असमः 28 लोगों को डिटेंशन कैंप भेजे जाने पर भड़के मुस्लिम संगठन, बोले- हमें टारगेट कर रही सरकार
असम में धर्म के नाम पर राजनीतिक बहस शुरू हो गई है. यहां मुसलमानों को लेकर विवाद थमता नजर नहीं आ रहा है. बीते दिन 28 संदेहास्पद मुसलमानों को डिटेंशन कैम्प में भेजे जाने से और एक विवाद छिड़ गया है. दरअसल असम के बारपेटा जिले में 28 मुसलमानों को ग्वालपाड़ा के डिटेंसनको कैम्प में उस वक्त भेज दिया गया जब वो लोग पुलिस अधीक्षक के कार्यालय आये थे.
जानकारी मुताबिक बरपेटा जिले के विभिन्न क्षेत्रों के 28 लोगों को पुलिस थाने में बुलाया गया था, जिसके बाद सभी को पुलिस अधीक्षक कार्यालय ले जाया गया और फिर एक बस में बिठाकर सभी को ग्वालपाड़ा स्थिति डिटेंशन कैम्प भेज दिया गया. बताया जा रहा है कि इन लोगों के पास भारतीय कागजात नहीं थे. इन सभी को असम पुलिस द्वारा विदेशी नोटिस दिए गए थे साथ ही ये मामला विदेशी न्यायाधिकरण को भेजा गया था. कई सुनवाई के अंत में इन्हें विदेशी घोषित कर दिया गया. जिसके बाद सभी 28 लोगों को डिटेंशन कैंप भेज दिया गया.
मुस्लिम संगठन के नेताओं ने जताई नाराजगी
वहीं मामले को लेकर मुस्लिम समाज के लोगों में खासा नाराजगी देखी जा रही है. स्थानीय मुस्लिम संगठन के नेताओं ने इस पर आपत्ति जताई है. उनका कहना है कि सरकार केवल मुसलमान को टारगेट कर रही हैं और हमारे लोग लोग विदेशी नहीं है. संगठन के नेताओं ने कहा कि उनका आधा परिवार भारतीय नागरिक है तो फिर वो लोग विदेशी कैसे हो गए. नेताओं ने सरकार से सवाल किया कि सरकार विदेशी की पहचान की बात करती है तो वो लोग ये जानना चाहते हैं कि अब तक सरकार ने कितने विदेशियों की शिनाख्त की हैं इस बात का खुलासा करे.
‘डिटेंशन कैंप में रखे गए सभी लोग भारतीय हैं’
इस मामले पर असम मुस्लिम स्टूडेंट्स यूनियन के चीफ आशिक रब्बानी ने कहा कि 28 लोगों को फॉरेन ट्रिब्यूनल के जरिए डिटेंशन कैंप में रखा गया है, जो पूरी तरह से गलत है. उन्होंने कहा कि डिटेंशन कैंप में रखे गए सभी लोग भारतीय हैं और उनके पास भारतीय होने के पूरे दस्तावेज हैं. उन्होंने ये भी कहा कि इस मामले को लेकर आने वाले दिनों में आंदोलन करेंगे. वहीं दूसरी तरफ गुवाहाटी हाई कोर्ट की सीनियर वकील रेजावल करीम ने असम की पार्टी संगठन से इन 28 लोगों को हर संभव मदद देने की अपील की है.