ईरान के बाद अब यूक्रेन…डोनाल्ड ट्रंप पर हमले की नई थ्योरी क्या कहती है?
अमेरिका के पूर्व राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप पर शनिवार को एक चुनावी सभा में हमला हुआ था. इस हमले में ट्रंप बाल-बाल बचे. ट्रंप पर जिसने गोली चलाई वो तो मारा जा चुका है, लेकिन सवाल है कि ट्रंप को मारना कौन चाहता है. हमले के पीछे किसका हाथ है, इसे लेकर अलग-अलग थ्योरी चल रही है. हिंदुस्तान से लेकर अमेरिका तक में कई बातें कही जा रही हैं.
अमेरिकी मीडिया में बीते दिनों खुलासा हुआ था कि हमले में ईरान का हाथ हो सकता है. लेकिन अब तक ऐसा कोई सबूत नहीं मिला है. ईरान ने भी आरोपों को खारिज कर दिया. दरअसल, अमेरिकी ‘सीक्रेट सर्विस’ ने ईरान से खतरे के कारण ही ट्रंप की सुरक्षा बढ़ाई थी. अमेरिका के दो अधिकारियों ने बताया था कि खतरे के बारे में पता चलने पर बाइडन प्रशासन ने ‘सीक्रेट सर्विस’ के वरिष्ठ अधिकारियों से संपर्क किया और उन्हें इस बारे में अवगत कराया था. उन्होंने कहा कि इसे ट्रंप के सुरक्षा घेरे और ट्रंप के चुनाव प्रचार दल से जुड़े शीर्ष एजेंट के साथ साझा किया गया. इसके बाद सीक्रेट सर्विस ने ट्रंप की सुरक्षा और कड़ी कर दी.
क्या कहती है नई थ्योरी?
वहीं, अब एक नई थ्योरी सामने आ रही है, जिसमें यूक्रेन का नाम सामने आ रहा है. यूक्रेन में विपक्ष के नेता विक्टर ने ही अपने देश के राष्ट्रपति जेलेंस्की पर बड़ा आरोप लगाया है. विक्टर ने कहा, ट्रंप पर हमले में केवल और केवल यूक्रेन का हाथ हो सकता है, क्योंकि इसमें उसका सबसे ज्यादा फायदा है. उनका कहना है कि ट्रंप अगर चुनाव नहीं जीतते हैं तो यूक्रेन को जो आर्थिक मदद अमेरिका से मिल रही है वो मिलती रहेगी. यही नहीं यूक्रेन की सत्तारुढ़ पार्टी भी सरकार में बनी रहेगी.
विक्टर ऐसा कह रहे हैं तो इसकी और भी वजहें हैं. अंतरराष्ट्रीय मीडिया में कहा जा रहा है कि जेलेंस्की अमेरिका के राष्ट्रपति जो बाइडेन के ज्यादा करीबी हैं. सत्ता में ट्रंप के आने से जेलेंस्की को जंग रोकनी पड़ेगी. कहा जा रहा है कि ट्रंप युद्ध के समर्थक नहीं हैं. वो रूस और यूक्रेन जंग का इस वजह से समर्थन नहीं करते हैं, क्योंकि अमेरिका पहले ही 65 बिलियन डॉलर से ज्यादा जेलेंस्की पर खर्च कर चुका है.
ट्रंप कह चुके हैं मैं जबरदस्ती युद्ध नहीं चाहता. यही वजह है कि राष्ट्रपति रहते ट्रंप ने अफगानिस्तान से अपनी सेना को वापस बुला लिया था. रिसोर्सेज खराब ना हों इसलिए ट्रंप ऐसा करते हैं. अब सत्ता में आने के बाद ट्रंप ऐसा करते हैं तो यूक्रेन के लिए बहुत नुकसानदायक होगा, क्योंकि वो पिछले 2 साल से रूस का सामना कर रहा है. कई सैनिकों की जान जा चुकी है. खर्च भी बंपर हो रहा है. ऐसे में जेलेंस्की इस मोड़ पर आकर जंग नहीं खत्न करना चाहते.
जेलेंस्की का रुख भी जानिए
जेलेंस्की ने हाल ही में ट्रंप को लेकर बयान दिया था. उन्होंने कहा था कि अगर ट्रंप राष्ट्रपति बनते हैं तो हम उनके साथ कम करेंगे. उन्होंने ये भी कहा कि मैं डरता नहीं हूं. जेलेंस्की ने स्वीकार किया कि डेमोक्रेटिक पार्टी यूक्रेन का समर्थन करती है, लेकिन रिपब्लिकन की स्थिति अलग है. पार्टी में कुछ अधिक दक्षिणपंथी और कट्टरपंथी हैं. जेलेंस्की ने कहा कि उन्हें इस बात की चिंता है कि वाशिंगटन में राजनीतिक अशांति यूक्रेन को दी जाने वाली मदद पर नकारात्मक प्रभाव डाल सकती है. जेलेंस्की से बयान साफ है कि वो अमेरिका ट्रंप के मुकाबले बाइडेन के साथ काम करने को लेकर ज्यादा कंफर्टेबल हैं. ट्रंप की पार्टी के मुकाबले उनका झुकाव बाइडेन की पार्टी के प्रति ज्यादा है.