अब रूस से सीधे पंगा…जर्मनी में मिसाइलें तैनात क्यों करने जा रहा अमेरिका?
अमेरिका ने रूस को उसकी ही भाषा में जवाब देने की तैयारी कर ली है. यूक्रेन युद्ध के बीच व्हाइट हाउस की ओर से ऐलान किया गया है कि वह जल्द ही जर्मनी में लंबी दूरी की मिसाइलें तैनात करेगा. अब तक यूरोप में लंबी दूरी की मिसाइलों को तैनात किए जाने पर पाबंदी थी. ऐसा शीत युद्ध के दौरान हुई ऐतिहासिक संधि की वजह से था, जिसे पूर्व राष्ट्रपति ट्रंप के कार्यकाल के दौरान 2019 में तोड़ दिया गया था.
जर्मनी और अमेरिका की सरकारों ने ऐलान किया है कि वह 2026 तक जर्मनी में लंबी दूसरी की मिसाइलों को तैनात करेगा. इनमें SM-6 और टॉमहॉक सिस्टम जैसी घातक मिसाइलें भी होंगीं. व्हाइट हाउस की ओर से जारी दोनों देशों का संयुक्त बयान हाल ही में वाशिंगटन में नाटो के वार्षिक शिखर सम्मेलन के बाद आया है. इस सम्मेलन में ही अमेरिका और जर्मनी के अधिकारियों में बातचीत के बाद ये बयान जारी किया गया है.
क्रूज और हाइपरसोनिक मिसाइलें होंगी तैनात
अमेरिका जर्मनी में जो हथियार तैनात करेगा उनमें एसएम-6 एंटी-एयर मिसाइल शामिल होगी, इसकी रेंज 460 किमी तक होगी. इसके अलावा टॉमहॉक क्रूज मिसाइल भी तैनात किए जाने की योजना है, जिसकी मारक क्षमता 2,500 किमी से ज्यादा है. जो बयान जारी किया गया है उसमें यह भी बताया गया है कि जर्मनी में विकासशील हाइपरसोनिक हथियार भी तैनात किए जाएंगे जो लंबी दूरी के होंगे.
क्या थी संधि?
अमेरिका की ओर से अब तक जर्मनी में हथियार तैनात करने से जो संधि रोक रही थी, उसे इंटरमीडिएट रेंज न्यूक्लियर फोर्सेस यानी INF कहते हैं. इसे 1987 में रोनाल्ड रीगन और मिखाइल गोर्बाचेव द्वारा तय किया गया था. इस संधि के तहत यूरोपीय धरती पर 500 से 5500 किमी दूरी तक की मार करने वाली मिसाइलों पर प्रतिबंध लगा दिया गया था. इसी संधित के तहत उस वक्त 1983 में पनपे परमाणु युद्ध के हालात के तनाव को कम करने में मदद की थी.
2019 में अलग हुआ था अमेरिका, भड़क गया था रूस
2019 में अमेरिका ने INF से खुद को अलग कर लिया था. उस वक्त अमेरिका के राष्ट्रपति ट्रंप थे. उस वक्त अमेरिका की ओर से दावा किया गया था रूस ने क्रूज मिसाइलनों के समझौते को तोड़ा है. रूस की ओर से लगातार इस आरोप को नकारा गया था. पुतिन ने उस समय चेतावनी दी भी थी कि इस संधि को खत्म करने के अमेरिका को गंभीर परिणाम झेलने होंगे.
पुतिन का क्या है दावा?
अमेरिका के अलग हटने के बाद भी रूस ने INF संधि को जारी रखा था, और उन मिसाइलों के विकास पर रोक लगा दी थी जिन पर प्रतिबंध था. हालांकि अब रूस अपनी स्ट्रेटजी बदल रहा है. RT की एक रिपोर्ट के मुताबिक पुतिन ने इस माह की शुरुआत में ऐलान किया था कि अमेरिका दुश्मनों जैसा व्यवहार कर रहा है, ऐसे में रूस घातक हथियारों का विकास फिर से शुरू होगा. पुतिन का दावा है कि अमेरिका यूरोप और डेनमार्क भी लाया है. पुतिन ने फिलीपींस में भी अमेरिका के हथियार होने का दावा किया है.