इलेक्ट्रिक कार नहीं बेकार…फिर भी क्यों खरीदने से डरते हैं लोग? जानिए वजह
आज जमाना स्मार्ट चीजों का है. स्मार्टफोन, स्मार्टवॉच, यहां तक कि घरों को भी स्मार्ट होम्स कहा जाने लगा है. ऐसे में गाड़ियां कैसे पीछे रहतीं…तो स्मार्ट कार के नाम से तो नहीं बल्कि इलेक्ट्रिक कार के नाम से गाड़ियां बाज़ार में आ गई हैं. बस फोन की तरह चार्जिंग पर लगाइए और गाड़ी के फुल चार्ज होते ही निकल पड़िए. लेकिन अगर इतना आसान है इलेक्ट्रिक कार रखना तो इसे खरीदने से लोग बच क्यों रहे हैं?
चलाने में किफायती है इलेक्ट्रिक कार
करीब 6 महीने से इलेक्ट्रिक कार चला रहे मानव का कहना है कि इंडिया में अभी चार्जिंग प्वाइंट कम हैं. मानव भी अपनी गाड़ी घर पर ही चार्ज करते हैं. उनका कहना है कि अगर आप सिर्फ शहर में ही गाड़ी चला रहे हों तो आपके लिए इलेक्ट्रिक गाड़ी बेस्ट है. इसका पिकअप काफी बढ़िया होता है. गाड़ी तुरंत ऐसी स्पीड पकड़ती है कि आपकी ड्राइव फन ड्राइव हो जाती है.
आम तौर पर अगर आप ट्रैफिक में फंसे हों तो पेट्रोल फुंकता है, गाड़ी की माइलेज पर असर पड़ता है लेकिन इलेक्ट्रिक कार में ऐसा कुछ नहीं होता. साथ ही ये काफी कॉस्ट एफिशियंट भी होती है. इसमें करीब 75 पैसे से 2 रुपए प्रति किलोमीटर का खर्च आता है.
फायदे भी कम नहीं
गाड़ी की बैटरी चार्ज करना मुश्किल या आसान
इलेक्ट्रिक कार से जुड़ा जो सबसे बड़ा डर लोगों के मन में होता है वो है चार्जिंग प्वाइंट का. गाड़ी की चार्जिंग अगर बीच रास्ते में खत्म हो गई तो क्या करेंगे, ये एक बड़ा सवाल है. कई ऐसे ऐप्स मौजूद हैं जिनके सहारे आप पता लगा सकते हैं कि चार्जिंग प्वाइंट आपके आस-पास कहां मौजूद हैं. हालांकि कई बार बताई गई जगह पर जो चार्जिंग प्वाइंट होता है वो काम नहीं कर रहा होता जिससे परेशानी बढ़ जाती है. जहां चार्जिंग प्वाइंट हो वहां दो तरह के चार्जर मौजूद होते हैं और ऐप पर पता चल जाता है कि कितने रुपए में, कितनी देर में, बैटरी कितनी चार्ज हो जाएगी. ऐप पर अपनी जरूरत के हिसाब से डिटेल डाल कर गाड़ी चार्ज करनी होती है.
चार्जिंग में लगने वाला वक्त भी लोगों के लिए एक बड़ी समस्या है. हमारे देश में अभी उतने ज्यादा हेवी चार्जर नहीं हैं जिनसे गाड़ी मिनटों में चार्ज हो सके. गाड़ी जब चार्ज के आखिरी प्वाइंट पर पहुंचती है तो गाड़ी की स्पीड भी कम होने लगती है और AC वगैरह भी धीरे काम करने लगते हैं. ऐसे में वक्त रहते गाड़ी को चार्ज कर लेना ठीक रहता है.
चार्जिंग की दिक्कत
कीमत ज़्यादा लेकिन पैसा वसूल
इलेक्ट्रिक गाड़ियों की कीमत थोड़ी ज्यादा होती है. भारत में करीब 7 लाख रुपयों से शुरु होकर इन इलेक्ट्रिक गाड़ियों की कीमत करोड़ों तक जाती है. आम गाड़ियों की तुलना में ये थोड़ी महंगी पड़ती हैं लेकिन माना जाता है कि करीब 5-6 साल के इस्तेमाल के बाद ये गाड़ी अपनी कीमत वसूल लेती है क्योंकि तब तक पेट्रोल के अच्छे-खासे पैसे बच जाते हैं.
इन गाड़ियों में करीब आठ साल की गारंटी होती है यानि तब तक बैटरी कंपनी की ओर से रिप्लेस होती है. हालांकि उसके बाद बैटरी रिप्लेस करना महंगा पड़ता है क्योंकि बैटरी रिप्लेस करना मतलब लाखों का खर्चा. इलेक्ट्रिक कारों में बैटरी की वजह से ही कीमत में इजाफा होता है, और यही बैटरी अगर बाद में रिप्लेस करनी हो तब भी खर्चा इतना होता है कि उतने में नई गाड़ी आ सकती है.
इलेक्ट्रिक गाड़ियों में बैटरी रिप्लेस करने में लगभग गाड़ी की कीमत का आधा या उससे थोड़े ही कम पैसे लग जाते हैं. बैटरी की गारंटी 5 से 8 साल होती है और सही तरीके से रख-रखाव की जाए तो ये बैटरी सालों साल चलती है. बैटरी को ओरिजिनल चार्जर से ही चार्ज करना चाहिए, इससे इनकी लाइफ बढ़ती है. बैटरी खराब होने पर चार्जिंग में समय ज्यादा लगता है, बैटरी डिस्चार्ज भी जल्दी होती है और गाड़ी की रेंज भी कम होने लगती है. ऐसे में जरुरी है कि वक्त रहे बैटरी रिप्लेस करवा दी जाए.
क्या है डर
मेंटेनेंस पर कितना खर्च
इलेक्ट्रिक कार में बस बैटरी और मोटर होती है तो इसमें मेंटेनेंस का ज्यादा झंझट नहीं होता. यानी आम गाड़ियों पर मेंटिनेंस का जो खर्चा होता है वो पैसे भी यहां बचते हैं. ऑटो एक्सपर्ट विक्रम गौर बताते हैं कि इन गाड़ियों को लेकर सबसे बड़ा डर चार्जिंग प्वाइंट ही है, इसके अलावा ये गाड़ियां एक बेहतरीन ऑप्शन साबित होती हैं. सिटी यूज यानी शहर में ही आना-जाना करना हो तो इलेक्ट्रिक गाड़ियां बेस्ट हैं. हां, लेकिन अगर आपके पास एक ही गाड़ी हो तो थोड़ा सोचना पड़ सकता है क्योंकि अमूमन इलेक्ट्रिक कार को शहर से बाहर लॉन्ग ड्राइव के लिए लेकर जाना सही नहीं समझा जाता. वजह वही, चार्जिंग प्वाइंट की दिक्कत और साथ ही चार्जिंग में लगने वाले वक्त की दिक्कत.
जहां इलेक्ट्रिक गाड़ियों को लॉन्ग ड्राइव पर ले जाना मुनासिब नहीं समझा जाता वहीं कई सालों से ईवी का इस्तेमाल कर रहे दिल्ली के निशानेबाज़ महेश राणा तो इसे लेकर 4-5 बार दिल्ली से भोपाल तक जा चुके हैं. उनका कहना है कि इलेक्ट्रिक कार का एक्सपीरियंस एकदम लग्जरी कार जैसा होता है, चलने में स्मूथ, आवाज़ बिल्कुल नहीं. महेश की पत्नी पुष्पांजलि भी अंतर्राष्ट्रीय स्तर की निशानेबाज़ हैं और अब बेटे यश राज ने भी शूटिंग शुरू कर दी है. निशानेबाज़ी के मुकाबलों में भाग लेने के लिए अक्सर महेश अपने परिवार के साथ दिल्ली से बाहर जाते रहते हैं. महेश राणा अपनी गाड़ी घर पर ही चार्ज करते हैं और लॉन्ग ड्राइव पर जाते समय आराम से गाड़ी चलाकर ले जाते है. ज्यादा स्पीड नहीं रखते, बैटरी चार्ज रहते ही चार्जिंग प्वाइंट ढूंढ लेते हैं, पूरा सफर एक साथ तय करने के बजाय रास्ते में कहीं ठहरकर आगे बढ़ते हैं.
क्या आपकी अगली कार इलेक्ट्रिक होगी
इलेक्ट्रिक कार का एक बड़ा प्लस प्वाइंट माना जाता है कि इसमें बिल्कुल आवाज़ नहीं होती, लेकिन ये एक बड़ा नुकसान भी माना जाता है. ध्वनि प्रदूषण के लिहाज से तो ये बेहतर है पर ट्रैफिक के लिए ये बात खतरनाक भी साबित हो सकती है क्योंकि हमारे देश का ट्रैफिक इतनी शांत गाड़ियों के हिसाब से नहीं चलता. लोगों में इसे लेकर एक डर ये भी है कि कहीं ये पानी में खराब न हो जाए या कहीं इसमें शॉर्ट सर्किट जैसी दिक्कत ना हो जाए. लेकिन इन बातों का ख्याल पहले ही रखा जाता है और कस्टमर्स को सलाह दी जाती है कि इन बातों से न डरें.
आपकी अगली कार कौन सी होगी ये पूरी तरह आपका फैसला है. हर यूजर का अपना अलग एक्सपीरियंस होता है, अलग जरूरतें होती हैं. बस आप अपनी जरूरतों पर फोकस करें और फैसला लें कि आपको कौन सी गाड़ी लेनी है, इलेक्ट्रिक या नॉन-इलेक्ट्रिक…
(साथ में फरीद अली)