ईरान की पहली और सबसे खौफनाक लेडी सीरियल किलर, जिसके निशाने पर होती थीं सिर्फ बुजुर्ग महिलाएं
माहिन कादरी का जन्म 1977 में ईरान (Iran) के काज़विन शहर में हुआ था. वह घर में 8 भाई बहनों में तीसरे नंबर की संतान थी. आर्थिक तंगी और पारिवारिक परंपराओं के चलते माहिन की तालीम सिर्फ तीसरी कक्षा तक ही हुई. बेशक माहिन (Mahin Qadri Case) ज्यादा पढ़ाई नहीं कर पाई, फिर भी वह काफी तेज दिमाग की थी. वह अपने परिवार से बहुत प्यार करती थी. आगे चलकर उसके जीवन में कई मुश्किलें और चुनौतियां आईं, जिन्होंने उसे और भी ज्यादा मजबूत बना दिया.
सीमित संसाधनों के बावजूद माहिन ने अपने परिवार का ख्याल रखने के लिए हर मुमकिन कोशिश की. The Guardian के मुताबिक, माहिन बचपन से ही क्राइम नॉवेल पढ़ने की शौकीन थी. वह अक्सर अगाथा क्रिस्टी (Agatha Christie) की नॉवेल पढ़ा करती थी. अगाथा क्रिस्टी की किताबें अक्सर रहस्यमयी हत्याओं और अनसुलझे अपराधों पर आधारित होती थीं, ईरान में उस किताबों को कई लोग पढ़ा करते थे. लोगों को उनकी किताबें काफी पसंद थीं. अगाथा ने ईरान की कई बार यात्रा की थी. कई कहानियां उन्होंने ईरान पर भी लिखी थीं. इसलिए उनकी कहानियां आज भी ईरान में पढ़ी जाती हैं.
लेकिन अगाथा की कहानियां जहां कल्पनाओं को लेकर लिखी गई होती थीं, उन्हें माहिन ने सच में ही अपना स्रोत बना लिया था. यानि उन कहानियों का कहीं न कहीं माहिन के दिमाग पर गहरा असर पड़ा था. वह उन्हें सच मानती थी. वह इन कहानियों को बहुत ही ध्यान से पढ़ती थी. लेकिन किसे पता था कि वो इन कहानियों को अपने खौफनाक इरादों के लिए इस्तेमाल करेगी.
14 साल की उम्र में शादी
14 साल की उम्र में माहिन की शादी कर दी गई. उस समय वह सिर्फ एक नादान लड़की थी, जिसने अपने नए जीवन के सपने सजाए थे. लेकिन आगे चलकर उसका जीवन और भी ज्यादा कठिन होने वाला था, वो इन सब से अंजान थी. माहिन की शादी के बाद उसके अपने ससुराल वालों के साथ अच्छे संबंध थे. सब कुछ अच्छा चल रहा था. लेकिन उसकी एक आदत बहुत बुरी थी. उसे बेफिजूल चीजों पर पैसा उड़ाना पसंद था.
लेकिन पैसे न होने के कारण वो इस शौक को पूरा करने के लिए अक्सर लोगों से उधार लेती और कर्ज में डूबी रहती. शुरुआती दिनों में ससुराल वालों ने उसकी इन आदतों को नजरअंदाज किया. सोचा कि समय के साथ वो सुधर जाएगी. मगर वो गलत थे. माहिन की ये आदत दिन ब दिन बढ़ती जा रही थी.
पति ने पैसा देना किया बंद
इस कारण माहिन के पति ने उसे सुधारने के लिए बेफिजूल पैसा देने से इनकार कर दिया. इससे माहिन को गुस्सा तो बहुत आया लेकिन वो चुप रही. जल्द ही वो एक बच्चे की मां भी बन गई. वो खुश थी. 10 साल बाद माहिन को फिर एक और बेटी हुई. वो फिर से बहुत खुश हुई. लेकिन उसकी ये खुशियां ज्यादा दिन नहीं टिक पाईं.
छोटी बेटी जब डेढ़ साल की थी तो उसे गंभीर बीमारी हो गई. इससे वो शारीरिक रूप से कमजोर होने लगी. इसका सदमा माहिन को भी लगा. वह दिन रात उसके इलाज के लिए पैसे जुटाने की कोशिश में लग गई. गरीबी और बीमारी की जंग में माहिन अब अकेली पड़ गई थी. पति के पैसों से भी बेटी का इलाज नहीं हो पा रहा था. माहिन अब और ज्यादा डिप्रेशन में रहने लगी. वो अपनी बेटी के लिए कुछ भी कर गुजरने के लिए तैयार थी.
मां ने भी नहीं दिए पैसे
उसने अपने रिश्तेदारों से पैसों की मदद मांगी. लेकिन सब उसकी पुरानी आदत से वाकिफ थे. इसलिए किसी ने भी माहिन की मदद नहीं की. बेशक इस बार वो सच में अपनी बेटी के लिए पैसे मांग रही थी. लेकिन रिश्तेदारों को लगा कि वो बेफिजूल खर्च के लिए पैसे मांग रही है. किसी ने भी उसे या तो पैसे नहीं दिए या फिर कोई बहाना बना दिया. यहां तक कि माहिन की खुद की मां ने भी उसकी मदद करने से इनकार कर दिया. इन हालातों ने माहिन के अंदर ऐसी आग जगा दी, जिससे उसका आने वाला जीवन खराब होने वाला था. वह अपनी मां से बेइंतहां नफरत करने लगी थी.
एक दिन जब वो अपने घर की खिड़की से बाहर देख रही थी, तो सामने उसकी नजर सड़क पर जा रही एक बुजुर्ग महिला पर पड़ी. उस महिला के हाथ और गले में सोने की चूड़ियां और हार चमक रहा था. तभी माहिन के दिमाग में एक ख्याल आया, जिसने उसके जीवन की दिशा को पूरी तरह बदल दिया. उसने सोचा- मुझे अपनी गरीबी का हल खुद ही निकालना चाहिए. यह सोचकर उसने एक खौफनाक प्लान बनाया. बस फिर क्या था, प्लान के तहत माहिन एक बार इमाम ज्यादे चार अंबिया (Imamzadehs Chahar-Anbiya) नामक जगह पर थी. यहां अक्सर बूढ़ी महिलाएं इबादत करने और सुकून पाने आती थीं.
अकेली महिला को बनाया शिकार
माहिन ने देखा यहां कई महिलाएं अकेली आई थीं. उन्होंने सोने के गहने पहने थे. माहिन ने प्लान के तहत एक महिला को चुना. उसके पास गई. बोली- अम्मा आपको देखकर मुझे मेरी मां की याद आ गई जो कि अब इस दुनिया में नहीं है. वो भी इसी तरह इबादत किया करती थीं, जैसे आप कर रही हैं. अगर आप बुरा न मानें तो क्या मैं आपको आपके घर तक छोड़ दूं? बुजुर्ग महिला भी उसकी बातों में आ गई. वो उसके साथ चलने को तैयार हो गई.
माहिन ने बुजुर्ग महिला को अपनी पीले रंग की Renault कार में बैठाया और आगे चलने लगी. रास्ते में उसने बूढ़ी महिला को पीने के लिए जूस दिया. लेकिन उस जूस में माहिन ने पहले से ही नशीली दवा मिला रखी थी. बुजुर्ग महिला ने जैसे ही जूस पिया, उन्हें चक्कर आने लगा. मौके का फायदा उठाते हुए माहिन ने फिर वो कर डाला जिसका उसने प्लान बनाया था. उसने बूढ़ी महिला का अपने स्कार्फ से गला घोंटकर मार डाला. इसके बाद वो लाश को कार में लिए शहर के चक्कर काटती रही.
जब रात हुई तो उसने सुनसान जगह पर जाकर लाश को फेंक दिया. उससे पहले उसने बूढ़ी महिला के सारे गहने निकालकर अपने पास रख लिए. माहिन के अंदर अब एक अजीब सी संतुष्टि थी. लेकिन उसके अंदर एक डर भी पैदा हुआ. बावजूद इसके वो यहीं नहीं रुकी. उसने एक और दिन इसी तरह अपना एक और शिकार चुना. वो सिर्फ बुजुर्ग महिलाओं को ही टारगेट करती थी. क्योंकि उन्हें वो आसानी से अपनी बातों में फंसा सकती थी. वो ऐसी-ऐसी जगहों पर जाती जहां उसे बुजुर्ग महिलाएं आसानी से मिल जातीं.
माहिन ने दूसरी बार फिर से एक अन्य महिला को उसी तरह अपना शिकार बनाया. उसे अपनी गाड़ी में लिफ्ट का बहाना बनाकर बैठाया. उसने उस महिला को भी जूस पिलाया. फिर पहले केस की तरह उस बूढ़ी महिला को भी मारकर, उसके गहने लूटकर बाद में लाश ठिकाने लगा दी.
लगातार करती रही महिलाओं की हत्या
अब हर हत्या के बाद माहिन को एक अजीब सी खुशी मिलने लगी. वो पहले केस में भी पकड़ी नहीं गई थी इसलिए उसके हौसले और भी ज्यादा मजबूत हो चुके थे. उसे लगता था कि वो जो भी कुछ कर रही है वो सही है. लेकिन उधर जब यह बात पूरे शहर में फैली कि कोई बुजुर्ग महिलाओं की हत्या कर रहा है तो लोग दहशत में आ गए. पुलिस भी जांच में जुट गई कि आखिर बुजुर्ग महिलाओं को इस तरह कौन शिकार बना रहा है.
उधर माहिन लगातार अपने कांड को अंजाम दे रही थी. पुलिस को भी लगने लगा कि सभी मौत का पैटर्न एक सा है. उनके शरीर में जहरीली जूस पाया जा रहा है. पुलिस समझ गई कि हो न हो यह किसी सीरियल किलर का ही किया धरा है और उसे रोकना बहुत जरूरी है. नहीं तो शहर में लोगों के बीच इसी तरह दहशत बनी रहेगी और न जाने और किसने मासूम लोगों की जान वो सीरियल किलर लेता रहेगा.
माहिन का प्लान हुआ फेल
एक दिन माहिन ने अगले शिकार के लिए अपनी कार निकाली. इस बार उसने शहर के भीड़भाड़ वाले इलाके का रुख किया. यहां शॉपिंग के लिए कई महिलाएं आती थीं. उसने एक बुजुर्ग महिला को चुना जो बाजार में खरीददारी कर रही थी. माहिन बोली- मां जी आप इतना सामान कहां उठाएंगी. मैं आपकी मदद कर देती हूं. बुजुर्ग महिला उसकी बातों में आ गई. फिर वही सिलसिला दोबारा चला. कार में माहिन ने बुजुर्ग महिला को नशीला जूस पीने को दिया. लेकिन इस बार कुछ आसी हुआ जिसकी माहिन ने कभी कल्पना भी नहीं की होगी.
बुजुर्ग महिला ने जूस पीने से मना कर दिया. महिला ने देखा कि माहिन गलत दिशा में गाड़ी चला रही है तो उन्हें शक हुआ. उन्होंने कार से उतरने का फैसला किया. बोलीं कि मुझे यहीं उतार दो. माहिन कुछ न कर सकी और महिला को उतार दिया. लेकिन महिला ने भी उन मौतों के बारे में सुन रखा था. इसलिए उन्होंने तुरंत इस घटना के बारे में पुलिस को बताया.
ऐसे हुई माहिन गिरफ्तार
पुलिस ने महिला द्वारा बताई गईं सभी बातों को ध्यान में रखते हुए पीले रंग की सभी Renault कारों की जांच शुरू कर दी. कुल 27 हजार कारों की जांच की गई. कुछ दिनों बाद उसी बुजुर्ग महिला ने उस कार को दोबारा देखा और उसका नंबर नोट कर लिया. फिर पुलिस को बताया. पुलिस ने फिर 109 दिनों बाद माहिन और उसके पति को गिरफ्तार कर लिया. पुलिस ने उनके घर वो अखबार भी बरामद किए जिनमें माहिन के अपराधों का जिक्र था.
इसके अलावा उन्हें सीरियल किलिंग पर लिखीं कई किताबें भी वहां से मिलीं. माहिन और उसके पति को पूछताछ के लिए ले जाया गया. दो पुलिस अधिकारियों ने उसने पूछताछ की. उस दौरान माहिन ने बार-बार अपनी बेटी की बिमारी की दुहाई दी जो कि अब 7 साल की हो चुकी थी. रात भर पूछताछ के बाद 27 मई 2009 की सुबह माहिन ने अपना जुर्म कबूल लिया. उसने कहा- इन सबके लिए मेरी मां जिम्मेदार है. उसने मेरी बेटी के इलाज के लिए मदद नहीं की. तभी से मैं उसी तरह की औरतों को अपना निशाना बनाने लगी जिनकी उम्र मेरी मां की उम्र से मेल खाती थी.
कोर्ट ने सुनाई मौत की सजा
माहिन के पति के खिलाफ ऐसा कोई सबूत नहीं मिला क्योंकि उसे अपनी पत्नी की हरकत के बारे में कुछ भी पता नहीं था. इसलिए उसे छोड़ दिया गया. जबकि, माहिन पर 6 बुजुर्ग महिलाओं की हत्या का आरोप लगा. कोर्ट ने दोषी करार देते हुए माहिन को मौत की सजा सुनाई गई. इसके अलावा उसे 6 बार चोरी का भी दोषी करार दिया गया. जिसके लिए उसे 24 महीने की जेल और 74 कोड़े मारने की सजा मिली. यह सुनकर माहिन की आंखों में आंसू आ गए. लेकिन उसने इस पर कुछ नहीं कहा. उसे जेल भेजा गया. यहां भी कोई कैदी उससे बात नहीं करता था क्योंकि उसके कांड से सभी वाकिफ थे. इसके बाद 20 दिसंबर 2010 को उसे फांसी पर लटका दिया गया.