इंश्योरेंस पॉलिसी सरेंडर करने पर मिलेगा कितना पैसा? LIC ने कहा – नया नियमों को दोबारा देखे इरडा
देश की सबसे बड़ी बीमा कंपनी भारतीय जीवन बीमा निगम (LIC) ने इंश्योरेंस सेक्टर के रेग्युलेटर भारतीय बीमा विनियामक और विकास प्राधिकरण (IRDAI-इरडा) से बीमा पॉलिसी की सरेंडर वैल्यू तय करने के लिए बनाए गए नए नियमों में संशोधन करने के लिए कहा है. एलआईसी का ये बयान ऐसे मौके पर आया है जब देश में सरेंडर वैल्यू तय करने के नए नियमों को लागू होने में एक महीने से भी कम वक्त बचा है.
जब कोई व्यक्ति अपनी बीमा पॉलिसी को मैच्योरिटी से पहले बंद करता है, तब उसे अपनी बीमा पॉलिसी की सरेंडर वैल्यू ही रिटर्न में मिलती है. हालांकि इसके लिए भी अधिकतर बीमा कंपनियां 3 साल के लॉक-इन पीरियड नियम का पालन करती हैं. यानी यदि कोई व्यक्ति अपनी बीमा पॉलिसी को 3 साल से पहले बंद करता है, तो उसे कोई सरेंडर वैल्यू नहीं मिलती है.
जून 2024 में मिली नए नियमों को मंजूरी
इरडा ने हाल में ही सरेंडर वैल्यू से जुड़े नए नियमों को मंजूरी दी थी. इंश्योरेंस सेक्टर की कंपनियों के साथ कई दौर की लंबी चर्चा के बाद इंश्योरेंस रेग्युलेटर ने जून 2024 में इसकी फाइनल गाइडलाइंस जारी की थीं. इसके बावजूद अब एलआईसी की ओर से इरडा से इन नियमों में संशोधन के लिए कहा है.
सीएनबीसी की एक खबर के मुताबिक नई गाइडलाइंस में इरडा ने सरेंडर वैल्यू को बढ़ाया है. अब ये प्रीमियम का 70 से 75 प्रतिशत होंगी, जबकि पहले सिर्फ 30 प्रतिशत तक की राशि ही ग्राहकों को बीमा पॉलिसी सरेंडर करने पर मिलती थी. इस तरह देखा जाए तो नई गाइडलाइंस बीमा ग्राहक के फायदे को लगभग दोगुना करती है. एलआईसी ने इरडा से सरेंडर वैल्यू के कैलकुलेशन में संशोधन की मांग की है.
कैसे कैलकुलेट होती है सरेंडर वैल्यू?
मान लीजिए आपने 10 साल के लिए कोई लाइफ इंश्योरेंस पॉलिसी खरीदी है. इसका सम एश्योर्ड 2 लाख रुपए है, उस हिसाब से आपका वार्षिक प्रीमियम करीब 20,000 रुपए बनता है. मैच्यारिटी पर आपको एक लाख का बोनस मिलता है और आपका टोटल रिटर्न 3 लाख रुपए हो जाता है. तब उसकी सम एश्योर्ड वैल्यू यानी बीमा की राशि इस फॉर्मूला से कैलकुलेट की जाती है.
चुकाए गए प्रीमियम संख्या
_____________________ X मैच्योरिटी पर पॉलिसी का रिटर्न
चुकाया गया प्रीमियम
जब सरेंडर वैल्यू कैलकुलेट करनी होती है, तब पुराने नियमों में 50 बेसिस पॉइंट का कुशन इन्क्लूड रहता है. इसके लिए 10 साल के सरकारी बॉन्ड पर मिलने वाले 7 प्रतिशत के यील्ड को आधार माना जाता है. अब एलआईसी ने नए नियमों संशोधन करके 50 बेसिस पाफइंट के कुशन को बढ़ाने के लिए कहा है. साथ ही पॉलिसी और बीमा प्लान के हिसाब से बेंचमार्किंग करने के लिए कहा है बजाय कि 10 साल के सरकारी बॉन्ड के यील्ड को आधार मानकर एक ही फिक्स ब्याज दर करने से.
मौजूदा समय में बीमा प्लान में आने वाले कुल पैसे का करीब 70 प्रतिशत इंश्योरेंस कंपनियां 30 साल के सरकारी बॉन्ड में निवेश करती हैं. वहीं 10 साल के सरकारी बॉन्ड पर मौजूदा यील्ड 6.86 प्रतिशत तक मिलता है.