आम आदमी को आखिर क्यों ‘महंगाई डायन खाए जात है’? RBI की रिपोर्ट में सामने आई वजह
भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) ने महंगाई को कंट्रोल करने के लिए रेपो रेट को एक साल से ज्यादा समय तक 6.5 प्रतिशत पर फिक्स करके रखा है. इससे महंगाई नियंत्रण में आई है, देश की महंगाई जो किसी समय 7 प्रतिशत तक चली गई थी, वह गिरकर 5 प्रतिशत से नीचे आ गई है. हालांकि आम आदमी की थाली अब भी महंगी बनी हुई है. खुद आरबीआई ने अपनी वार्षिक रिपोर्ट में इसकी वजह साफ की है.
आरबीआई की एनुअल रिपोर्ट में ना सिर्फ महंगाई बढ़ने की वजह साफ की गई है, बल्कि आरबीआई की कमाई, उसके पास दौलत का भंडार और बैंकों के पास अनक्लेम्ड पड़े पैसे की डिटेल्स भी शेयर की गई है.
क्यों महंगी हो रही आम आदमी की थाली?
भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) की रिपोर्ट में कहा गया है कि वित्त वर्ष 2023-24 के दौरान देश में महंगाई बढ़ने की बड़ी वजह आम आदमी के स्टेपल फूड यानी गेहूं, चावल और दालों के दाम बेहताशा बढ़ना है. देश के मुख्य मंहगाई दर को बढ़ाने में खाने-पीने की चीजों के दाम की हिस्सेदारी 60.3 प्रतिशत रही है, जो 2022-23 में महज 46 प्रतिशत थी.
रिपोर्ट के मुताबिक, फूड इंफ्लेशन को बढ़ाने में बड़ी भूमिका सप्लाई के अनिश्चित और स्टॉक के कमजोर रहने की रही है. इसकी वजह से ही जो मुख्य महंगाई दर 4 प्रतिशत रहनी चाहिए थी, वह 7 प्रतिशत के करीब तक पहुंची गई थी. फूड इंफ्लेशन ने तो 8.5 प्रतिशत से अधिक तक के स्तर को पार कर लिया.
बैंकों में अनक्लेम्ड पड़ा है 78,000 करोड़
भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) की रिपोर्ट में जानकारी दी गई है कि बैंकों में अनक्लेम्ड पड़े पैसे में 26 प्रतिशत की ग्रोथ दर्ज की गई है. 31 मार्च 2024 के अंत तक देश के तमाम बैंकों में अनक्लेम्ड पड़े पैसे 78,213 करोड़ रुपए हो गए थे. जबकि 31 मार्च 2023 को ये राशि 62,225 करोड़ रुपए थी. रिजर्व बैंक ने बैंकों को इन पैसों को उनके पात्र लोगों तक पहुंचाने के लिए कहा है.
देश के सभी को-ऑपरेटिव बैंक समेत अन्य सभी बैंकों में अगर किसी खाताधारक की रकम 10 साल या उससे अधिक समय तक बिना किसी क्लेम के पड़ी हुई होती है. तब आरबीआई के नियमानुसार उसे अनक्लेमड रकम माना जाता है. इस रकम के लिए क्लेम नहीं किए जाने की स्थिति में जमाकर्ता शिक्षा एवं जागरूकता (डीईए) कोष में स्थानांतरित कर दिया जाता है.
RBI का खाता है 70 लाख करोड़ का
अपनी एनुअल रिपोर्ट में भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) ने ये भी बताया है कि वित्त वर्ष 2023-24 में उसके बही-खाते का आकार 11.08 प्रतिशत बढ़कर 70.47 लाख करोड़ रुपए हो गया है. इसी के चलते वह केंद्र सरकार को 2 लाख करोड़ से अधिक का डिविडेंड देने जा रही है. आरबीआई के बहीखाते का साइज 31 मार्च 2024 तक 7,02,946.97 करोड़ रुपए का हो गया. जो 31 मार्च 2023 तक 63.45 लाख करोड़ रुपए था.
आरबीआई ने 2023-24 के लिए केंद्र सरकार को 2.11 लाख करोड़ रुपए का डिविडेंड दिया है. जबकि 2022-23 में आरबीआई ने केंद्र सरकार को 87,416 करोड़ रुपए का डिविडेंड दिया था. इससे पहले केंद्रीय बैंक ने 2018-19 में सबसे अधिक 1.76 लाख करोड़ रुपए का लाभांश दिया था