंगे. सिंघवी की दलील पूरी होने के साथ सीबीआई की तरफ से एएसजी एसवी राजू ने दलील देते हुए केजरीवाल की याचिका का विरोध किया.
एसवी राजू कोर्ट के सामने दिल्ली हाई कोर्ट द्वारा केजरीवाल की जमानत याचिका को खारिज करने के आदेश को पढ़ा. कहा कि के. कविता के मामले में जमानत के लिए सुप्रीम कोर्ट ने निचली अदालत जाने को कहा था, जबकि केजरीवाल के ईडी मामले में भी गिरफ्तारी को चुनौती दी गई थी. उस मामले में भी उन्हें वापस ट्रायल कोर्ट भेजा गया था. ऐसे में केजरीवाल कोई असाधारण व्यक्ति नहीं हैं, जिनके लिए अलग दृष्टिकोण अपनाने की जरूरत है. कोर्ट ने कहा कि हम तय करेंगे कि क्या इस मामले हमें दखल देना है या नहीं. कोर्ट ने यह बात तब कही जब सीबीआई ने कहा था कि केजरीवाल ने जमानत याचिका निचली अदालत में दाखिल न करके सीधे हाई कोर्ट में दाखिल की थी.
एएसजी ने कहा कि गिरफ्तारी और जमानत के फैसले एक साथ सुनाए गए. हाईकोर्ट पर बहुत ज्यादा बोझ है. जब ऐसे मामले आते हैं तो उनका पूरा बोर्ड अव्यवस्थित हो जाता है. मामले की सुनवाई छुट्टी के दिन हुई क्योंकि वह एक विशेषाधिकार प्राप्त व्यक्ति हैं. वहीं सुप्रीम कोर्ट ने भी दिल्ली हाईकोर्ट द्वारा केजरीवाल की जमानत पर सुनवाई किए बगैर निचली अदालत भेजने पर सवाल उठाते हुए कहा कि किसी को वापस भेजने के बजाय हाईकोर्ट को इस पर विस्तृत सुनवाई करनी चाहिए थी.
एएसजी ने कहा कि हर आम आदमी को जमानत के लिए पहले निचली अदालत जाना होता है. यह हाई कोर्ट द्वारा अचानक फैसला नहीं लिया गया था. उन्हें नोटिस दिया गया था. जस्टिस सूर्यकांत ने कहा कि हाईकोर्ट इस पर फैसला ले सकता क्योंकि वह जीवन और स्वतंत्रता के मामलों पर निर्णय ले सकता है. एएसजी ने इस पर सवाल उठाते हुए कहा कि केवल इसलिए कि व्यक्ति प्रभावशाली है, वह सांप-सीढ़ी का खेल सकता है, ऐसा तो आम लोगों के लिए भी हो. चूंकि हर आम आदमी को जमानत के लिए पहले निचली अदालत जाना होता है, इसलिए उन्हें भी निचली अदालत जाना चाहिए.
उन्होंने कहा कि जब इस तरह के वरिष्ठ वकील पेश होते हैं तो हाईकोर्ट यह नहीं कह सकता कि निचली अदालत चले जाओ. इसलिए उन्हें नोटिस दिया गया था. एएसजी ने कहा कि जहां तक गिरफ्तारी का सवाल है, गिरफ्तारी भी जांच का हिस्सा है क्योंकि एजेंसी को अगर जांच करने का अधिकार है तो उसे गिरफ्तारी का भी अधिकार है. जहां तक इस मामले की बात है मैंने जो अनुमति कोर्ट से मांगी थी कोर्ट ने उसे स्वीकार कर लिया. कोर्ट ने मुझे अधिकार दिया है. इसलिए सेक्शन-41 यहां लागू नहीं होता. हालांकि कोर्ट ने लंच पर उठने से पहले राजू से कहा कि वह अपनी दलीलें आधे घंटे में पूरी करें. इस पर राजू ने कहा कि उन्हें और ज्यादा समय चाहिए.
लंच के बाद सुनवाई के दौरान एसवी राजू ने कहा कि आरोपी व्यक्तियों और साउथ ग्रुप से 36 पन्नों का दस्तावेज मिला है. इसमें 15 अप्रैल को केजरीवाल ने लिकर पॉलिसी को मंजूरी दी थी. वो भी तब हुआ जब कोविड अपने चरम पर था. एएसजी ने कहा कि हवाला के ज़रिए दिल्ली से गोवा 44.54 करोड़ रुपये भेजे गए हैं. इसका इस्तेमाल आम आदमी पार्टी ने गोवा चुनाव में किया. इसकी पुष्टि अप्रूवर दिनेश अरोड़ा ने भी की. एएसजी ने कोर्ट को सीबीआई की उस अर्जी को पढ़कर बताया, जिसमें निचली अदालत से केजरीवाल की गिरफ्तारी की मांग की गई थी. उस अर्जी में जिक्र किया गया था कि कैसे कोविड जब चरम पर था, उस समय शराब नीति को मंजूरी दी गई. साथ ही करीब 45 करोड़ रुपये चुनाव प्रचार के लिए दिल्ली से गोवा भेजे गए.
एएसजी ने कोर्ट को बताया कि केजरीवाल ने अपनी गिरफ्तारी की इजाजत देने वाले निचली अदालत के आदेश को अब तक चुनौती नहीं दी है. हमारी अर्जी को निचली अदालत ने स्वीकार किया. उसके बाद वारंट जारी किया गया और उसके बाद हमने उनकी गिरफ्तारी की. केजरीवाल की गिरफ्तारी में किसी तरह उनके मौलिक अधिकार का हनन नहीं हुआ. गिरफ्तारी के लिए उचित कानूनी प्रकिया का पालन किया गया. ईडी के केस में केजरीवाल हिरासत में थे. कोर्ट की इजाजत लेकर सीबीआई केस में उनकी गिरफ्तारी की गई.
उन्होंने कहा कि उनकी रिमांड एप्लीकेशन में गिरफ्तारी के आधार भी शामिल थे. गिरफ्तारी के दिन ही आरोपी को रिमांड कॉपी दी गई. हालांकि इसकी जरूरत भी नहीं थी. हम व्यक्ति को गिरफ्तार कर सकते हैं. हमारे पास उसे सीधे जाकर गिरफ्तार करने का अधिकार था लेकिन हमने दूसरा रास्ता अपनाया. इसकी वजह ये थी कि उसने जांच में सहयोग नहीं किया. उन्होंने एजेंसी को गुमराह किया. हमें किसी व्यक्ति को गिरफ्तार करने पर कोई पूर्ण प्रतिबंध नहीं है.
सीबीआई ने केजरीवाल की अंतरिम जमानत का भी विरोध किया. एएसजी ने आरोप पत्र पर दलील देते हुए कहा, अगर आरोप पत्र दाखिल हो चुका है तो अरविंद केजरीवाल को नियमित जमानत दाखिल करनी चाहिए, उनके खिलाफ आरोपपत्र में सब कुछ है. वहीं, निचली अदालत ने अरविंद के खिलाफ दाखिल आरोप पत्र पर संज्ञान ले लिया है. इसका मतलब है कि निचली अदालत मानती है कि केजरीवाल के खिलाफ प्रथमदृष्टया सबूत हैं.
एएसजी ने कहा कि कुछ आरोप पत्रों का जमानत पर असर हो सकता है. जैसे गवाहों को प्रभावित करना. यह सब हमारे जवाब में दाखिल है. इस शराब घोटाला मामले में पंजाब का एंगल है. महादेव लिकर के पास थोक बिक्री का लाइसेंस था. वह रिश्वत देने के लिए तैयार नहीं था. इसलिए उसकी डिस्टिलरी बंद करा दी गईं. जैसे ही उसने लाइसेंस सरेंडर किया, डिस्टीलरी चलाने की इजाजत दे दी गई. दोनों पक्षों की दलीलें सुनने के बाद कोर्ट ने कहा है कि अगले दो दिन में लिखित दलीलें पेश कर दें. अब हम आपको मंगलवार को मिलेंगे.