इजराइल की मदद कर क्या भारत चुका रहा 25 साल पुराना एहसान?
क्या भारत इजराइल का एहसान चुका रहा है. ये सवाल इजराइल के पूर्व राजदूत डैनियल कार्मन के बयान के बाद उठ रहा है. उनका बयान अंतरराष्ट्रीय मीडिया में छाया हुआ है. उन्होंने कहा है कि शायद इस समय भारत इजराइल का एहसान चुका रहा है. डैनियल कार्मन ने दावा किया है कि 1999 के कारगिल युद्ध में इजराइल ने भारत की मदद की थी और यही एहसान शायद अब भारत गाजा जंग में इजराइल को हथियार देकर चुका रहा है. हालांकि यहां साफ कर दें कि अभी तक भारत की ओर से कोई आधिकारिक बयान नहीं आया कि वो इजराइल को कोई भी हथियार दे रहा है.
डैनियल कार्मन 2014 से लेकर 2018 तक भारत में इजराइल के राजदूत थे. एक इंटरव्यू में डैनियल कार्मन ने कहा, इजराइल उन कुछ देशों में से एक था जिसने पाकिस्तान के साथ युद्ध के दौरान भारत को हथियार उपलब्ध कराए थे. भारतीय हमेशा हमें याद दिलाते हैं कि कारगिल युद्ध के दौरान इजराइल उनके साथ था… भारतीय इसे नहीं भूलते हैं और अब शायद वे इस एहसान चुका रहे हैं.’
इजराइल ने अमेरिका के आदेश को मानने से किया था इंकार
1999 के कारगिल युद्ध के दौरान इजराइल ने युद्ध सामग्री और ड्रोन सहित सैन्य आपूर्ति और उपकरण भारत को दिए थे. ‘द इवोल्यूशन ऑफ इंडियास इजराइल पॉलिसी’ किताब में लिखा है कि कारगिल वार के दौरान इजराइल ने भारत को मोर्टार समेत कई कई चीजें भेजी थी. ये ऐसा समय था जब बहुत कम देश भारत की मदद करने को तैयार थे, क्योंकि तब अमेरिका ने इजराइल और यूरोपीय देशों को कहा था कि आपको भारत को हथियार नहीं भेजने हैं और अगर भेजने भी हैं तो देरी से भेजो ताकि तब तक जंग खत्म हो जाए.
लेकिन इजराइल ने अमेरिका के आदेश को मानने से इंकार कर दिया था. जो हथियार इजराइल को कुछ हफ्तों में भेजना था वो उसने कुछ ही दिन में भेज दिए. जंग में भारत को लेजर गाइडेड मिसाइल चाहिए थे. ये मिसाइल इजराइल ने अर्जेंट बेसिस पर भारत को भेजे. इसी को लेकर इजराइल के पूर्व राजदूत कह रहे हैं कि शायद भारत एहसान चुका रहा है.
1971 के युद्ध में भी मदद
भारत ने 1948 में संयुक्त राष्ट्र में इजराइल के गठन के खिलाफ वोट किया था. लेकिन जब इजराइल हथियारों की कमी का सामना कर रहा था तब भी उसके पूर्व प्रधानमंत्री गोल्डा मेयर ने 1971 के युद्ध के दौरान ईरान के लिए हथियारों को भारत में भेजने का फैसला किया. उन्होंने तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी को संबोधित एक नोट भी भेजा, जिसमें हथियारों के बदले में राजनयिक संबंधों की मांग की गई थी.
कारगिल जंग के बाद भारत ने अपनी रक्षा खामियों को देखा और अपनी सेनाओं को आधुनिक बनाने का निर्णय लिया. 2000 में भारत के विदेश मंत्री जसवंत सिंह ने तत्कालीन गृह मंत्री लालकृष्ण आडवाणी के साथ इजराइल का दौरा किया. इसके साथ ही दोनों देश में मंत्री स्तरीय दौरों का सिलसिला शुरू हुआ. भारत ने 1950 में इजराइल को मान्यता दी, लेकिन पूर्ण राजनयिक संबंध स्थापित होने में 40 साल से ज्यादा लगे. मोदी सरकार में भारत-इजराइल संबंधों में और मजबूती आई है. 2017 में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इजराइल का दौरा किया था.