इमरजेंसी लैंडिंग से पहले हवा में क्यों खत्म करते हैं फ्यूल, क्या होता हाइड्रोलिक ईंधन?

एयर इंडिया की एक फ्लाइट के हाइड्रोलिक सिस्टम में तकनीकी खामी आ गई. इसमें 141 लोग सवार थे. ये फ्लाइट तमिलनाडु के त्रिची से शारजाह जा रही थी. त्रिची एयरपोर्ट पर फ्लाइट की सेफ लैंडिंग हो गई है. इससे पहले फ्लाइट को हवा में ही उड़ाया गया. ताकि तय सीमा में ईंधन को खत्म किया जा सके. अब आप सोच रहे होंगे कि इमरजेंसी लैंडिंग से पहले फ्यूल क्यों खत्म किया गया. तो आइए जानते हैं कि ऐसा क्यों करते हैं?
जब फ्लाइट टेकऑफ करती है तब उसमें भरपूर मात्रा में फ्यूल भरा जाता है. ताकि फ्लाइट अपना सफर कर सके. मगर, फ्लाइट में ज्यादा फ्यूल होने पर लैंडिंग के वक्त प्रेशर की वजह से बड़ी दुर्घटना हो सकती है. यही वजह है कि इमरजेंसी लैंडिंग के समय पायलट प्लेन का फ्यूल हवा में निकाल देता है. जिससे लैंडिंग के वक्त प्रेशर न बने और आसानी से लैंडिंग हो जाए.
फ्लाइट में इस्तेमाल होने वाले फ्यूल को एविएशन फ्यूल कहते हैं. ये पेट्रोलियम और सिंथेटिक फ्यूल ब्लेंड्स से मिलकर बना होता है.
बड़ी पैसेंजर फ्लाइट में 1 घंटे में करीब 2 हजार 400 से 4 हजार लीटर फ्यूल की खपत हो सकती है.
क्या होता है हाइड्रोलिक फ्यूल और हाइड्रोलिक सिस्टम?
फ्लाइट में हाइड्रोलिक फ्यूल का इस्तेमाल हाइड्रोलिक सिस्टम में किया जाता है. ये फ्यूल खनिज तेल या सिंथेटिक हाइड्रोकार्बन से बना होता है. हाइड्रोलिक फ्यूल हाई प्रेशर, टंपरेचर चेंज और जलवायु परिस्थितियों को कंट्रोल कर सकता है. इसका इस्तेमाल ब्रेक, गियरबॉक्स, शॉक एब्जॉर्बर के लिए किया जाता है. ये फ्यूल फ्लाइट हैंगर के दरवाजों के साथ ही फ्लाइट कंट्रोल करने के लिए भी इस्तेमाल किया जाता है.
फ्लाइट की इमरजेंसी लैंडिंग कितने तरह की होती है?

फोर्स लैंडिंग: अमूमन इस तरह की लैंडिंग तब होती है जब फ्लाइट का इंजन फेल हो जाता है.
प्रिकॉशनरी लैंडिंग: ये लैंडिंग तब कराई जाती है जब फ्लाइट में आग लगने की संभावना हो. ऐसा होने के कई कारण होते हैं. जैसे कि ईंधन की कमी और खराब मौसम. इसके साथ ही फ्लाइट में सवार किसी पैसेंजर की तबीयत बिगड़ने पर भी प्रिकॉशनरी लैंडिंग कराई जाती है.
डिचिंग: ऐसा उस स्थिति में होता है जब किसी वजह से फ्लाइट को पानी की सतह पर उतारना पड़े.

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