इलेक्ट्रिक व्हीकल बनेंगे अब पहले से ज्यादा सेफ, सरकार ने सेट किए ये 2 नए सेफ्टी स्टैंडर्ड

इलेक्ट्रिक व्हीकल की सेफ्टी और क्वालिटी को बढ़ाने के लिए भारतीय मानक ब्यूरो (BIS) ने दो नए स्टैंडर्ड पेश किए हैं. इन दो स्टैंडर्ड में पैसेंजर और व्हीकल की सेफ्टी पर और ज्यादा फोकस गिया है. सरकार नॉर्मल व्हीकल की तुलना में इलेक्ट्रिक व्हीकल की तरफ अपना ज्यादा फोकस कर रही है. पिछले कुछ सालों में इलेक्ट्रिक व्हीकल की डिमांड भी काफी बढ़ी है. अब सरकार ने इलेक्ट्रिक व्हीकल की सेफ्टी के लिए 2 नए स्टैंडर्ड पेश किए हैं. ये नए स्टैंडर्ड क्या है और इनसे क्या फायदा होगा यहां इसकी पूरी डिटेल्स पढ़ें.
इलेक्ट्रिक व्हीकल के लिए 2 नए सेफ्टी स्टैंडर्ड
इलेक्ट्रिक व्हीकल के लिए 2 नए स्टैंडर्ड में – ‘IS 18590: 2024’ और ‘IS 18606: 2024’ – का मकसद एल, एम और एन सीरीज में इलेक्ट्रिक व्हीकल की सेफ्टी को बढ़ाना होगा. ये स्टैंडर्ड इलेक्ट्रिक व्हीकल के जरूरी कंपोनेंट्स – पावरट्रेन आदि पर फोकस करते हैं, ये सुनिश्चित करते हैं कि ये सेफ्टी जरूरतों को पूरा करता है. इसके अलावा इस स्टैंडर्ड में, बैटरी की सेफ्टी और परफॉर्मेंस पर जोर दिया जाएगा. ये स्टैंडर्ड पावरफुल और सेफ्टी दोनों को सुनिश्चित करता है.

The Bureau of Indian Standards (@IndianStandards) has introduced two new standards, IS 18590: 2024 and IS 18606: 2024, to enhance the safety of electric vehicles (EVs). These new #BISstandards are designed to ensure that the critical component of #EVs—the powertrain—meets
— All India Radio News (@airnewsalerts) June 23, 2024

ड्राइवर और पैसेंजर दोनों की सेफ्टी
मंत्रालय के मुताबिक, इलेक्ट्रिक मोबिलिटी की तरफ बदलाव कारों और ट्रकों से आगे बढ़ रहा है और ई-रिक्शा और ई-कार्ट पूरे देश में पॉपुलर हो रहे हैं. बीआईएस ने ‘आईएस 18294: 2023’ पेश किया है, ये इन व्हीकल्स के सेफ्टी स्टैंडर्ड को दिखाता है. ये स्टैंडर्ड कंस्ट्रक्शन से से लेकर फंक्शनैलिटी तक के कई पहलुओं को कवर करते हैं, जिससे ड्राइवर और पैसेंजर दोनों की सेफ्टी सुनिश्चित किया जाता है.

बीआईएस ने इन नए स्टैंडर्ड के साथ, देश में एक बार सेट कर दिया है. अब कुल 30 Indian स्टैंडर्ड हैं, जिसमें इलेक्ट्रिक व्हीकल और उनके चार्जिंग सिस्टम भी शामिल हैं. मंत्रालय के मुताबिक, ये स्टैंडर्ड देश में ज्यादा टिकाऊ, पर्यावरण के अनुकूल और एफिशिएंट ट्रांसपोर्टेशन सिस्टम में बदलाव लाने में के लिए जरूरी हैं.

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