अल-अक्सा मस्जिद को लेकर इजराइली मंत्री के बयान पर बवाल, हमास ने अरब और इस्लामिक देशों से की ये मांग

इजराइल के कट्टरपंथी मंत्री इतामार बेन-ग्वीर ने कहा कि वह यरुशलम में अल-अक्सा मस्जिद परिसर के अंदर यहूदियों के लिए एक प्रार्थना स्थल बनाना चाहते हैं. उनके इस बयान को लेकर बवाल शुरू हो गया है. इजराइली सरकार के सहयोगियों के साथ-साथ विपक्ष में भी इसे लेकर नाराज़गी जताई है.
रक्षा मंत्री योव गैलेंट ने बेन-ग्वीर के बयान को खतरनाक, गैर-जरूरी और गैर-जिम्मेदाराना बताया है, वहीं इजराइल के विपक्षी नेता यायर लैपिड ने बेन-ग्वीर के बयान को नेतन्याहू सरकार की कमज़ोरी बताई. उन्होंने कहा कि बेन-ग्वीर के सामने नेतन्याहू कमजोर साबित हुए हैं. वह सरकार को नियंत्रित करने में असमर्थ हैं.
बेन ग्वीर के बयान पर भड़का हमास
वहीं बेन ग्वीर के बयान पर इजराइली प्रधानमंत्री नेतन्याहू के कार्यालय की ओर से कहा गया है कि, “टेंपल माउंट (अल अक्सा मस्जिद परिसर को यहूदी टेंपल माउंट कहते हैं) की यथास्थिति में कोई बदलाव नहीं हुआ है. ” वहीं हमास ने इस पर तीखी प्रतिक्रिया देते हुए कहा है कि अरब देशों और मुस्लिम देशों के संगठन (OIC) को अपनी जिम्मेदारी निभानी चाहिए. हमास ने वेस्ट बैंक समेत इजराइली कब्जे वाले इलाकों से लोगों को अल-अक्सा मस्जिद में जुटने और रैली करने की भी अपील की है. हमास ने कहा है कि अरब और इस्लामी राष्ट्रों को अल-अक्सा और उसकी पवित्रता की रक्षा करने में अपनी ज़िम्मेदारियां उठानी चाहिए.
पहले भी विवादों में रहे हैं मंत्री बेन ग्वीर
इजराइली मंत्री बेन-ग्वीर अक्सर इस तरह के विवादों में रहे हैं, इससे पहले 14 अगस्त को उन्होंने अल-अक्सा मस्जिद परिसर में अपने समर्थकों के साथ घुसकर प्रार्थना की थी, जिसके बाद अमेरिका समेत कई पश्चिमी देशों ने इसे उकसावे की कार्रवाई बताया था. वहीं हमास और अरब देशों ने इसकी काफी आलोचना की थी. हमास ने बेन-ग्वीर के अल-अक्सा मस्जिद के दौरे को यथास्थिति समझौते का उल्लंघन बताया था.
अल-अक्सा मस्जिद को लेकर विवाद
दरअसल अल-अक्सा मस्जिद को लेकर यहूदियों और मुसलमानों के बीच लंबे समय से विवाद जारी है. 1967 में जब इजराइल ने गाजा पट्टी और यरुशलम में कब्जा किया तो अल अक्सा मस्जिद को लेकर जॉर्डन और इजराइल के बीच एक यथास्थिति समझौता हुआ. इसके तहत मस्जिद के बाहर की सुरक्षा की जिम्मेदारी इजराइल को दी गई वहीं मस्जिद के अंदर के मामलों की देखरेख इस्लामिक ट्रस्ट को सौंपी गई. अल अक्सा मस्जिद के परिसर में यहूदी जा सकते हैं लेकिन वहां उन्हें पूजा करने की अनुमति नहीं है.
ये भी पढ़ें-अल-अक्सा मस्जिद का क्या है इतिहास? जिसको लेकर इजराइल में हो रहा है विवाद
हालांकि इजराइल के कुछ कट्टरपंथी नेता और उनके समर्थक बार-बार इन नियमों का उल्लंघन कर, अल-अक्सा मस्जिद के परिसर में जाकर प्रार्थना कर चुके हैं, जिससे विवाद बढ़ता रहा है. माना जाता है कि इजराइल और फिलिस्तीन के बीच विवाद की एक सबसे बड़ी वजह अल-अक्सा मस्जिद ही है. यहूदी इसे टेंपल माउंट कहते हैं जबकि मुसलमानों के लिए यह तीसरा सबसे बड़ा धार्मिक स्थल है. यही वजह है कि अल-अक्सा मस्जिद को लेकर यहूदियों और मुसलमानों के बीच काफी लंबे समय से तनाव रहा है.

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