आंधी – तूफान के बाद अस्पतालों में बढ़े सांस के मरीज, जानिए क्या है थंडरस्टॉर्म अस्थमा

शुक्रवार शाम को मौसम ने करवट ली और अचानक दिल्ली और आसपास के इलाकों में तेज आंधी आई. तूफानी हवाओं की वजह से कई इलाकों में धूल के कण बढ़ गए. इससे कई लोगों को काफी परेशानी का सामना करना पड़ रहा है. अस्पतालों में अस्थमा और सांस की दूसरी बीमारियों के मरीज आ रहे हैं. एक्सपर्ट्स का कहना है कि दिल्ली में आई आंधी के कारण ‘थंडरस्टॉर्म अस्थमा’ के मरीजों की संख्या बढ़ सकती है. ऐसे में लोगों को अपनी सेहत का खास ध्यान रखने की जरूरत है. आइए पहले जानते हैं कि ‘थंडरस्टॉर्म अस्थमा क्या होता है.
दिल्ली हार्ट एंड लंग इंस्टीट्यूट के डॉक्टर भरत गोपाल बताते हैं कि थंडरस्टॉर्म अस्थमा’ एक ऐसी कंडीशन है जिसमें आंधी के बाद हवा में अचानक से एलर्जी पैदा करने वाले कणों की मात्रा बढ़ जाती है. इससे लोगों को सांस लेने में परेशानी, खांसी, सीने में दर्द और घरघराहट जैसे परेशानी हो सकती है. अस्थमा के मरीजों में ये लक्षण बढ़ सकते हैं. खासतौर पर बच्चों और अस्थमा के बुजुर्गों मरीजों की परेशानी बढ़ सकती है. डॉ. भरत का कहना है कि आंधी के बाद थंडरस्टॉर्म अस्थमा की समस्सया बढ़ सकती है. ऐसे में बचाव जरूरी है.
किसको है ज्यादा खतरा
थंडरस्टॉर्म अस्थमा के कारण उन लोगों को ज्यादा परेशानी है जो पहले से अस्थमा और सांस की समस्या से पीड़ित हैं. जिन लोगों को धूल-मिट्टी, महीन कचरे के कणों से दिक्कत होती है. जो लोग हार्ट के मरीज हैं उनकी परेशानी भी बढ़ सकती है. गर्भवती महिलाओं की सेहत पर भी इसका असर पड़ सकता है.
दिल्ली के मूलचंद अस्पताल में पल्मोनोलॉजिस्ट डॉ भगवान मंत्री के मुताबिक, वातावरण में धूल- मिट्टी बढ़ने के बाद सांस संबंधी परेशानी बढ़ सकती है. ऐसा इसलिए होता है क्योंकि धूल के कण सांस के जरिए फेफड़ों में जाते हैं और एलर्जी का कारण बनते हैं. जिनको पहले से ही सांस की कोई बीमारी है तो ऐसे मरीजों की परेशानी बढ़ जाती है. फिलहाल अगर आगे भी अगर मौसम इसी तरह खराब होता है तो समस्या और भी बढ़ने का खतरा है. ऐसे में जरूरी है कि पहले से ही बचाव करें.
बचाव के लिए क्या करें
अगर बाहर जाना जरूरी हो तो मास्क पहनें
अपनी अस्थमा की दवाएं हमेशा साथ रखें.
बुजुर्ग मरीज बाहर जानें से पहले सावधानी बरतें.
कोई भी लक्षण दिखने पर डॉक्टर से सलाह लें

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