अमेरिका में अभी फिलहाल किन राज्यों में है अबॉर्शन पर फुल बैन?
पांच नवंबर 2024 को अमेरिका में राष्ट्रपति चुनाव होना है. उससे पहले राष्ट्रपति पद के दो उम्मीदवार डोनाल्ड ट्रंप और कमला हैरिस के बीच 11 सितंबर को प्रेसिडेंशियल डिबेट हुआ. दोनों कैंडिडेट्स के बीच ये पहली डिबेट थी. करीब 90 मिनट का भाषण था. जिसमें हैरिस और ट्रंप ने एक दूसरे की नीतियों की जमकर आलोचना की. तो कुछ व्यक्तिगत हमले भी किए गए.
दोनों उम्मीदवारों के बीच रूस-यूक्रेन युद्ध, इजाराइल हमास जंग, सीमा से जुड़ी समस्याएं, अर्थव्यवस्था, इमिग्रेशन जैसे मुद्दों पर जमकर बहस हुई. दोनों की बहस का केंद्र अबॉर्शन यानी गर्भापात भी पर रहा. अबॉर्शन अमेरिका में ऐसा एक मुद्दा है जिसे लेकर अलग-अलग राय सामने आती रही हैं. एक पक्ष कहता है कि गर्भपात कराना एक महिला की अपनी इच्छा और उसके प्रजनन के अधिकार का मामला है. वहीं दूसरी राय ये हैं कि राज्य जीवन के संरक्षण के लिए बाध्य है और इसलिए भ्रूण को सुरक्षा दी जानी चाहिए.
डिबेट में भी कमला हैरिस ने ट्रंप से इस मुद्दे पर कई सवाल कर उन्हें असहज किया. कमला ने कहा कि अगर रिपब्लिकन पार्टी के उम्मीदवार डोनाल्ड ट्रंप सत्ता में आते हैं तो वो गर्भपात पर राष्ट्रीय स्तर पर प्रतिबंध लगा देंगे. ट्रंप ने इसका जवाब देते हुए कहा कि वो अबॉर्शन बैन नहीं करेंगे. उल्टा ट्रंप ने कमला से सवाल कर दिया कि क्या वह प्रेग्नेंसी के 7वें, 8वें और 9वें महीने में अबॉर्शन की इजाजत देंगी.
51 साल से है बहस जारी…
इस बहस की शुरूआत 51 साल पहले हुई. प्रेसिडेंशियल डिबेट में ट्रंप ने भी कहा कि इस मुद्दे ने अमेरिका को 51 वर्षों से बांट कर रखा है. दरअसल सुप्रीम कोर्ट ने साल 1973 में एक मामले की सुनवाई करते हुए देशभर में गर्भपात को वैध करार दिया था. फैसले के बाद अस्पतालों के लिए महिलाओं के लिए गर्भपात की सुविधा देना जरूरी हो गया. लेकिन अमेरिका के धार्मिक समूह इस फैसले से नाखुश थे. उनका मानना था कि भ्रूण को जीवन का हक है.
इस मुद्दे पर अमेरिका की दो सबसे बड़ी पार्टियों- डेमोक्रेटिक और रिपब्लिकन पार्टी के विचार अलग अलग थे. फिर यही मुद्दा अमेरिका में ध्रुवीकरण की वजह बना. नतीजतन 2022 में सुप्रीम कोर्ट ने गर्भपात के संवैधानिक अधिकार को प्रभावी ढंग से समाप्त कर दिया. उस फैसले के 2 साल बाद अमेरिका के दर्जन भर राज्यों ने अबॉर्शन पर या तो पूरी तरह से बैन लगा दिया या उस तक महिलाओं की पहुंच काफी सीमित कर दी है. कुछ ऐसे राज्य भी हैं जहां गर्भात पूरी तरह से लीगल है.
आइए एक नजर उन राज्यों पर डालतें हैं जहां अबॉर्शन पर टोटल बैन है और कहां कुछ राहत दी गई है, कहां ये कानून के दायरे में आता है.
जिन राज्यों में अबॉर्शन पर है फुल बैन
ऐसे कुल 12 राज्य है जहां किसी भी स्थिति में अबॉर्शन करवाने की इजाजत नहीं है. यहां तक कि रेप पीड़िता को भी कई परेशानियों का सामना करना पड़ता है. जैसे इदाहो, सुप्रीम कोर्ट ने 2023 में फैसला सुनाया कि राज्य के संविधान में गर्भपात तक पहुंच मौलिक अधिकार नहीं है. उसके बाद साउथ डकोटा, मिसौरी, अरकानसास, ओकलाहोमा, टेक्सास, लुइसियाना, मिसिसिपी, अलाबामा, टेनेसी, केंटकी और वेस्ट वर्जिनिया जैसे राज्यों में अबॉर्शन पर टोटल बैन लगाया गया है.
हालांकि कुछ ऐसे राज्य भी हैं जहां बैन तो हैं पर कुछ अपवादों के साथ महिलाएं गर्भापात करा सकती है. जैसे नॉर्थ डकोटा का उद्हारण लें तो यहां रेप और परिवार के सदस्य द्वारा किया गए यौन शोषण की वजह से हुई प्रेगनेंसी को 6 हफ्तों के भीतर टर्मिनेट करवाया जा सकता है. इसी तरह का राज्य है मिसिसिपी जहां सिर्फ रेप पीड़िता को ही गर्भपात करवाने की इजाजत है. तीसरा राज्य इंडियाना है.
वो राज्य जहां गर्भापत है लीगल..
ऐसे राज्यों को तीन कैटगरी में बांटा सकता है. पहले वो राज्य हैं जहां अबॉर्शन लीगल है बिना गेस्टेशनल लिमिट के. यानी प्रेगनेंसी कितने दिनों तक की हो चुकी है. ऐसे कुल 8 राज्य हैं. जैसे- ओरेगन, कोलोराडो, न्यू मेक्सिको, मिनेसोटा, न्यू जर्सी, वरमॉन्ट, अलास्का और मिशिगन.
दूसरी कैटगरी उन राज्यों की है जहां अबॉर्शन तब तक लीगल है जब तक जान का खतरा न हो. ऐसे कुल 13 राज्य हैं. जिनमें वाशिंगटन, कैलिफोर्निया, मोंटाना, व्योमिंग, कनेक्टिकट, इलिनोइस, न्यू योर्क, मेन, मैरीलैंड, रोड आइलैंड, डेलावेयर, हवाई जैसे राज्य शामिल हैं.
फिर तीसरी कैटगरी उन राज्यों की हैं जहां गेस्टेशनल लिमिट तय की जा चुकी है. किसी राज्य में 22 हफ्ते तो किसी राज्य में 24 हफ्ते तक अबॉर्शन की इजाजत है. अगर कोई डॉक्टर समय सीमा से बाहर गर्भपात करता है, तो उसके खिलाफ कानूनी कार्रवाई का भी प्रावधान किया गया है.
ऐसे राज्यों की कुल संख्या 8 है.
नेवादा, जहां 24 हफ्ते के भीतर गर्भात कराना कानून के दायरे में आता है. फिर विस्कॉनसिन, ओहायो और कानसास जैसे राज्यों में 22 हफ्ते तक की प्रेगनेंसी को टरमिनेट करवाना लीगल है.
वर्जिनिया में तीसरे ट्राइमेस्टर से पहले तक अबॉर्शन करवाना कानून के दायरे में आता है. पेंसिलवेनिया, मैसाचुसेट्स और न्यू हैम्पशायर में 24 हफ्ते तक की प्रेगनेंसी को अबॉर्ट किया जा सकता है.
इन राज्यों में सिर्फ 6-18 हफ्तों में गर्भपात
कुछ ऐसे राज्य भी हैं जहां सिर्फ 6 से 18 हफ्तों की प्रेगनेंसी को ही अबॉर्ट किया जा सकता है.
जैसे यूटा जहां 18 हफ्ते की प्रेगनेंसी को अबॉर्ट करवाना कानून के दायरे में आता है. एरिजोना और नॉर्थ केरोलिना में 12 हफ्ते तक की परमिशन है. एरिजोना में 2024 के मई महीने में, सांसदों ने 1864 के उस कानून को निरस्त कर दिया जिसने लगभग सभी गर्भपात पर प्रतिबंध लगा दिया थ
आयोवा, साउथ केरोलिना में वहीं हैं 6 हफ्ते के बाद गर्भात की इजाजत नहीं है. ये समय सीमा कितनी कम है इसका अंदाजा आप इस बात से लगा सकते हैं कि इन 6 हफ्तों में अधिकतर महिलाओं को पता ही नहीं चल पाता कि वो गर्भवती हो चुकी हैं.
फ्लोरिडा में पहले 15 हफ्तों के भीतर गर्भात का अधिकार था लेकिन मई में फेडरेल जज की तरफ से फैसला सुनाया गया कि अब 6 हफ्तों के भीतर ही किसी महिला को गर्भात की परमिशन मिलेगी.
नेबरास्का में वहीं 12 हफ्ते की प्रेगनेंसी को कोई महिला टर्मिनेट करवा सकती है. हालांकि रेप और इंसेस्ट के मामलों में यहां कुछ अपवाद हैं.
अमेरिकी चुनाव में इस बार कुल दस राज्य ऐसे हैं जो अबॉर्शन के मुद्दे पर मतदान करने वाले हैं. इनमें लाल झुकाव वाले यानी रिपब्लिकन पार्टी को समर्थन करने वाले और नीले यानी डेमोक्रेटिक पार्टी को पसंद करने वाले राज्य शामिल हैं. जैसे फ्लोरिडा जो रिपब्लिकन पार्ट को सपोर्ट करते हैं और न्यूयॉर्क जो डेमोक्रेटिक पार्टी के साथ खड़े होते हैं. स्विंग स्टेट्स जैसे कि एरिजोना भी इस मुद्दे पर मतदान करेगा. कई सर्वेज से भी संकेत मिलते हैं कि अधिकांश अमेरिकी गर्भपात के अधिकारों का समर्थन करते हैं. जून में आयोजित एक एसोसिएटेड प्रेस/एनओआरसी सर्वे में पाया गया कि लगभग 61% वयस्क सोचते हैं कि उनके राज्य को लोगों को किसी भी कारण से कानूनी गर्भपात कराने का अधिकार मिलना चाहिए.