इस सप्लीमेंट को लेने से बढ़ता है हार्ट डिजीज का खतरा, डॉक्टर से बिना पूछे न लें ये दवा

हमारे शरीर को सुचारू रूप से चलाने के लिए हमें कई अहम पोषक तत्वों की जरूरत होती है और जब ये पोषक तत्व हमें भोजन से पर्याप्त मात्रा में नहीं मिल पाते तो हम उसकी पूर्ति के लिए सप्लीमेंट्स लेते हैं. लेकिन एक शोध के मुताबिक एक खास पोषक तत्व के सप्लीमेंट को ज्यादा लेने से दिल की बीमारियों का खतरा बढ़ता है और ये पोषक तत्व है विटामिन बी.
नियासिन ज्यादा लेना खतरनाक
विटामिन बी के सप्लीमेंट आज की तारीख में कई लोग ले रहे होंगे. विटामिन बी हमारे शरीर के लिए एक बेहद ही अहम न्यूट्रिएंट है लेकिन इसकी अधिकता दिल की बीमारियों का खतरा बढ़ा रही है. नेचर मेडिसिन में प्रकाशित रिपोर्ट के मुताबिक विटामिन बी की पूर्ति के लिए ली जाने वाली दवा नियासिन का हाई इनटेक सूजन को ट्रिगर करके रक्त वाहिकाओं को नुकसान पहुंचाता है जिससे हार्ट की बीमारियों का खतरा बढ़ता है. ये विटामिन हमें मांस, मछली, नट्स और फोर्टिफाइ़ अनाज और ब्रेड से मिलता है.
दैनिक जरूरत से ज्यादा न हो मात्रा
पुरुषों के लिए नियासिन की दैनिक मात्रा 16 मिलीग्राम प्रतिदिन और महिलाओं के लिए 14 मिलीग्राम प्रतिदिन है. लेकिन इस रिसर्च के शोधकर्ताओं ने पाया है कि लगभग 4 में से 1 व्यक्ति में नियासिन का स्तर आवश्यकता से अधिक पाया गया है जो कि हृदय संबंधी बीमारियों को ट्रिगर करता है.
शोधकर्ताओं का कहना है कि औसत व्यक्ति को नियासिन की अतिरिक्त खुराक लेने से बचना चाहिए क्योंकि इस रिसर्च से ये सामने आया है कि शरीर में नियासिन की अधिकता हृदय रोगों के खतरे को बढ़ाती है. ज्यादातर लोग अपने खाने से नियासिन की पूर्ति कर पाते हैं इसलिए उन्हें अलग से इसके सप्लीमेंट्स लेने की आवश्यकता नहीं है. वहीं इस पोषक तत्व की कमी से पेलाग्रा नामक घातक बीमारी होने का खतरा रहता है. डॉक्टर कोलेस्ट्रॉल के स्तर में सुधार के लिए नियासिन की खुराक को भी निर्धारित करते हैं.
इस शोध में 1162 रोगियों के खाली पेट ब्लड सैंपल लिए गए जिनसे उनके हृदय संबंधी रोगों की जांच की गई. इस शोध में एक ऐसे पदार्थ की खोज हुई जो केवल नियासिन की अधिकता होने पर ही बनता है.
इस शोध के मुताबिक नियासिन की अधिकता से भविष्य में हार्ट अटैक, स्ट्रोक और मृत्यु तक का जोखिम बढ़ता है. हालांकि अब ऐसी दवा की खोज की जा सकती है जो रक्त वाहिकाओं की सूजन को कम कर सके ताकि हार्ट की बीमारियों के खतरे को कम किया जा सके.

Similar Posts

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *