आप आदेश में ये भी लिख दीजिए कि मैं आत्महत्या करूंगा… सुप्रीम कोर्ट में बोला याचिकाकर्ता

सुप्रीम कोर्ट में जनहित याचिका पर विचार नहीं किए जाने पर याचिकाकर्ता ने आत्महत्या करने की धमकी दे दी. कोर्ट ने उसे कई बार समझाया. आदेश लिखते समय कोर्ट ने कहा कि याचिकाकर्ता याचिका की व्याख्या करने में असमर्थ है. इस पर उसने कहा कि आप ये लिख लीजिएगा कि मैं आत्महत्या करूंगा. इसके बाद कोर्ट ने कहा कि अब आप सीमा लांघ रहे हैं.
कोर्ट में एक याचिका दाखिल की गई. इसमें याचिकाकर्ता ने देश के प्रमुख इंजीनियरिंग संस्थानों में छात्रों की आत्महत्या, मानसिक उत्पीड़न, संकाय भर्ती प्रक्रिया में पारदर्शिता नहीं, भेदभाव, भ्रष्टाचार और आरक्षण मानदंडों के उल्लंघन जैसे विभिन्न मुद्दों का जिक्र किया गया. इस पर सुनवाई नहीं करने याचिकाकर्ता ने आत्महत्या की धमकी दी.
आपकी शिकायत क्या है? हमें भी प्रतिवादी बना दीजिए
जस्टिस संजीव खन्ना ने याचिकाकर्ता से पूछा, आपकी शिकायत क्या है? इतने सारे उत्तरदाता हैं. हमें भी प्रतिवादी बना दीजिए. याचिकाकर्ता ने कहा, मैंने आईआईटी हैदराबाद में भी आवेदन किया था, लेकिन दो राउंड के बाद मुझे बाहर कर दिया गया. कोर्ट ने कहा कि जिस तरह से आप आगे जा रहे हैं, आप कहीं नहीं जाएंगे.
तो मैं आत्महत्या कर लूंगा, मेरे 4 साल बर्बाद हो गए
इसके बाद याचिकाकर्ता ने कहा, तो मैं आत्महत्या कर लूंगा. मेरे तो 4 साल बर्बाद हो गए. इस पर जस्टिस खन्ना ने कहा, ऐसे थोड़ा न होता है. आप अपनी रिसर्च को प्राइवेट सेक्टर में लगाइएगा. याचिकाकर्ता ने कहा, फिर मैं आत्महत्या कर लेता हूं. जस्टिस संजीव खन्ना ने कहा, क्या आप इतने कमजोर हैं. कोर्ट ने आदेश लिखाना शुरू किया… याचिकाकर्ता असंगत है और याचिका की व्याख्या करने में असमर्थ है.
अब आप धमकी दे रहे और सीमा लांघ रहे हैं
इस पर याचिकाकर्ता ने कहा कि आप यह लिख लीजिएगा कि मैं आत्महत्या करूंगा. ये कहने पर कोर्ट ने कहा कि अब आप धमकी दे रहे हैं और अपनी सीमा लांघ रहे हैं. कोर्ट ने अपने आदेश में कहा है कि प्रतिवादी प्रधानमंत्री, कैबिनेट सचिव, एससी के रजिस्ट्रार जनरल और अन्य हाईकोर्ट हैं. याचिका खारिज की जाती है.

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