अमेरिका और यूरोप के वर्चस्व को चुनौती देने वाले संगठन में शामिल होगा फिलिस्तीन, क्या पड़ेगा असर?

दुनिया की उभरती अर्थव्यवस्थाओं के संगठन समझे जाने वाले BRICS में इस साल दो नए देश जुड़ सकते हैं. BRICS में इस वक्त 9 देश हैं, जिसमें ब्राजील, रूस, भारत, चीन और दक्षिण अफ्रीका और 2023 में जुड़े 4 देश ईरान, मिस्र, इथियोपिया और संयुक्त अरब अमीरात शामिल हैं. BRICS से जुड़े देशों का कहना है कि इस संगठन को पश्चिमी देशों के वर्चस्व को काउंटर करने के लिए बनाया गया है.
तुर्की की न्यूज एजेंसी अनादोलू के मुताबिक इस साल काजान में होने वाले BRICS समिट में अजरबैजान और फिलिस्तीन को शामिल किया जा सकता है. इस संगठन में फिलिस्तीन का शामिल होना चौकाने वाला है क्योंकि ये संगठन उभरती हुई अर्थव्यवस्थाओं का संगठन माना जाता है और फिलिस्तीन के पास अपनी तय सीमा भी नहीं है और न ही यहां की सरकार के पास आर्थिक गतिविधियों का ठीक से संचालन करने के लिए व्यवस्था है.
फिलिस्तीन का इस गुट में शामिल होना रणनीतिक तौर से बेहद अहम है, गाजा में जारी इजराइली आक्रमण के बाद कई देशों ने फिलिस्तीन का आजाद राज्य का दर्जा दिया है. ऐसे में BRICS में भी फिलिस्तीन का शामिल होना फिलिस्तीन आंदोलन को नई रफ्तार दे सकता है.
फिलिस्तीन पर केंद्रित होगा BRICS समिट
मास्को में फिलिस्तीनी राजदूत अब्देल हाफिज नोफाल ने कहा कि रामल्लाह होने वाले शिखर सम्मेलन के बाद ब्रिक्स ग्रुप में शामिल होने के लिए अपना आवेदन देगा. BRICS समिट इस साल अक्टूबर में रूसी की राजधानी से लगभग 870 किलोमीटर दूर कज़ान में होने वाला है. रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन ने वादा किया है कि इस समिट का एक पूरा सेशन फिलिस्तीन के लिए आयोजित किया जाएगा.
राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन और महमूद अब्बास
मास्को में फिलिस्तीनी राजदूत हफीज नोफल ने कहा कि फिलिस्तीनी प्राधिकरण के अध्यक्ष महमूद अब्बास को ब्रिक्स में भाषण देने के लिए आमंत्रित करना इस बात को दर्शाता है कि गाजा पट्टी में सभी अपराधों, हत्याओं और विनाश के बावजूद, फिलिस्तीन जीना और विकसित होना चाहता है. रूस ने गाजा में इजराइली आक्रमण की शुरुआत के बाद से बार-बार खुद को फ़िलिस्तीनी मुद्दे के लिए फिलिस्तीन का पक्षधर बताया है. रूस की और से पिछले 10 महीनों में दिए गए बयानों से ऐसा ही लगता है कि वे रामल्लाह के लिए सबसे स्वाभाविक अंतरराष्ट्रीय ‘संरक्षकों’ में से एक है.
फिलिस्तीन को स्वीकारती दुनिया
फिलिस्तीन लिबरेशन ऑर्गेनाइजेशन (PLO) ने औपचारिक रूप से 1988 में फिलिस्तीन राज्य का एलान किया था, लेकिन इसे 2012 में संयुक्त राष्ट्र महासभा का ऑबजर्वर बनाया गया. आज तक 193 संयुक्त राष्ट्र सदस्य देशों में से 145 ने आधिकारिक तौर पर फिलिस्तीन को मान्यता दी है, जिनमें से यूरोपीय संघ के सिर्फ 12 देश (बुल्गारिया, चेक गणराज्य, साइप्रस, हंगरी, आयरलैंड, माल्टा, पोलैंड, रोमानिया, स्लोवाकिया, स्लोवेनिया, स्पेन और स्वीडन) हैं.
रूस और अजरबैजान की बढ़ती करीबी
अगस्त को पुतिन के अजरबैजान दौरे के दौरान अजरबैजान ने भी BRICS में शामिल होने की इच्छा जाहिर की थी. बाकू और मास्को के बीच पिछले कुछ सालों में संबंध मजबूत हुए हैं. फरवरी 2022 में रूस के यूक्रेन पर आक्रमण करने से दो दिन पहले ही दोनों देशों ने सैन्य सहयोग को मजबूत करने के लिए ‘अलायड इंटरेक्शन’ का ऐलान किया था.
व्लादिमीर पुतिन और इल्हाम अलीयेव
रूस के साथ बढ़ते संबंधों के बावजूद अज़रबैजान हाल ही में यूरोपीय संघ का भी एक एक खास एनर्जी पार्टनर रहा है, जो यूरोप को यूक्रेन में युद्ध के बाद हाइड्रोकार्बन की कमी को पूरा करने के लिए प्राकृतिक गैस और तेल का एक्सपोर्ट कर रहा है.

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