आजम से लेकर नवाबों की कहानी… CM योगी ने मुरादाबाद मंडलीय गजेटियर किया लॉन्च
यूपी के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने आज मुरादाबाद के गजेटियर का विमोचन किया. सीएम ने कहा कि इस तरह के प्रयास से हमें अपने इतिहास का पता चलता है. यहीं से बेहतर भविष्य का भी रास्ता मिलता है. गजेटियर की परिभाषा के अनुसार गजेटियर किसी क्षेत्र-विशेष की भौगोलिक संरचना, इतिहास, राजनीतिक, सामाजिक-आर्थिक स्थिति और सांस्कृतिक विरासत का विवरण प्रस्तुत करता है. मुरादाबाद मण्डलीय गजेटियर तैयार करने का यही उद्देश्य है. गजेटियर की स्थापित परंपरा में थोड़ा बदलाव करते हुए मण्डलीय गजेटियर में जन-कल्याणकारी योजनाओं और विकासपरक परियोजनाओं को शामिल किया गया है.
साल 2023 में मुरादाबाद के मंडलीय गजेटियर का पहला खंड प्रकाशित हुआ. कई तरह की कठिनाइयों और समय-सीमा के कारण मण्डलीय गजेटियर का पहला खंड मुरादाबाद के ऐतिहासिक और सांस्कृतिक पहलुओं को विस्तार पूर्वक समेट नहीं पाया था.. गजेटियर के पहले खंड में स्थानीय शासन और प्रशासन से जुड़ी रोचक जानकारियां थीं. गजेटियर के पहले खंड की सीमाओं के कारण इसके दूसरे खंड की जरूरत महसूस हुई. गजेटियर के दूसरे खंड में मुरादाबाद के ऐतिहासिक और सामाजिक पहलुओं के साथ कहानियों के धागों में उलझे और धुंधले हो रहे एवं विलुप्त हो रहे सच को खोजने का प्रयास किया गया है.
गजेटियर में दर्ज हैं कई अहम बातें
इसी प्रयास से पता चला भारतवर्ष को अपना नाम देने वाले राजा भरत का जन्म स्थल ऋषि कण्व आश्रम बिजनौर के मंडावर क्षेत्र में है. मण्डावर बौद्ध धर्म का एक प्रमुख केंद्र था जिसका उल्लेख चीनी यात्री ह्वेनसांग ने अपनी पुस्तक में किया है. धर्म-ग्रंथों के अनुसार सम्भल वह स्थल है जहां भगवान कल्कि अवतरित होंगे. अबुल फजल ने ‘आइन-ए-अकबरी’ में सम्भल स्थित भगवान विष्णु के प्रसिद्ध मंदिर, ‘हरि मंदिर’ का उल्लेख किया है. हालांकि मुरादाबाद गजेटियर (1911) के अनुसार हरि मंदिर अस्तित्व में नहीं था, पर मंदिर का स्थान एक मस्जिद ने ले लिया था.
कई प्राचीन स्थलों की जानकारी
अलग-अलग प्रचलित मान्यताओं को टटोलने के दौरान स्थलों की प्राचीनता के सम्बंध में नई जानकारी मिली. रामपुर के भमरौआ में पातालेश्वर महादेव मंदिर को नवाबों ने बनाया था. वैसे रामपुर रियासत के गजेटियर (1911) और रजा लाइब्रेरी के दस्तावेज बताते हैं कि मंदिर नवाब काल से पुराना है. रामपुर में तूती के मकबरे की कहानी भी कुछ ऐसी ही है. इन कहानियों को सुलझाने के प्रयास में उद्घाटित होता है नवाब सरदार दुल्हन (तूती बेगम) का जीवन, जिनकी रामपुर रियासत में साहित्य और संगीत को समृद्ध करने में बड़ा रोल रहा है. रामपुर की वो एकमात्र बेगम हैं जिनका मक़बरा आज भी है. कहानी एक और व्यक्ति की भी बड़ी दिलचस्प है. वो इसलिए क्योंकि उनका सामाजिक आधार बिल्कुल अलग है.
दूसरे खंड में जनजातियों और समुदाओं की जानकारी
सुल्ताना एक डाकू था परं उसकी कहानी जिम कॉर्बेट को अपनी पुस्तक में उसके विषय में संवेदनशील ढंग से लिखने के लिए विवश कर देती है. सुल्ताना डाकू का जीवन समाज के शोषक और शोषित वर्गों के परस्पर संबंधों के एक विलक्षण आयाम की ओर संकेत करता है. जो ब्रिटिश शासन द्वारा लागू क्रिमिनल ट्राइब्स एक्ट के रूप में परिलक्षित हुआ. इस क्रम में गजेटियर के दूसरे खण्ड में उन जातियों-जनजातियों-समुदायों का विवरण भी शामिल किया गया है जिन्हें क्रिमिनल ट्राइब्स एक्ट में शामिल किया गया था.
संस्कृति और अतीत की खोज की यह यात्रा कण्व आश्रम की तलाश में मालिन नदी से शुरू हुई थी. नदियों के अस्तित्व के चिन्ह महत्त्वपूर्ण इसलिए भी हैं क्योंकि नदियां प्राचीन सभ्यताओं का केंद्र-बिंदु रही हैं. इस क्रम में पुराने गजेटियर में दर्ज मण्डल में प्रवाहित होने वाली विभिन्न छोटी-बड़ी नदियों के प्रवाह का वर्तमान परिस्थिति से मिलान करने का प्रयास किया गया है. इस उपक्रम में मण्डल की नदियों और झीलों आदि जलाशयों में एक शताब्दी से अधिक समय के दौरान हुए परिवर्तनों पर ध्यान केंद्रित हुआ है जो भविष्य की कार्य-योजना के लिए महत्वपूर्ण सिद्ध होगा.
गजेटियर में मंडल के कई व्यक्तियों का भी जिक्र
मण्डल में प्रचलित अलग-अलग हस्तशिल्प और उद्योगों के उद्भव की खोज शताब्दियों पीछे के समय की ओर ले जाती है. इस क्रम में यह पता चला है कि शताब्दियों के प्रवाह में कई विशेष हस्तशिल्प विलुप्त भी हो गए हैं. जैसे रामपुर का विशिष्ट कॉटन कपड़ा- खेस. गजेटियर में मंडल से जुड़े विभिन्न व्यक्तियों के योगदान को स्थान दिया गया है. इस विषय के दो पहलू हैं. एक, महत्त्वपूर्ण व्यक्तियों की स्मृति संजोना और दूसरा, उनके विचारों के विश्लेषण का प्रयास करना.
जैसे कि रामपुर के मौलाना मोहम्मद अली जौहर की पत्नी अमजदी बेगम ‘पाकिस्तान प्रस्ताव’ के समय मुस्लिम लीग की वर्किंग कमेटी की सदस्य थीं. यदि मौलाना मोहम्मद अली जौहर 1940 ई० तक जीवित रहते, पाकिस्तान के सम्बन्ध में उनका क्या मत होता? मण्डलीय गजेटियर का द्वितीय खण्ड वस्तुत:मण्डल के ऐतिहासिक, सामाजिक, सांस्कृतिक अस्तित्व से सम्बन्धित बहुआयामी प्रश्नों के उत्तरों की खोज की यात्रा है.