‘असम में कम हो रही हैं उग्रवाद की घटनाएं,’ CM सरमा बोले- थानों को अधिक जन केंद्रित स्थानों में बदलना होगा

Assam First Civil Committee Conference: असम के मुख्यमंत्री हिमंत बिस्वा सरमा ने शनिवार को कहा कि राज्य में थानों को और अधिक जन-केंद्रित बनाने की जरूरत है. उन्होंने कहा कि असम में उग्रवाद से जुड़ी घटनाओं में कमी आने के साथ ही थानों को अधिक जन-केंद्रित स्थानों में तब्दील करना होगा. इस दौरान मुख्यमंत्री ने सार्वजनिक सेवा की जिम्मेदारियों में पुलिसकर्मियों की सहायता के लिए नागरिक समितियों की भूमिका पर भी जोर दिया.
हिमंत बिस्वा सरमा ने कहा, ‘पिछले तीन दशक से असम उग्रवाद से जूझ रहा है. पुलिस का ध्यान उग्रवाद-रोधी उपायों पर केंद्रित था. मैं यह नहीं कहूंगा कि उग्रवाद पूरी तरह से खत्म हो गया है, लेकिन घटनाएं कम हो रही हैं. थानों को अधिक जन-केंद्रित स्थानों में बदलना होगा.’ सीएम सरमा राज्य के सभी 307 थानों की नागरिक समितियों के पहले राज्य-स्तरीय सम्मेलन को संबोधित कर रहे थे.
समितियां पुलिस बल को मदद कर सकती हैं- CM
असम के सीएम ने कहा कि पुलिसकर्मियों की ड्यूटी की लंबी और कठिन प्रकृति उन्हें उनके नियमित व्यवहार में कठोर बनाती है. नागरिक समितियों की भूमिका कर्मियों को नागरिक कार्यों में लगे रहने में मदद करने से तनाव भी कुछ कम हो सकता है. उन्होंने कहा कि समाज के भीतर पैदा सकारात्मकता धीमे, लेकिन स्थायी सामाजिक परिवर्तन का कारक हो सकती है.
उन्होंने कहा कि समितियां पुलिस बल को सौंपी गई सार्वजनिक सेवा जिम्मेदारियों के निर्वहन में मदद कर सकती हैं. सीएम ने कहा कि, ‘पुलिस व्यवस्था के दो पहलू हैं- आपराधिक न्याय का प्रशासन और सार्वजनिक सेवा. पहले पहलू को भारतीय न्याय संहिता द्वारा निपटा जा सकता है. आपराधिक न्याय, आपराधिक जांच, आरोप-पत्र दाखिल करना, पहले पहलू में शामिल हैं, समितियों का इस संबंध में कोई लेना-देना नहीं है.’
‘हम फॉरेंसिक साइंस इकाई में भी सुधार कर रहे हैं’
सरमा ने कहा, ‘समितियों को थानों और जनता के बीच अच्छे संबंध बनाए रखने होंगे.’ मुख्यमंत्री ने कहा कि थाने मेले और त्योहार आयोजित करने की अनुमति देने, अपने अधिकार क्षेत्र के तहत निवासियों को विभिन्न प्रमाण-पत्र जारी करने जैसी कई जिम्मेदारियां निभाते हैं. समितियां ऐसी सेवाओं के तुरंत निपटान में सकारात्मक भूमिका निभा सकती हैं.
ये भी पढ़ें- कोलकाता रेप केस: क्या आरोपी को बेल दे दें? कोर्ट में CBI के वकील के नदारद रहने पर जज हुईं नाराज
उन्होंने कहा, ‘अपराध दर में कमी आ रही है. जिन मामलों में फॉरेंसिक राय की जरूरत नहीं है, उनमें आरोप-पत्र समय पर दाखिल किए जा रहे हैं. हम अपने फॉरेंसिक साइंस इकाई में भी सुधार कर रहे हैं, ताकि ऐसे मामलों में भी आरोप-पत्र तीन महीने के भीतर दाखिल किए जा सकें.’ सरमा ने कहा कि नई समितियां अक्टूबर से काम करना शुरू कर देंगी.

Similar Posts

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *