आरक्षण पर बांग्लादेश में तनाव बरकरार, ढाका यूनिवर्सिटी बंद, हॉस्टल खाली करने का आदेश, उग्र हुए छात्र
बांग्लादेश में सरकारी नौकरियों में आरक्षण के खिलाफ जोरदार प्रदर्शन किया जा रहा है. आरक्षण के प्रावधानों में सुधार की मांग को लेकर देशभर में किए जा रहे विरोध प्रदर्शनों में 3 छात्रों समेत 6 लोगों के मारे जाने के बाद राजधानी स्थित ढाका यूनिवर्सिटी को अनिश्चितकाल के लिए बंद कर दिया गया है. यूनिवर्सिटी के अधिकारियों की ओर से छात्रों को शाम 6 बजे तक हॉस्टल खाली करने को कहा गया है.
स्थानीय न्यूज पेपर ढाका ट्रिब्यून ने प्रो-वाइस चांसलर (एकेडमिक) प्रोफेसर सीतेश सी बाचर के हवाले से जानकारी दी कि यह फैसला कुलपति एएसएम मकसूद कमाल के ऑफिस में एक आपात बैठक में लिया गया. बाचर ने स्थानीय मीडिया से कहा, “छात्रों की सुरक्षा को ध्यान में रखते हुए हमने यूनिवर्सिटी को अनिश्चितकाल के लिए बंद करने और हॉल खाली कराने का फैसला लिया.”
सभी यूनिवर्सिटीज में कक्षाएं स्थगितः UGC
स्थानीय मीडिया ने अपनी रिपोर्ट में कहा कि यूनिवर्सिटी के छात्र प्रशासन के इस फैसले का जमकर विरोध कर रहे हैं और वे कुलपति आवास के बाहर एकत्र हो गए हैं.
विश्वविद्यालय अनुदान आयोग (UGC) ने सभी यूनिवर्सिटीज से अगली सूचना तक कक्षाएं स्थगित करने और हॉस्टल खाली कराने को कह दिया है. इस मसले पर आज बुधवार को ढाका यूनिवर्सिटी की सर्वोच्च नीति निर्धारण संस्था, सिंडिकेट की तत्काल एक बैठक बुलाई गई.
कल हुए प्रदर्शन में 6 लोगों की मौत
यूजीसी की ओर से यह निर्देश देशभर में शांतिपूर्ण हुए प्रदर्शनों के दौरान हुई कई झड़पों के बाद आया. ये झड़पें सोमवार को तब शुरू हो गईं, जब सत्तारूढ़ अवामी लीग के छात्र मोर्चे के कार्यकर्ता प्रदर्शनकारियों के सामने आ गए और उनके प्रदर्सन का विरोध करने लगे. प्रदर्शनकारियों का कहना है कि वर्तमान आरक्षण व्यवस्था सरकारी सेवाओं में प्रतिभाशाली छात्रों के नामांकन को काफी हद तक बाधित कर रही है. प्रदर्शनकारियों ने देश के 4 अहम शहरों (मध्य ढाका, दक्षिण पश्चिम खुलना, उत्तर पश्चिम राजशाही और चट्टोग्राम) में राजमार्ग और रेल मार्ग को बाधित कर दिया.
बांग्लादेश में सरकारी नौकरियों में आरक्षण प्रणाली में सुधार की मांग को लेकर देश के प्रमुख शहरों में प्रदर्शन कर रहे लोगों और पुलिस के बीच हिंसक झड़प में कल मंगलवार को 3 छात्रों समेत कम से कम 6 लोगों की जान चली गई. प्रदर्शन को हिंसक होता देख स्कूल और कॉलेज को बंद कर दिया गया.
क्यों उग्र हो गए बांग्लादेश के छात्र?
छात्र तब सड़क पर उतर आए जब हाई कोर्ट ने 5 जून को सरकारी नौकरियों में आरक्षण खत्म करने वाले 2018 के सरकारी परिपत्र को अवैध घोषित कर दिया. हालांकि 10 जुलाई को देश के सुप्रीम कोर्ट ने हाई कोर्ट के फैसले पर यथास्थिति कायम रखने का आदेश जारी किया था.
मौजूदा आरक्षण प्रणाली के तहत देश में सरकारी नौकरियों के लिए 1971 के बांग्लादेश मुक्ति संग्राम (Liberation War) के नायकों के संतानों और फिर उनके पौत्र-पौत्रियों के लिए 30%, प्रशासनिक जिलों के लिए 10%, महिलाओं के लिए 10%, जातीय अल्पसंख्यक समूहों के लिए 5% और दिव्यांगों के लिए 1% सीट आरक्षित है.