आतंकवाद को पनाह देने वालों को बेनकाब करें… SCO के शिखर सम्मेलन में भारत की दो टूक
कजाकिस्तान की राजधानी में शंघाई सहयोग संगठन (SCO) के शिखर सम्मेलन का आयोजन हुआ. इसमें विदेश मंत्री एस. जयशंकर ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के विचार रखे. उन्होंने आतंकवाद, जलवायु परिवर्तन, क्षेत्रीय अखंडता का सम्मान, कई देशों के बीच हालिया वैश्विक तनाव जैसे मु्द्दों पर भारत का पक्ष रखा. उन्होंने कहा कि इन सभी मुद्दों के व्यापक निहितार्थ हैं. इनसे निपटने के साथ ही हमें यह भी साफ देना चाहिए कि दुनिया बहुध्रुवीयता की ओर बढ़ रही है. ऐसे में SCO की अहमियत और अधिक बढ़ जाती है लेकिन इसका महत्व इस बात पर निर्भर करेगा कि हम आपस में कितना अच्छा सहयोग करते हैं.
विदेश मंत्री ने कहा, आतंकवाद हममें से कई देशों के लिए बड़ी चुनौती है. कुछ देश इसे अस्थिरता लाने के साधन के रूप में इस्तेमाल कर रहे हैं. सीमा पार आतंकवाद से हमारे अपने अनुभव हैं. किसी भी रूप में आतंकवाद को बर्दाश्त नहीं किया जा सकता है. आतंकवादियों को पनाह देने वालों की निंदा की जानी चाहिए. ऐसे देशों को अलग-थलग और बेनकाब करने की जरूरत है. इस मामले में SCO अपनी प्रतिबद्धता से पीछे नहीं हट सकता. हम दोहरे मापदंड नहीं अपना सकते.
मेक इन इंडिया’ से वैश्विक अर्थव्यवस्था को मिलेगी मदद
भू-अर्थशास्त्र की बात करते हुए जयशंकर ने कहा कि कोविड ने हमें ये सिखाया दिया है कि विश्वसनीय और लचीली आपूर्ति श्रृंखलाएं बनाई जाएं. वैश्विक विकास के इंजन को ‘मेक इन इंडिया’ जोड़ सकता है. इससे वैश्विक अर्थव्यवस्था को लोकतांत्रिक बनाने में मदद मिलेगी. ग्लोबल साउथ के देशों के साथ भारत क्षमता निर्माण में साझेदारी करने के लिए तैयार है.
विकास और सुरक्षा दोनों में गेम चेंजर है टेक्नोलॉजी
टेक्नोलॉजी पर बात करते हुए उन्होंने कहा कि यह विकास और सुरक्षा दोनों में गेम चेंजर साबित हो रही है. डिजिटल युग में विश्वास और पारदर्शिता की बहुत जरूरत है. एआई के रोल को नकारा नहीं जा सकता है. साइबर सुरक्षा भी एक अहम मुद्दा है. भारत ने टेक्नोलॉजी पर काम करते हुए ये दिखाया है कि डिजिटल लेन-देन में बहुत बड़ा बदलाव लाया जा सकता है.
अफ़गानिस्तान से हमारे बीच ऐतिहासिक संबंध हैं
प्रधानमंत्री के विचारों को रखते हुए उन्होंने आगे कहा, विकास के रास्तों को सहयोगात्मक रूप से तलाशना बेहद अहम है. हालिया वैश्विक बहस नए कनेक्टिविटी लिंकेज बनाने पर केंद्रित है. इससे दुनिया को बहुत फायदा होगा. इस दौरान उन्होंने अफगानिस्तान के मुद्दे पर भी बात की.
विदेश मंत्री ने कहा, मैं अफ़गानिस्तान के बारे में बात करना चाहूंगा. हमारे बीच ऐतिहासिक संबंध हैं. विकास परियोजनाएं, मानवीय सहायता, क्षमता निर्माण और खेल जैसे मुद्दों को हमारे सहयोग में शामिल हैं. अफगानिस्तान के लोगों की जरूरतों और आकांक्षाओं के प्रति भारत संवेदनशील है.
अंग्रेजी को आधिकारिक भाषा का दर्जा देना होगा
उन्होंने कहा कि SCO मौजूदा अंतरराष्ट्रीय व्यवस्था में सुधार के लिए प्रतिबद्ध है. हालांकि, ये तभी संभव होगा, जब ये प्रयास संयुक्त राष्ट्र और उसकी सुरक्षा परिषद तक हों. हमें उम्मीद है कि भविष्य में हम आम सहमति विकसित कर सकते हैं. SCO के आर्थिक एजेंडे को बढ़ाने में भारत ने महत्वपूर्ण योगदान दिया है. हमने SCO स्टार्टअप और इनोवेशन पर विशेष कार्य समूह बनाए हैं. भारत में 1 लाख 30 हजार स्टार्टअप हैं. इनमें 100 यूनिकॉर्न शामिल हैं. भारत का ये अनुभव काफी उपयोगी हो सकता है.
विदेश मंत्री ने चिकित्सा, पर्यटन और शिक्षा जैसे मद्दों पर भी विचार रखे. उन्होंने कहा कि काफी देश SCO से जुड़ना चाहते हैं. इसको देखते हुए हमें अंग्रेजी को तीसरी आधिकारिक भाषा का दर्जा देना होगा. हम सफल शिखर सम्मेलन की मेजबानी के लिए कजाख पक्ष को बधाई देते हैं.