इकोनॉमी के मोर्चे पर अमेरिकी से आई गुड न्यूज, भारत रहेगा नंबर-1
दुनिया की सबसे बड़ी रेटिंग एजेंसीज में से एक मूडीज ने एक बार फिर से भारत की इकोनॉमी पर भरोसा जताया है. मूडीज रेटिंग एजेंसी का अनुमान है कि मौजूदा कैलेंडर ईयर 2024 भारत की ग्रोथ 7.1 फीसदी रह सकती है. खास बात तो ये है कि मूडीज ने अपने अनुमान संशोधन किया है. इससे पहले मूडीज का अनुमान 6.8 फीसदी था. वहीं मूडीज ने अगले कैलेंडर ईयर 2025 में भारत के पुराने में कोई बदलाव नहीं किया है. इसका मतलब है कि अगले साल भारत की इकोनॉमिक ग्रोथ 6.5 फीसदी रह सकती है.
इससे पहले वर्ल्ड बैंक ने पहले सितंबर में इंफ्रा पर पर सरकारी खर्च, रियल एस्टेट में घरेलू निवेश में वृद्धि, उम्मीद से बेहतर मानसून, कृषि उत्पादन और निजी खपत में वृद्धि का हवाला देते हुए भारत के लिए अपने वित्त वर्ष 2025 के अनुमान को 6.6 फीसदी से बढ़ाकर 7 फीसदी कर दिया था. इसी तरह, अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष ने जुलाई में चालू वित्त वर्ष (FY25) में भारत की जीडीपी वृद्धि को 20 आधार अंक बढ़ाकर 7 फीसदी कर दिया था.
मूडीज ने जारी की रिपोर्ट
‘एपीएसी आउटलुक: टू स्टेप्स फॉरवर्ड’ टॉपिक वाली मूडीज एनालिटिक्स रिपोर्ट में कहा गया है कि “विकासशील एशिया में, विकास दर 2023 में 5.5 फीसदी से धीमी होकर 2024 में 5.1 फीसदी और 2025 में 4.9 फीसदी हो जाएगी. भारत में विकास सामान्य होने से इस क्षेत्र के प्रदर्शन पर भी असर पड़ेगा. रिपोर्ट में कहा गया है कि 2023 में 7.8 फीसदी की वृद्धि के बाद, भारतीय सकल घरेलू उत्पाद की वृद्धि 2024 में 7.1 फीसदी और 2025 में 6.5 फीसदी तक हो सकती है. अच्छी घरेलू डिमांड, निवेश में वृद्धि और मजबूत सर्विस एक्टिविटी से उत्साहित भारतीय अर्थव्यवस्था ने पिछले वित्त वर्ष (FY24) के दौरान मजबूत आर्थिक विकास दर्ज किया और चालू वित्त वर्ष (FY25) के दौरान उम्मीदों से अधिक की राह पर है.
सरकार का ये है अनुमान
राष्ट्रीय सांख्यिकी कार्यालय (एनएसओ) द्वारा जारी आंकड़ों के अनुसार, वित्त वर्ष 2024 में भारत की जीडीपी 8.2 फीसदी बढ़ी, जो वित्त वर्ष 2023 में 7 की तुलना में काफी अच्छी है. भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) को उम्मीद है कि वित्त वर्ष 2025 में अर्थव्यवस्था 7.2% की दर से बढ़ेगी. सांख्यिकी मंत्रालय द्वारा जारी आंकड़ों के अनुसार, अप्रैल-जून तिमाही (Q1, FY25) में भारत की अर्थव्यवस्था 6.7 फीसदी की दर से बढ़ी, जो पिछली तिमाही (Q4, FY24) में 7.8 फीसदी की वृद्धि के बाद पांच तिमाहियों में सबसे कम है. हालांकि इस मंदी को, जिसे अस्थायी कहा गया है, आम चुनावों के दौरान आर्थिक गति की कमी, कम सरकारी खर्च और असमान मानसून को जिम्मेदार ठहराया गया है, लेकिन आने वाली तिमाहियों में भारत की आर्थिक वृद्धि में तेजी आने की उम्मीद है.
एसएंडपी ने नहीं किया बदलाव
वहीं दूसरी ओर एसएंडपी ग्लोबल रेटिंग्स ने चालू वित्त वर्ष 2024-25 के लिए भारत का वृद्धि अनुमान 6.8 प्रतिशत पर मंगलवार को बरकरार रखा और कहा कि उसे उम्मीद है कि आरबीआई अपनी अक्टूबर की मौद्रिक नीति समीक्षा में ब्याज दरों में कटौती शुरू कर देगा. एशिया प्रशांत के आर्थिक परिदृश्य में एसएंडपी ग्लोबल रेटिंग्स ने वित्त वर्ष 2025-26 के लिए जीडीपी वृद्धि दर का अनुमान 6.9 प्रतिशत पर बरकरार रखा है. इसमें कहा गया कि भारत में ठोस वृद्धि से भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) मुद्रास्फीति को अपने लक्ष्य के अनुरूप लाने पर ध्यान केंद्रित कर सकेगा.
ब्याज दरों में हो सकती है कटौती
रेटिंग एजेंसी ने कहा कि भारत में अप्रैल-जून तिमाही में उच्च ब्याज दरों ने शहरी मांग को प्रभावित किया और सकल घरेलू उत्पाद की वृद्धि दर धीमी रही. हालांकि, यह समूचे वित्त वर्ष 2024-25 के लिए हमारे सकल घरेलू उत्पाद के 6.8 प्रतिशत की दर के अनुमान के अनुरूप है. एसएंडपी ने कहा कि हमारा परिदृश्य यथावत बना हुआ है. हम उम्मीद करते हैं कि आरबीआई जल्द से जल्द अक्टूबर में दरों में कटौती शुरू कर देगा और चालू वित्त वर्ष (मार्च 2025 में समाप्त होने वाले) में दो बार दरों में कटौती की योजना बनाएगा. एसएंडपी का अनुमान है कि चालू वित्त वर्ष में मुद्रास्फीति औसतन 4.5 प्रतिशत रहेगी.
फेड रिजर्व ने की है कटौती
आरबीआई की ब्याज दर निर्धारित करने वाली मॉनेटरी पॉलिसी कमेटी की बैठक 7 से 9 अक्टूबर को होने वाली है. महंगाई को नियंत्रण में रखने के लिए केंद्रीय बैंक ने फरवरी 2023 से नीतिगत दर को 6.5 प्रतिशत पर यथावत रखा है. अमेरिकी केंद्रीय बैंक फेडरल रिजर्व ने भी अपनी नीतिगत ब्याज दर में 0.50 प्रतिशत की कटौती की है. इसके बाद आरबीआई के अगले महीने इसमें 0.25 प्रतिशत की कटौती करने की उम्मीद है.