असुरक्षा और राजनीतिक अस्थिरता के बीच कैसे फंस गया है पेरिस ओलंपिक?
पेरिस ओलंपिक का उद्घाटन होने जा रहा है. फ्रांस में हो रहा दुनिया का ये सबसे बडा खेल आयोजन इस बार असुरक्षा और राजनीतिक अस्थिरता में फंसा है. 26 जुलाई से 11 अगस्त होने वाले इस आयोजन के लिए राष्ट्रपति इमैनुएल मैक्रों ने भले ही राजनीतिक संघर्ष विराम का ऐलान कर दिया हो, लेकिन इस्तीफे का इनकार कर राजनीतिक हलचल को बरकरार रखा है. उधर फ्रांस के प्रधानमंत्री गेब्रियल अटाल ने यह कहकर दुनिया को सकते में डाल दिया है कि ओलंपिक पर आतंकी हमले का खतरा वास्तविक है.
फ्रांस में नेशनल असेंबली के लिए हुए चुनाव में किसी को बहुमत हासिल नहीं हुआ है. ऐसे में पिछले दो सप्ताह से देश में राजनीतिक माहौल में हलचल है. संसद में बहुमत न हासिल कर पाने के कारण सभी दलों में इस बात की चर्चा है कि आखिर सरकार कौन और कब बनाएगा. 23 जुलाई को मैंक्रो ने इस पर अपनी बात रखी और राजनीतिक अस्थिरता को समाप्त करने की कोशिश की. मैक्रों ने यह भी कहा कि ओलंपिक चलते तक देश में नई सरकार नहीं बनेगी, हम अभी ऐसी स्थिति में सरकार बदलेंगे तो गड़बड़ी पैदा करेंगे.
फ्रांस में क्यों है राजनीतिक अस्थिरता
फ्रांस में हाल ही में चुनाव हुए थे. इस चुनाव में किसी दल को बहुमत नहीं मिला है. 577 सीटों पर हुए चुनाव में नंबर एक पर वामपंथी न्यू पॉपुलर फ्रंट रहा है. इससे इमैनुएल मैक्रों को करारा झटका लगा है. दरअसल फ्रांस में बहुमत के लिए 289 सीटें जीतना जरूरी है. चुनाव में वामपंथी दल को 182 सीटों पर जीत मिली हैं, जबकि मैक्रों के मध्यमार्गी गठबंधन को 168 और लेपेन की पार्टी ने 143 सीटें जीती हैं. फ्रांस के संविधान के मुताबिक त्रिशंकु चुनाव परिणाम के बावजूद कम से कम एक साल तक चुनाव नहीं कराए जा सकते. ऐसे में फ्रांस के राजनेताओं में नई सरकार को लेकर जद्दोजहद चल रही है. मैक्रों ने इसी पर लगाम लगाने के लिए ओलंपिक तक नई सरकार का गठन न करने का फैसला लिया है.
ओलंपिक की सुरक्षा पर भी सवाल
पेरिस ओलंपिक की सुरक्षा को लेकर सवाल हाल ही में उस वीडियो के बाद उठे थे, जो हमास का बताया जा रहा था. इसमें ओलंपिक में खून की नदिया बहाए जाने की बात कही गई थी. यह वीडियो फर्जी निकला, लेकिन सुरक्षा पर सवाल अब भी बना हुआ है. खास तौर से रूस की राजधानी मॉस्को में पिछले दिनों जिस तरह से कॉन्सर्ट हॉल में हमला हुआ था, उसे लेकर फ्रांस में लोग डरे हुए हैं. खुद प्रधानमंत्री गेब्रियल अटाल ने एक दिन पहले ही पत्रकारों के साथ बातचीत में इसकी पुष्टि की है. उन्होंने कहा है कि फ्रांस को जो आतंकी हमले की धमकी मिली है, वह वास्तव में बहुमत मजबूत है. हालांकि उन्होंने भरोसा जताया कि पहले ही हमने आतंकी हमलों की साजिशें नाकाम की हैं, इस बार भी करेंगे.
बढ़ा दी गई है सुरक्षा
पेरिस ओलंपिक पर खतरे को देखते हुए सुरक्षा व्यवस्था कड़ी कर दी गई है. फ्रांसीसी मीडिया के मुताबिक 45 हजार से ज्यादा पुलिसकर्मी तैनात किए गए हैं, 18 हजार आर्मी के जवानों को लगाया गया है. इसके अलावा 20 से 22 हजार निजी सुरक्षा गार्ड भी लगाए जा रहे हैं. ओलंपिक में भाग लेने वाले एथलीट और अन्य स्टाफ को भी सघन तलाशी से गुजरना पड़ रहा है.
मैक्रों ने क्या कहा?
राजनीतिक अस्थिरता और सुरक्षा को लेकर पेरिस ओलंपिक पर सवाल उठने के बाद फ्रांस के राष्ट्रपति मैक्रों खुद सामने आए और आयोजन के सफल होने की उम्मीद जताई है. मैक्रों ने कहा है कि 26 जुलाई की शाम को योजनाबद्ध तरीके से ऐसा उद्घाटन कार्यक्रम आयोजित किया जाएगा जो बेहद ही भव्य होगा. सुरक्षा को लेकर मैक्रों ने कहा कि सभी सुरक्षा इंतजामात पूरे हो गए हैं. सड़कों पर बेरीकेड लगाए गए हैं, क्यूआर कोड के माध्यम से ही लोगों को प्रवेश दिया जा रहा है. उन्होंने यह माना कि इस तरह के सुरक्षा इंतजाम से शहरवासियों और पर्यटकों को परेशानी हो रही हैं, लेकिन जब सदी का सबसे बड़ा खेल आयोजन होता तो इस तरह की परेशनियां झेलनी होती हैं.
राजनीतिक अस्थिरता में मैक्रों ने कहा कि ओलंपिक खेल समाप्त होने तक फ्रांस की राजनीति में कुछ नहीं बदलेगा. उन्होंने साफ तौर पर कहा कि जब तक आयोजन समाप्त नहीं होगा तब तक नए प्रधानमंत्री की नियुक्ति नहीं की जाएगी. अगर आयोजन से पहले ऐसा कुछ किया गया तो बड़ी गड़बड़ी होगी, क्योंकि हम इसके लिए तैयार नहीं हैं.