ईरान-इजराइल युद्ध से मध्य-पूर्व में बदलता शक्ति संतुलन, मनीष झा की इजराइल से ग्राउंड रिपोर्ट
एक साल में दूसरी बार इजराइल आना हुआ है. एक गहरे बदलाव का अनुभव कर रहा हूं. पिछले साल 7 अक्टूबर 2023 को हमास के नरसंहार के बाद इजराइल एक क्षत-विक्षत देश था, जहां हर नागरिक यहां तक कि बच्चे भी बदले की भावना से भरे हुए थे. गाजा में ऑपरेशन ‘आयरन स्वॉर्ड’ के तहत पहले हवाई हमले और फिर 24 अक्टूबर को शुरू हुए ग्राउंड ऑपरेशन का मैं खुद चश्मदीद था.
एक साल बाद भी दुश्मनों के खिलाफ इजराइल का गुस्सा शांत नहीं हुआ है, वह अपने गुस्से की आग में सभी दुश्मनों को जलाकर राख करने के लिए तैयार है.पिछले साल जब गाजा में इजराइल ने हमास के खिलाफ सैन्य कार्रवाई शुरू की थी, तब पूरी दुनिया की नजरें इस छोटे से हिस्से पर टिकी हुई थीं. उस दौरान मैं 10 अक्टूबर 2023 को और उसके बाद दर्जनों बार नॉर्थ इजराइल के किर्यात सिमोना, मेतुला और गोलान हाइट्स के मजदल शम्स इलाकों में भी गया.
हमास के समर्थन में हिजबुल्लाह की तरफ से नार्थ इजराइल पर रॉकेट दागे जा रहे थे, मुझे तब आभास हो गया था कि यह युद्ध गाजा से निकलकर जल्द ही लेबनान की ओर शिफ्ट हो जाएगा, और तब एक महासंग्राम दिखाई देगा.
हिजबुल्लाह के खिलाफ आक्रामक रुख
आज की स्थिति यह है कि गाजा के संघर्ष को पीछे छोड़ते हुए इजराइल का पूरा ध्यान अब लेबनान में हिजबुल्लाह पर केंद्रित हो गया है. 7 अक्टूबर 2023 से अब तक हिजबुल्लाह ने दक्षिणी लेबनान से 10 हजार से भी अधिक रॉकेट और मिसाइलें दागी हैं, जिनके चलते दर्जनों इजराइली नागरिक मारे गए हैं और लगभग एक लाख लोग अपने घर-बार छोड़कर सुरक्षित ठिकानों में शरण लेने को मजबूर हुए हैं. इजराइली सेना के एक लाख से अधिक जवान टैंक और भारी-भरकम हथियारों के साथ लेबनान और सीरिया की सीमा पर डटे हैं.
इजराइल ने 18 सितंबर को हिजबुल्लाह के खेमे में पेजर, मोबाइल और वॉकी-टॉकी जैसे डिवाइस में विस्फोट करके और फिर 27 सितंबर को हिजबुल्लाह चीफ हसन नसरल्लाह को मारकर एक बड़ा संदेश दिया. 30-40 हजार से अधिक इजराइली सेना लेबनान के भीतर ग्राउंड ऑपरेशन में शामिल है. रोजाना 100 से अधिक F-35 और दूसरे लड़ाकू विमानों से बेरुत समेत लेबनान के विभिन्न इलाको पर बम बरसाए जा रहे हैं. इसके साथ ही, इजराइल ने हिजबुल्लाह को ध्वस्त करने का ऐलान कर यह वादा किया कि 7 अक्टूबर जैसी घटनाओं को वह कभी नहीं होने देगा.
ईरान: इजराइल का असली दुश्मन
अगर आपके मन में यह सवाल उठ रहा है कि क्या हमास और हिजबुल्लाह की कमर तोड़ने के बाद इजराइल रुक जाएगा? तो इसका उत्तर साफ है-नहीं. इजराइल के मुताबिक उसका असली दुश्मन ईरान है. हमास, हिजबुल्लाह और हूती जैसे संगठन ईरान के तरकश के तीर मात्र हैं. 13 अप्रैल को करीब 300 मिसाइलों और शाहिद ड्रोन से हमला करके और 1 अक्टूबर को 200 बैलिस्टिक मिसाइलों ने इजराइल-ईरान युद्ध की शुरुआत कर दी है.
इजराइल अब आर-पार की लड़ाई के मूड में है. यह लड़ाई सिर्फ परंपरागत हथियारों की नहीं है. आने वाले दिनों में नए तकनीकी हथियार और युद्ध की नई रणनीतियां देखने को मिल सकती हैं, जो इस संघर्ष को पूरी तरह बदलने का माद्दा रखते हैं.
‘वेस्ट बनाम रेस्ट’ की लड़ाई
इस संघर्ष को केवल इजराइल और ईरान के बीच का मसला समझना बहुत ही संकुचित दृष्टिकोण होगा. यहूदी बनाम मुस्लिम की लड़ाई तो यह हरगिज नहीं है. अगर ऐसा होता तो कई महीने पहले तुर्की, इजिप्ट, सऊदी अरब और संयुक्त अरब अमीरात इस जंग में शामिल हो जाते. यह लड़ाई वैश्विक परिप्रेक्ष्य में ‘वेस्ट बनाम रेस्ट’ का संघर्ष बन गई है, जैसे रूस और यूक्रेन के युद्ध में देखा गया था. इजराइल और ईरान के बीच इस संघर्ष को देखने के लिए आपको दुबई की बुर्ज खलीफा की ऊंचाई से देखना होगा.
इस ऊंचाई से जब आप नजर डालेंगे, तो एक ओर चमकते हुए शहर-दुबई, दोहा, जेद्दाह और मस्कट दिखाई देंगे, वहीं दूसरी ओर कुछ तथाकथित काले धब्बे जैसे ईरान, यमन, ईराकक, सीरिया और लेबनान हैं. जो इस क्षेत्र में संघर्ष का कारण बनते हैं. चमक-दमक वाले देशों के प्रत्यक्ष और परोक्ष समर्थन से इजराइल को यह जिम्मेदारी मिली है कि मध्य-पूर्व के इन तथाकथित ‘काले धब्बों’ का सफाया करे ताकि इस क्षेत्र में नई व्यवस्था स्थापित हो सके.
नई शक्ति संतुलन की ओर
मध्य-पूर्व में इस युद्ध का नतीजा केवल इजराइल और ईरान के बीच सीमित नहीं रहेगा. यदि इजराइल अपने सभी दुश्मनों को खत्म कर देता है, तो इस क्षेत्र में एक नया शक्ति संतुलन स्थापित होगा. महलों में रहने वाले लोग और उनके योद्धा अब सुरक्षित रहेंगे, जबकि ‘काले धब्बों’ का सफाया हो चुका होगा.
मध्य-पूर्व का यह संघर्ष अब महलों और झोपड़ियों के बीच की लड़ाई बन चुका है. महल के सामने की झोपड़ी को देख महल में रहने वालों का खून कैसे खौलता है इसे समझे बग़ैर मध्य-पूर्व के महाभारत को समझना मुश्किल है. राजमहलों में रहने वाले लोगों कि एक ख़ासियत होती है कि अपने समान उद्देश्यों को पूरा करने के लिए वो एक-दूसरे की भरपूर मदद करते हैं. इसके लिए उन्हें ख़ुद जान देने की जरूरत नहीं होती है बल्कि हर युग में अपने लिए वो एक योद्धा तैयार करते हैं जो किसी भी तरह के ख़तरे को उनके महलों से दूर भगा सके बदले में धन-दौलत, ज़मीन-जायजाद में कुछ हिस्सा ले ले. राजमहलों के मालिक अपने सेनापति (इजराइल) को विजयश्री के आशीर्वाद के साथ युद्ध का शंखनाद कर चुके हैं.
निर्णायक साबित होगी ईरान-इजराइल जंग
विशाल महलों की चारदीवारी के भीतर बनी रणनीति को समझने के लिए एक बार फिर बुर्ज ख़लीफ़ा के टॉप फ़्लोर पर कॉफी पीते हुए समझा जा सकता है. आंखे मूंद कर अहसास कीजिए कि अगले कुछ हफ़्ते निर्णायक साबित होंगे.दिखाई देगा कि इज़राइल अपने सभी दुश्मनों का ख़ात्मा कर देता है. इजराइल के पास अब गाजा और साउथ लेबनान में लिटानी नदी तक की जमीन हासिल है.
लेबनान, यमन और ईरान में अब राजा के कारिंदों को कोतवाल बना दिया गया है. मध्य-पूर्व के नए रईसज़ादों और पश्चिम के उनके आकाओं को अब कोई ख़तरा नहीं है. लाल सागर और भूमध्य सागर से लेकर अटलांटिक सागर और प्रशांत महासागर तक सब कुछ चमचमा रहा है. दूर-बहुत दूर कुछ काले धब्बे बचे हैं. उनको पहचानना मुश्किल है. जल्द ही सफ़ाये के लिए नये सेनापति नियुक्त किए जाएंगे तब तक आप बुर्ज ख़लीफ़ा के परिसर में लाइट एंड म्यूजिकल शो का आनंद लीजिए.