इजराइली सेना ने मानी गलती! जिस युवा को जीप के बोनट पर बांधकर घुमाया, उससे नहीं था कोई खतरा

22 जून को एक बार फिर इजराइल सेना की क्रूरता सामने आई थी. जब इजराइल सेना ने जीप के बोनट पर एक घायल फिलिस्तीनी को बांध कर उसको ह्यूमन शील्ड की तरह इस्तेमाल किया था. इस घटना का वीडियो वायरल होने के बाद इजराइल सेना ने बयान दिया था कि जीप के बोनट पर बांधा गया शख्स मिलिटेंट था और क्रासफायर के दौरान उसको गोली लगी. हालांकि सेना ने ये भी कहा था कि जो वीडियो में नजर आ रहा है वे हमारे आदेशों के खिलाफ है और इसकी जांच की जाएगी.
अब इजराइल सेना ने बताया है कि बांधे गए शख्स से कोई खतरा नहीं था. सेना के बयान में कहा गया है कि मुजाहिद अबादी को सेना से कोई खतरा नहीं था, वे मिलिटेंट के साथ गोलीबारी के बीच आ गए और उसको गोली लगी. BBC की रिपोर्ट के मुताबिक मुजाहिद के परिवार ने बताया कि मुजाहिद घर में ही थे और इजराइल सेना ने उन्हें गोली मारी, जब उनके परिवार वालों ने इजराइली सेना से एम्बुलेंस बुलाने की मांग की तो वे इसके बदले मुजाहिद को जीप के बोनट पर बांध के ले गए.
क्या है पूरा मामला?
22 जून को 24 साल के मुजाहिद अबादी को जीप से बांधकर ले जाते हुए दिखाने वाला एक वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हुआ था. जिसकी अमेरिका समेत कई मानव अधिकारों संगठनों ने निंदा की थी. कई लोगों ने कहा था कि यह दिखाता है कि इजराइली सैनिक उसे मानव ढाल के रूप में इस्तेमाल कर रहे थे. इजराइल ने ये कार्रवाई वेस्ट बैंक के जेनिन में मिलिटेंट के खिलाफ एक ऑपरेशन के दौरान की है.
बाद में रेड क्रॉस के सौंपा
BBC की खबर के मुताबिक इजराइल सेना ने मुजाहिद को कुछ घंटो बाद फिलिस्तीन के रेड क्रॉस संघठन को सौंप दिया था. रेड क्रॉस ने ही मुजाहिद को हॉस्पिटल में भर्ती कराया.
गाजा जंग शुरू होने के बाद से इजराइल सेना वेस्ट बैंक में भी कई ऑपरेशन चला रही है. UN के डेटा के मुताबिक पिछले 8 महीनों में करीब 480 फिलिस्तीनियों की मौत हुई है. इनमें मिलिटेंट के साथ साथ आम नागरिक भी बड़ी तादाद में शामिल हैं. वहीं वेस्ट बैंक में ऑपरेशन के दौरान 6 सैनिकों समेत 10 इजराइली भी मारे गए हैं.

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