अरविंद केजरीवाल को नहीं मिली जमानत, जानिए सुप्रीम कोर्ट ने क्यों सुरक्षित रखा फैसला

दिल्ली शराब नीति घोटाले में सुप्रीम कोर्ट ने सीबीआई के मामले में गुरुवार को मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल की जमानत और गिरफ्तारी के खिलाफ याचिका पर फैसला सुरक्षित रखा है. सुप्रीम कोर्ट का फैसला सुरक्षित रखना एक प्रक्रिया है. अगर सुप्रीम कोर्ट किसी मामले पर विस्तृत सुनवाई करता है तो ऐसी स्थिति में वह फैसला सुरक्षित रखने के बाद ही उसके हर एक पहलू पर अपनी राय व्यक्त करते हुए फैसला जारी करता है.
इस मामले में सीबीआई को केजरीवाल की जमानत को लेकर कोई आपत्ति नहीं होती, तब यह संभावना जरूर थी कि सुप्रीम कोर्ट उन्हें जमानत देते हुए गिरफ्तारी को चुनौती देने वाली याचिका पर फैसला सुरक्षित रख लेता. मगर, सीबीआई की कई आपत्तियां थीं. खासतौर पर ट्रायल कोर्ट को बाईपास कर सीधे हाईकोर्ट और फिर सर्वोच्च अदालत में अपील दाखिल किए जाने की दलील के मद्देनजर यह माना जा सकता है कि सुप्रीम कोर्ट को फैसला सुरक्षित रखना ही उचित लगा.
केजरीवाल की ओर से अभिषेक मनु सिंघवी की मुख्य दलीलें

दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने सुप्रीम कोर्ट से कहा है कि कथित आबकारी नीति घोटाले में सीबीआई ने करीब दो साल तक उन्हें गिरफ्तार नहीं किया. ईडी द्वारा दर्ज मनी लॉन्ड्रिंग केस में जमानत मिलने के बाद 26 जून को उनकी गिरफ्तारी की.
यह अनोखा मामला है. पीएमएलए के सख्त नियमों के बावजूद केजरीवाल को 2 बार जमानत दे दी गई. सीबीआई केस में जमानत क्यों नहीं मिल सकती है. गिरफ्तारी से पहले सीबीआई ने केजरीवाल को कोई नोटिस नहीं दिया. निचली अदालत ने गिरफ्तारी का एकतरफा आदेश पारित किया.
जेल में बंद दिल्ली के मुख्यमंत्री के लिए जमानत का अनुरोध करते हुए सिंघवी ने कहा कि केजरीवाल एक संवैधानिक पदाधिकारी हैं. उनके भागने का कोई खतरा नहीं है. जमानत के टीटीटी टेस्ट में वो खरे उतरते हैं.
सीबीआई ने दलील दी है कि केजरीवाल सहयोग नहीं कर रहे हैं, जबकि कोर्ट के ही आदेश में कहा गया है कि यह उम्मीद नहीं की जा सकती कि आरोपी खुद को दोषी बता दे.
अदालत को सिर्फ 3 सवालों पर ध्यान देना है. पहला- क्या केजरीवाल के भाग जाने का खतरा है? दूसरा- क्या वो सबूतों से छेड़छाड़ कर सकते हैं? तीसरा- क्या केजरीवाल गवाहों को प्रभावित कर सकते हैं?
केजरीवाल एक संवैधानिक पद पर हैं. उनके भागने की कोई आशंका नहीं. सबूतों से छेड़छाड़ नहीं हो सकती क्योंकि लाखों दस्तावेज और 5 चार्जशीट मौजूद हैं. गवाहों को प्रभावित करने का खतरा भी नहीं है. बेल की 3 जरूरी शर्तें हमारे पक्ष में हैं. सिंघवी ने कहा कि ऐसा लगता है कि इस मामले में CBI दलील नहीं दे रहा है. कोई ऐसा आदमी बोल रहा है जिसकी केस में दिलचस्पी है.

सीबीआई की ओर से एएसजी राजू की दलीलें.

हमें जमानत पर आपत्ति है. यहां जमानत और गिरफ्तारी पर बहस को मिला दिया गया है.
मनीष सिसोदिया, के. कविता सभी पहले जमानत के लिए ट्रायल कोर्ट गए थे. केजरीवाल सांप-सीढ़ी के खेल की तरह शॉर्टकट अपना रहे हैं.
केजरीवाल को लगता है कि वो एक एक्स्ट्रा ऑर्डिनरी व्यक्ति हैं, जिनके लिए अलग व्यवस्था होनी चाहिए. हमारा कहना है कि गिरफ्तारी पर सुनवाई के लिए सुप्रीम कोर्ट पहली अदालत नहीं होनी चाहिए. केजरीवाल को ट्रायल कोर्ट जाना चाहिए.
ये गिरफ्तारी पर सवाल उठा रहे हैं. इन्हें कानून ध्यान से पढ़ना चाहिए. गिरफ्तारी जांच का ही एक हिस्सा है. अगर जांच करने की शक्ति है तो गिरफ्तार करने की भी शक्ति है.
हमें स्पेशल कोर्ट से परमिशन मिली, वारंट जारी हुआ. इसके बाद हमने गिरफ्तारी की. जब प्रोसेस फॉलो करते हैं तो मौलिक अधिकार लागू नहीं होते.
सीबीआई ने केजरीवाल को कोई नोटिस नहीं भेजा, क्योंकि वो पहले से ही कस्टडी में थे.
अगर केजरीवाल को जमानत दी जाती है तो ये फैसला हाईकोर्ट को निराश करेगा.

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