इंदिरा गांधी के बाद अब जा रहे पीएम मोदी… 41 सालों में कैसे रहे भारत-ऑस्ट्रिया के सम्बंध?

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी तीन दिनों की विदेश यात्रा पर हैं और रूस में 22वें वार्षिक शिखर सम्मेलन में भाग लेने के बाद वह ऑस्ट्रिया जा रहे हैं. विदेश रवाना होने से पहले प्रधानमंत्री ने खुद खुलासा किया कि टेक्नोलॉजी, इनोवेशन और विकास के नए और उभरते क्षेत्रों में दोनों देशों के बीच भारत साझेदारी को और ऊंचाइयों पर ले जाना चाहता है. प्रधानमंत्री मोदी ऑस्ट्रिया के चांसलर से मुलाकार करेंगे तो साथ ही व्यापार और निवेश को लेकर दोनों देशों के कारोबारियों के साथ भी विचार-विमर्श करेंगे. ऑस्ट्रिया में मौजूद भारतीय समुदाय से भी बात करेंगे.
रूस के बाद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ऑस्ट्रिया पहुंच रहे हैं. इंदिरा गांधी के बाद पिछले 41 सालों में भारत के किसी प्रधानमंत्री की यह पहली ऑस्ट्रिया यात्रा है. आइए इसी बहाने जानने की कोशिश करते हैं कि भारत और ऑस्ट्रिया के कैसे संबंध रहे हैं और दोनों देश एक-दूसरे से क्या आयात करते हैं.
75 सालों से हैं राजनयिक संबंध
प्रधानमंत्री मोदी की यह विदेश यात्रा 9-10 जुलाई को ऐसे समय में हो रही है, जब दोनों देशों के बीच राजनयिक संबंधों के 75 साल पूरे हो रहे हैं. साल 1949 में दोनों देशों के बीच राजनयिक संबंध बने थे. इसके बाद प्रधानमंत्री जवाहरलाल साल 1955 में पहली बार ऑस्ट्रिया की यात्रा पर गए थे. इसके बाद प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी साल 1971 में ऑस्ट्रिया की पहली यात्रा पर गई थीं. फिर 1983 में दूसरी ऑस्ट्रिया यात्रा पर गई थीं.
दोनों देशों के बीच चलती रहीं राजनयिक यात्राएं
इसका मतलब यह कतई नहीं है कि भारत और ऑस्ट्रिया के द्विपक्षीय संबंधों में किसी तरह की कोई राजनयिक कमी देखने को मिली है. साल 1980 में ऑस्ट्रियाई चांसलर ब्रूनो क्रेस्की भारत आए तो 1984 में ऑस्ट्रिया के तत्कालीन चांसलर फ्रेड सिनोवाट्ज़ की भारत यात्रा हुई थी. इस बीच भारत और ऑस्ट्रिया के नेता, मंत्री और सांसद दोनों देशों के संबंध मजबूत करने के लिए आते-जाते रहे हैं.
प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी के बाद कोई भारतीय पीएम वहां नहीं गया पर राष्ट्रपति स्तर पर राजनयिक यात्राएं होती रही हैं. साल 1999 में राष्ट्रपति केआर नारायणन और 2011 में राष्ट्रपति प्रतिभा देवी सिंह पाटिल ऑस्ट्रिया की यात्रा पर गए थे. ऐसे ही 2005 में ऑस्ट्रिया के राष्ट्रपति हेंज फिशर भारत आए तो 2010 में ऑस्ट्रिया के उप-चांसलर जोसेफ प्रोल भारत यात्रा पर आए थे.
पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी
भारत के साथ ऑस्ट्रिया के मजबूत आर्थिक संबंध
ऑस्ट्रिया यूरोपीय संघ के सबसे अमीर देशों में से एक है. भारत के साथ इसके मजबूत आर्थिक संबंध हैं. भारत और ऑस्ट्रिया द्विपक्षीय आर्थिक सहयोग को और भी मजबूत करने के लिए समय-समय पर प्रभावी कदम उठाते रहे हैं. इसके लिए साल 1983 में भारत-ऑस्ट्रियाई संयुक्त आर्थिक आयोग (जेईसी) की स्थापना की गई थी. इसके जरिए विभिन्न मंत्रालयों के साथ वाणिज्य एवं उद्योग मंडलों के बीच द्विपक्षीय वार्ता के लिए एक मंच मिलता है. इसके माध्यम से भारत और ऑस्ट्रिया की अलग-अलग फर्मों खासकर इस्पात, विनिर्माण टेक्नोलॉजी, रेलवे और परिवहन, मेटल साइंस और उपकरणों के क्षेत्र में 100 से ज्यादा तकनीकी सहयोग और 60 संयुक्त उद्यम को मिलाकर 200 से अधिक सहयोग हो चुके हैं.
ऑस्ट्रिया और भारत का द्विपक्षीय व्यापार संतुलित
भारत और ऑस्ट्रिया का द्विपक्षीय व्यापार काफी संतुलित है. स्टेटिस्टिक ऑस्ट्रिया की रिपोर्ट के अनुसार साल 2021 में ऑस्ट्रिया को भारत ने 1.29 बिलियन अमेरिकी डॉलर का निर्यात किया. इसी तरह से ऑस्ट्रिया से 1.18 बिलियन अमेरिकी डॉलर का भारत ने आया किया. यानी इस अवधि में दोनों देशों का द्विपक्षीय व्यापार 2.47 बिलियन अमेरिकी डॉलर था.
पीएम मोदी रूस के बाद 10 जुलाई को ऑस्ट्रिया पहुंचेंगे.
ऑस्ट्रिया भारत से क्या-क्या मंगाता है?
ऑस्ट्रिया ने साल 2022 में भारत से करीब 307 मिलियन अमेरिकी डॉलर के इलेक्ट्रिकल और इलेक्ट्रॉनिकल उपकरण, 134 मिलियन डॉलर की मशीनें, न्यूक्लियर रीएक्टर और बॉयलर्स, रेलवे के अतिरिक्त 130 मिलियन डॉलर के वाहन, 124 मिलियन डॉलर के फुटवियर और इससे जुड़े अन्य सामान, 111 मिलियन डॉलर से ज्यादा के कपड़े, 95 मिलियन डॉलर के सिलेसिलाए कपड़े, 90 मिलियन डॉलर के ऑर्गेनिक केमिकल, 59 मिलियन डॉलर के आयरन और स्टील आदि का आयात किया था. इसके अलावा भारत से ऑस्ट्रिया के आयात की लिस्ट काफी लंबी है.
ऑस्ट्रिया से भारत क्या-क्या मंगाता है?
भारत ने भी ऑस्ट्रिया से 2023 में 334 मिलियन डॉलर की मशीनरी आयात की है. इसी साल भारत ने ऑस्ट्रिया से 167.36 मिलियन डॉलर के आयरन और स्टील, 166 मिलियन डॉलर के इलेक्ट्रिकल और इलेक्ट्रॉनिक उपकरण, 103 मिलियन डॉलर से ज्यादा के मैनमेड स्टैपल फाइबर, 88 मिलियन डॉलर से ज्यादा के ऑप्टिकल, फोटो, टेक्निकल और मेडिकल उपकरण, 65 मिलियन डॉलर के ऑर्गेनिक केमिकल और 53 मिलियन डॉलर से ज्यादा के प्लास्टिक का आयात किया है. ऑस्ट्रिया से भारत को आयात किए जाने वाले सामानों की सूची और भी लंबी है.
स्टार्टअप ब्रिज के जरिए और करीब आएंगे दोनों देश
इस बार प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की यात्रा से जहां दोनों देशों के संबंधों को और बढ़ावा मिलने की संभावना है, वहीं भारत-ऑस्ट्रिया स्टार्टअप ब्रिज को और भी रफ्तार मिलने की उम्मीद है. स्टार्टअप ब्रिज को इसी साल फरवरी में दोनों देशों ने ऑस्ट्रिया के श्रम और अर्थव्यवस्था मंत्री मार्टिन मार्टिन कोचर की भारत यात्रा के दौरान नई दिल्ली में शुरू किया था. इसका लक्ष्य भारत और ऑस्ट्रिया के बीच स्टार्टअप्स को लेकर ज्ञान और सहयोग को साझा करना है. इसके तहत पिछले ही महीने यानी जून-24 में 20 भारतीय स्टार्टअप के प्रतिनिधियों ने वियना में एक बहुत बड़े कार्यक्रम में हिस्सा लिया था.
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