इस मामले में भारत के लिए लकी है अमेरिका, हर महीने होता है मोटा फायदा
भारत का ट्रेड दुनिया के हर देश के साथ होता है. इस मामले में अमेरिका भारत के लिए बीते कुछ सालों से काफी लकी रहा है. वास्तव में बते कुछ साल से भारत को अमेरिका के साथ व्यापार करना हमेशा फायदे का सौदा रहा है. भारत का सबसे अच्छा ट्रेड सरप्लस अमेरिका के साथ ही रहा है. शोध संस्थान ग्लोबल ट्रेड रिसर्च इनिशिएटिव (जीटीआरआई) की फ्रेश रिपोर्ट के अनुसार साल की पहली छमाही में भारत का ट्रेड सरप्लस 151 देशों के साथ रहा है. जबकि 75 देश ऐसे रहे जिनके साथ व्यायार करने में देश को नुकसान उठाना पड़ा. इसका मतलब है कि ट्रेड डेफिसिट देखने को मिला. आइए आपको भी बताते हैं कि आखिर जीटीआरआई के आंकड़ें किस तरह के देखने को मिले हैं.
इतने देशों के साथ रहा ट्रेड सरप्लस
भारत का इस साल की पहली छमाही यानी जनवरी-जून 2024 के दौरान अमेरिका और नीदरलैंड सहित 151 देशों के साथ ट्रेड सरप्लस में था. दूसरी ओर देश को चीन और रूस सहित 75 देशों के साथ ट्रेड डेफिसिट का सामना करना पड़ा. शोध संस्थान ग्लोबल ट्रेड रिसर्च इनिशिएटिव (जीटीआरआई) ने यह जानकारी दी और कहा कि भारत को कच्चे तेल और कोयले के आयात से होने वाले व्यापार घाटे के बारे में चिंता करने की जरूरत नहीं है. जीटीआरआई ने साथ ही कहा कि देश को औद्योगिक वस्तुओं के आयात को कम करने पर ध्यान देना चाहिए। यह खासकर चीन जैसे देशों के लिए महत्वपूर्ण है, क्योंकि इससे भारत की आर्थिक संप्रभुता को खतरा पहुंच सकता है.
अमेरिका के साथ सबसे ज्यादा ट्रेड सरप्लस
रिपोर्ट के मुताबिक कि जनवरी से जून 2024 के बीच, भारत का 151 देशों के साथ व्यापार था, जो इसके निर्यात का 55.8 फीसदी और आयात का 16.5 फीसदी था. इस साल जनवरी-जून के दौरान सबसे अधिक सरप्लस अमेरिका (21 अरब अमेरिकी डॉलर) और नीदरलैंड (11.6 अरब डॉलर) के साथ रहा. दूसरी ओर भारत का 75 देशों के साथ व्यापार घाटा था, जो इसके निर्यात का 44.2 प्रतिशत और आयात का 83.5 प्रतिशत था. इसके चलते 185.4 अरब अमेरिकी डॉलर का घाटा हुआ।
जीटीआरआई ने क्या कहा
इस स्थिति से विशिष्ट आयातों पर निर्भरता को कम करने और घरेलू उत्पादन को मजबूत करने की जरूरत पता चलती है. जीटीआरआई के संस्थापक अजय श्रीवास्तव ने कहा कि भारत जिन देशों से मुख्य रूप से सोना, चांदी और हीरा का आयात करता है, उन्हें लेकर भी सजग रहना चाहिए, क्योंकि बजट में इन पर शुल्क को 15 फीसदी से घटाकर छह फीसदी कर दिया गया है. वैसे देश का सबसे ज्यादा इंपोर्ट बिल कच्चे तेल का देखने को मिलता है. वहीं दूसरी ओर भारत ने चीन के सामानों पर डंपिंग ड्यूटी का इस्तेमाल कर आयात को कम करने का प्रयास जरूर किया है, लेकिन उसके बाद सबसे ज्यादा देश का इंपोर्ट भी चीन से ही होता है.