अमेरिका से दूरी या सत्ता से बेदखली कौन सा रास्ता चुनेंगे नेतन्याहू

शुक्रवार को अमेरिका के राष्ट्रपति जो बाइडेन ने बताया कि उन्होंने हमास के साथ समझौते के लिए नया इजराइली प्रस्ताव पेश किया है. उनके मुताबिक ये प्रस्ताव सभी बंधकों को वापस लाने, इजरायल की सुरक्षा सुनिश्चित करना, गाजा को बिना हमास के फिर से बनाने और फिलिस्तीन विवाद के समझौते के लिए मंच तैयार करेगा. लेकिन इस प्रस्ताव से नेतन्याहू खुश नजर नहीं आ रहे हैं.
इस प्रस्ताव के बाद नेतन्याहू के ऑफिस ने अपने बयान में कहा है, “युद्ध खत्म करने की इजराइल की शर्त में कोई बदलाव नहीं आया है.” इजराइल का कहना है कि हमास के खात्मे के बिना वे गाजा युद्ध को खत्म नहीं करेगा. लेकिन गाजा युद्ध को लंबा खींचना इजराइल को अंतरराष्ट्रीय दुनिया से अकेला कर रहा है. हर बीते दिन कोई एक देश इजराइल के खिलाफ कदम उठा रहा है.
क्यों युद्ध विराम पर राजी नहीं नेतन्याहू?
इजराइल की राजनीति में कई दक्षिणपंथी गुटों का दबदबा है. इन गुटों के नेताओं ने इजराइल वॉर कैबिनेट में इस समझौते को न मानने की अपील की है. नेतन्याहू अगर इस प्रस्ताव को मान लेते हैं तो उनका सत्ता में बने रहना मुश्किल हो सकता है.
नेतन्याहू के सामने एक और परेशानी खड़ी हो गई है, गाजा में ग्राउंड ऑपरेशन का आगाज नेतन्याहू ने हमास के खात्मे की कसम से किया था. लेकिन 8 महीने बीत जाने के बाद भी हमास को खत्म करने में इजराइल सेना नाकाम रही है और न ही बंधकों को रिहा करवा पाई है.
बंधकों के परिवार लगातार सीजफायर के लिए तेल अवीव की सड़कों पर प्रदर्शन कर रहे हैं. जिससे लग रहा है कि जंग को बढ़ाना और रोकना दोनों ही नेतन्याहू की सत्ता जाने का सबब बन सकती हैं.
अमेरिका क्यों बना रहा इजराइल पर दबाव?
इतिहास में देखें तो अमेरिका ने इजराइल का हर जंग में साथ दिया है और अंतरराष्ट्रीय मंचो पर उसको बचाता आया है. लेकिन इस बार गाजा में इजराइली नरसंहार ने अमेरिका की यूनिवर्सिटीज के छात्रों के बीच एक गुस्सा पैदा कर दिया है. इसी गुस्से ने अमेरिका में देशव्यापी प्रो फिलिस्तीनी प्रदर्शनों को जगह दी है.
गाजा में मानवीय संकट के बाद बाइडेन के ऊपर देश के भीतर भी जंग रुकवाने के लिए दबाव बन रहा है. नवंबर में अमेरिका में राष्ट्रपति चुनाव हैं और प्रदर्शनों की वजह से बाइडेन प्रशासन के खिलाफ जनता का गुस्सा बढ़ रहा है. जानकार मानते हैं कि इसलिए भी बाइडेन प्रशासन युद्ध विराम की कोशिशों में लगा है.
नेतन्याहू के लिए मुश्किल
अगर नेतन्याहू बाइडेन द्वारा पेश किए गए युद्ध विराम समझौते को नहीं मानते हैं तो उनकी अमेरिका से दूरी बन सकती है. इसके अलावा जंग का लंबा खींचना इजराइल को अंतरराष्ट्रीय स्तर पर कमजोर कर देगा. दूसरी ओर अगर समझौते को पीएम नेतन्याहू मान लेते हैं तो ये उनको सत्ता से बाहर किया जा सकता है. क्योंकि उनको दक्षिणपंथी गुटों का समर्थन है.

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