इन देशों भारत स्टोर करेगा अपना कच्चा तेल, मुसीबत में ऐसे आएगा काम
भारत सरकार अपने तेल भंडारण को बढ़ाने पर विचार कर रही है. इसके लिए सरकार ने देश से बाहर कच्चे तेल का रणनीतिक भंडार बनाने की योजना बनाई है. कच्चे तेल का यह भंडारण केवल आपातकाल स्थिति में हीं नहीं, बल्कि कीमत का फायदा उठाने के लिए भी इसका इस्तेमाल किया जा सकेगा. इसके लिए सरकार जापान, दक्षिण कोरिया और सिंगापुर जैसे देशों पर नजर बनाए हुए है. हालांकि इस बारे में अभी तक कोई ऑफिशियल जानकारी सामने नहीं आई है.
इन 4 देशों में स्टोर हो सकता है कच्चा तेल
लाइव मिंट की एक रिपोर्ट के मुताबिक, कच्चे तेल का रणनीतिक भंडार बनाने के लिए जापान, दक्षिण कोरिया और सिंगापुर में जगह देखे जा रहे हैं. अंतिम निर्णय लेने से पहले इस फैक्टर पर गौर किया जाएगा कि साइट देश के हितों के हिसाब से कितना व्यावहारिक है. रणनीतिक भंडार के लिए जगह चुनने में सबसे ज्यादा इस बात पर ध्यान दिया जाएगा कि स्टोरेज का किराया ट्रांसपोर्टेशन की लागत से ज्यादा न हो जाए. UAE को भी विकल्प के तौर पर देखा जा रहा है.
अमेरिका के साथ पहले ही हो चुकी है डील
यह पहली बार नहीं है, जब भारत देश से बाहर अपने कच्चे तेल को स्टोर करने पर विचार कर रहा है. इससे पहले अमेरिका के साथ भारत का इस तरह का समझौता हो चुका है. साल 2020 में भारत और अमेरिका ने स्ट्रेटजिक पेट्रोलियम रिजर्व को लेकर एक एग्रीमेंट किया था. एग्रीमेंट में भारतीय तेल को अमेरिका में स्टोर करने की संभावनाओं पर गौर करना भी शामिल था.
मुसीबत में कैसे आएगा काम
भारत के बाहर विदेशों में स्टोर किए जाने वाले इस क्रूड का इस्तेमाल भारत अपने इस्तेमाल के लिए कर सकता है. वहीं, अंतरराष्ट्रीय बाजार में कच्चे तेल के दाम का फायदा उठाने के लिए भी इसका इस्तेमाल किया जा सकता है. लेकिन, इसमें कच्चे तेल के दाम में गिरावट से नुकसान का भी जोखिम होगा.
12 मिलियन टन होगी क्षमता
देश से बाहर कच्चे तेल का रणनीतिक भंडार बनाना लंबी अवधि में देश की ऊर्जा जरूरतों को सुरक्षित बनाने की रणनीति का हिस्सा है. भारत के पास अभी देश में 5.3 मिलियन टन कच्चा तेल रखने की व्यवस्था है. इसके लिए विशाखापत्तनम, मंगलुरू और पदुर में भंडार बनाए गए हैं. चांदीखोल और पदुर में नए भंडार भी बनाए जा रहे हैं, जिनकी क्षमता 6.5 मिलियन टन कच्चा तेल स्टोर करने की होगी.
भारत के पास कितना है भंडार?
इंटरनेशनल एनर्जी एजेंसी (आईईए) के अनुसार, सभी देशों को अपने 90 दिनों के शुद्ध आयात के बराबर कच्चे तेल का भंडार रखना चाहिए. भारत इस शर्त को पूरा करने की कोशिश कर रहा है. अभी भारत के रणनीतिक भंडार में 9.5 दिन के आयात के बराबर भंडार है. तेल बेचने वाली कंपनियों के भंडार को मिलाने के बाद यह बढ़कर 74 दिनों की जरूरत के बराबर हो जाता है. यही कारण है कि सरकार कच्चे तेल का रणनीतिक भंडार बढ़ाने के विभिन्न विकल्पों के ऊपर विचार कर रही है.