ईरान-इजराइल में कितनी भी बढ़ जाए लड़ाई, अमेरिका नहीं आने देगा महंगाई
ईरान-इजराइल वॉर की वजह से अगर आपको लगता है कि कच्चे तेल की कीमतें एक बार फिर से नेक्स्ट लेवल यानी 100 डॉलर के करीब पहुंच जाएगी. तो अमेरिका ने उस पर ब्रेक लगा दिया है. अमेरिका ने साफ कर दिया है कि ईरान-इजराइल वॉर की वजह से पूरी दुनिया में महंगाई के आतंक को फिर से आने नहीं दिया जाएगा. अमेरिका के पास भी पर्याप्त मात्रा में कच्चे तेल का स्टॉक है. अगर दुनिया को जरूरत पड़ी तो वह अपने स्टॉक को रिलीज कर सकता है.
वहीं दूसरी ओर दुनिया के 22 ऑयल प्रोड्यूसर्स के संगठन ओपेक+ ने भी दुनिया को बड़ी राहत दी है. ओपेक प्लस के मेंबर्स ने भी साफ कर दिया है कि वे दिसंबर में सप्लाई आउटपुट बढ़ाने के अपने प्लान से पीछे नहीं हट रहे हैं. प्लान वैसा ही रहेगा जो करीब दो महीने पहले तय किया गया था. आइए आपको भी विस्तार से बताने की कोशिश करते हैं कि आखिर अमेरिका ने महंगाई को रोकने का क्या प्लान तैयार किया है? वहीं ओपेक प्लस की मीटिंग में किस तरह के फैसले देखने को मिले हैं?
ईरान-इजराइल की टेंशन का असर
एक अक्टूबर को जब ईरान ने इजराइल पर बैलेस्टिक मिसाइलें छोड़ी थी तो कच्चे तेल की कीमतों में 5 फीसदी से ज्यादा तक की तेजी देखी गई थी. दो अक्टूबर को कच्चे तेल की कीमतें 75 डॉलर प्रति बैरल के पार चली गई थी.
मतलब साफ है कि आने वाले दिनों में मिडिल ईस्ट खासकर ईरान और इजराइल के बीच कितनी ही टेंशन क्यों ना बढ़ जाए, लेकिन दुनिया में कच्चे तेल के दाम में वैसा इजाफा देखने को नहीं मिलेगा. जैसा कि रूस और यूक्रेन वॉर के शुरुआती दिनों के दौरान देखने को मिला. उसके बाद इजराइल-हमास के बीच तनाव के दौरान भी कच्चे तेल की कीमतें बढ़ीं थीं.
अमेरिका के पास पर्याप्त है भंडार
2 अक्टूबर को अमेरिका की ओर से एक रिपोर्ट जारी की गई है, जिसमें बताया गया है कि कच्चे तेल का पर्याप्त रिजर्व उसके पास है. आंकड़ों के अनुसार अमेरिका के पास क्रूड ऑयल स्टॉक 30.89 लाख बैरल देखने को मिला था. वहीं दूसरी ओर गैसोलीन डिमांड कम होकर 6 महीने के निचले स्तर पर आ गई है. ये रिपोर्ट उस ओर इशारा कर रही है कि इजराइल-ईरान टेंशन के बीच दुनिया के बाकी देशों को परेशान होने की जरुरत नहीं है. अमेरिका ने अपनी रिपोर्ट की आड़ में कहने की कोशिश की है कि कच्चे तेल की सप्लाई में अगर कोई डिस्टर्बेंस होता है तो परेशान होने की जरुरत नहीं है. अमेरिका के पर्याप्त रिजर्व मौजूद है. किसी को घबराने की जरुरत नहीं है.
ओपेक करेगा सप्लाई में इजाफा
22 देशों के ओपेक प्लस संगठन ने भी अपने प्लान पर इंटैक्ट रहने की कोशिश है. ओपेक प्लस की ओर से आए संकेतों के अनुसार प्लान में कोई चेंज नहीं किया गया है. दिसंबर के महीने में ओपेक प्लस सप्लाई बढ़ाने की बात कर चुका है. ताकि दुनिया को महंगाई का सामना ना करना पड़े. कच्चे तेल का सीधा कनेक्शन पेट्रोल और डीजल की कीमतों से है. ओपेक दिसंबर के महीनें में 1.8 लाख कच्व्चे तेल की सप्लाई करेगी.
ओपेक प्लस के पास कितना ऑयल
अगर कोई संकट आता भी है. तो ओपेक प्लस के पास काफी मात्रा में ऑयल रिजर्व है. एक्सपर्ट के अनुसार अगर बात वॉल्यूम की करें तो ओपे प्लस के पास 58 लाख बैरल की क्षमता है. अगर इजराइल ईरान के ऑयल असेट्स को भी निशाना बनाता है तो भी कच्चे तेल की कीमत में इजाफा नहीं होगा. ईरान की कमी पूरा करने के लिए ओपेक का भंडार पर्याप्त है. किसी को महंगाई के संकट के सामना नहीं करना पड़ेगा.
रोज कितना तेल बाजार को देता है ईरान
वहीं दूसरी ओर ईरान क्रूड ऑयल सप्लायर है . ऐसे में वो रोज 33 लाख प्रति बैरल क्रूड ऑयल की मार्केट को सौंप रहा है. अगर अमेरिका ईरान पर सेंक्शंस भी लगा देता है. उसके बाद भी महंगाई कंट्रोल में ही रहेंगी. जानकारों की मानें तो जिस तरह से ओपेक दिसंबर में ओपेक प्लस की ओर से सप्लाई बढ़ाने के संकेत दिए हैं. वहीं दूसरी ओर अमेरिका ने भी सप्लाई बढ़ाने के संकेत दिए है. अंत में चीन की ओर से डिमांड की कमी देखने को मिल रही है. ऐसे में उम्मीद की जानी चाहिए कि कच्चेल की कीमतों में खास असर देखने को नहीं मिलेगा.
कच्चे तेल की कीमतें कितनी हुई
अगर बात कच्चे तेल की कीमतों की करें तो ब्रेंट यानी खाड़ी देश और अमेरिकी क्रूड ऑयल की कीमतों में तेजी देखने को मिल रही है. खाड़ी देशों के तेल के दाम 1.47 फीसदी की तेजी के साथ दाम 74.64 डॉलर प्रति बैरल पर देखने को मिल रहे हैं. वहीं दूसरी ओर अमेरिकी कच्चे तेल की कीमतों में 0.39 फीसदी की तेजी देखी जा रही है और दाम 70.10 डॉलर प्रति बैरल हो गए हैं. जानकारों के अनुसार मिडिल ईस्ट के हालात को देखते हुए अगले कुछ दिन और क्रूड ऑयल की कीमतों में उतार चढ़ाव देखने को मिल सकता है.