इजराइल पर हमले को लेकर ईरान में सरकार और सेना में मतभेद! क्या है प्लानिंग ?
ईरान के नए राष्ट्रपति मसूद पेजेशकियन और इस्लामिक रिवोल्यूशनरी गार्ड कॉर्प्स (IRGC) के कुछ कट्टरपंथियों के बीच टकराव की स्थिति बनी हुई है. इस गतिरोध ने तेहरान में हमास नेता इस्माइल हनिया की हत्या पर ईरान की प्रतिक्रिया के भविष्य को अधर में लटका दिया है. मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, ईरानी सरकार इस बात पर बंटी हुई है कि हत्या के बाद इजराइल के खिलाफ कैसे जवाबी कार्रवाई की जाए.
IRGC कथित तौर पर तेल अवीव और अन्य प्रमुख इजराइली शहरों पर सीधे और गंभीर मिसाइल हमले की प्लानिंग कर रहा है. हालांकि, राष्ट्रपति पेजेशकियन, जिन्होंने हत्या से कुछ दिन पहले ही अपना पद संभाला था, आईआरजीसी की इस रणनीति का विरोध कर रहे हैं.
मोसाद ठिकानों पर हमले की प्लानिंग
पेजेशकियन अपने उदारवादी रुख और आईआरजीसी द्वारा समर्थित उम्मीदवार पर अपनी चुनावी जीत के लिए जाने जाते हैं. वो इजराइल के बाहर स्थित मोसाद ठिकानों पर हमले की बात कर रहे हैं. खासकर पड़ोसी क्षेत्रों जैसे कि अजरबैजान और इराकी कुर्दिस्तान में. उसका कहना है कि इस प्लानिंग से चलने पर इजराइल के साथ युद्ध का खतरा कम हो जाएगा. पेजेशकियन का मानना है कि इस संघर्ष के ईरान के लिए गंभीर परिणाम हो सकते हैं.
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‘सीधे हमले से बुरे हो सकते हैं परिणाम’
राष्ट्रपति पेजेशकियन के एक करीबी सहयोगी ने मीडिया से बातचीत में बताया, “पेजेशकियन को डर है कि इजराइल पर किसी भी सीधे हमले के परिणाम खराब हो सकते हैं”. सहयोगी ने कथित तौर पर यह भी कहा कि पेजेशकियन ने अजरबैजान और इराकी कुर्दिस्तान को उनकी सीमाओं के भीतर,खास तौर पर इजराइली ठिकानों पर किसी भी हमले से पहले सूचित करने को कहा है.
आईआरजीसी के एक अधिकारी ने बताया कि संगठन राष्ट्रपति की इस प्लानिंग को काफी हद तक खारिज कर रहा है. अधिकारी ने कहा, “सबसे बड़ी चिंता अभी भी हिजबुल्लाह और अन्य के साथ एक ही समय में तेल अवीव पर हमला करना है.” उधर, संगठन के कमांडर इस्माइल कानी ने भी तत्काल और निर्णायक जवाबी कार्रवाई के लिए मजबूत समर्थन व्यक्त किया है.