ईरान के सुप्रीम लीडर खामेनेई ने जुमे की नमाज का इस्तेमाल कब किस संदेश के लिए किया? 15 साल में हुए 4 संबोधन की बड़ी बातें

शुक्रवार के नमाज की इस्लाम में एक खास अहमियत है. तब तो खासकर जब उसकी अगुवाई इस्लामी मुल्क का सर्वोच्च नेता, आलिम, धर्मगुरू कर रहा हो. ईरान में जब कभी उनके मौजूदा सुप्रीम लीडर अयातुल्लाह अली खामेनेई को कोई खास संदेश देना हुआ, उन्होंने जुमे की नमाज की अगुवाई खुद की. इस अनुष्ठान की न सिर्फ धार्मिक बल्कि एक राजनीतिक और कूटनीतिक महत्ता रही है. जिसके जरिये वे घरेलू राजनीति से लेकर ‘दुश्मन’ (इजराइल, अमेरिका) के प्रति अपने अडिग रवैये को जाहिर करने से कभी नहीं चूके.
ईरान के सर्वोच्च नेता को यह विशेषाधिकार हासिल है, जिसके जरिये वे नमाज का नेतृत्व खुद करते हैं या फिर अपने किसी प्रतिनिधि को ये जिम्मा सौंप देते हैं. खामेनेई से पहले सर्वोच्च नेता रहे अयातुल्लाह रूहोल्लाह खुमैनी ने अपने जीवनकाल में कभी भी नमाज की अगुवाई खुद नहीं की. बल्कि उन्होंने इसको अपने मातहत आने वाले मौलवियों के ऊपर छोड़ दिया. खामेनेई ने भी कई मौलवी को नियुक्त किया लेकिन जब भी उनको जरुरी लगा, वह इस भूमिका में खुद नजर आए, अपना विशेषाधिकार पूरी तरह कभी नहीं छोड़ा.
1. 4 अक्टबूबर, 2024ः खामेनेई के आज के संबोधन में क्या था?
आज का दिन ईरानी इतिहास के ऐसे ही कुछ दुर्लभ दिनों में से एक था. इजराइली हमले की आशंका के बीच लाखों की संख्या में आम ईरानी, उनकी सत्ता औऱ सुरक्षा तंत्र के सभी बड़े नाम (राष्ट्रपति से लेकर सुरक्षा बलों के कमांडर तक) खामेनेई के साथ राजधानी तेहरान के भव्य मोसल्ला मस्जिद में इकठ्ठा हुए. यह इजराइल समेत उसके मददगार देशों को ईरान का एक संदेश था कि हम अंडरग्राउंड नहीं होने जा रहे हैं, बल्कि अपने सबसे बड़े इबादतगाह से बिना किसी डर के सार्वजनिक तौर पर अपने दुश्मन को ललकार रहे हैं.
अयातुल्लाह खामेनेई के आज के खिताब में एक ओर करुणा, आवेश और ढांढस था तो दूसरी तरफ उत्तेजना के गर्जन और एकजुटता की अपील थी. खामेनेई के संबोधन का पहला हिस्सा फारसी में था (जिसमें वह गाजा, लेबनान में हुए इजरायली हमले के जवाब में ईरानी हमले को जायज और आगे भी मजबूती से मुकाबला करने की बात कहते दिखे) तो दूसरा हिस्सा अरबी में था (जिसके जरिये वह मुस्लिम दुनिया खासकर अरब के सुन्नी देशों और वहां के लोगों से नाजुक समय में एकजुटता की अपील करते सुनाई दिए.)
खामेनेई जानते हैं कि ईरान पिछले कुछ बरसों में इस पूरे खित्ते में अकेला पड़ता गया है. खामेनेई ने आज के अपने खिताब से मुस्लिम एकता की बात कह भरसक इस खाई को पाटने की कोशिश की. पिछले 15 बरसों में केवल 4 बार उन्होंने जुमे की नमाज की अगुवाई की है. पर जब भी किया, इजरायल, अमेरिका को नहीं बख्शा. आज जब वह बोल रहे थे तो उनकी स्मृतियों में हिजबुल्लाह के नेता हसन नसरल्लाह की “शहादत”, पिछले एक बरस में गाजा-लेबनान में हजारों की संख्या में मारे गए आम लोग तो थे ही.
लेकिन इन सब के बीच 7 अक्टूबर, 2023 को इजराइल पर हमास के हमले को तार्किक ठहराने से भी उन्होंने गुरेज नहीं किया. आज जब वह बोल रहे थे तो इजरायल और अमेरिका लगातार उनके निशाने पर थे. कभी प्रत्यक्ष तो कभी अप्रत्यक्ष तरीके से. उन्होंने इजरायल को अमेरिका का “भेड़िये के चरित्र वाला पागल कुत्ता” तक करार दिया. वहीं, राइफल की नोक पर हाथ रखकर मानव सभ्यता की सबसे अहम चीज दया बताते हुए खामेनेई ने जो नहीं कहा जा सकता था, वह भी बयां कर दिया.
2. 17 जनवरी 2020ः कासिम सुलेमानी की हत्या और प्लेन क्रैश
खामेनेई ने आज से पहले आखिरी दफा जनवरी 2020 में जुमे की नमाज का नेतृत्व किया था. साल की अभी शुरुआत भी ठीक से नहीं हुई थी कि 3 जनवरी को ईरान के इस्लामिक रिवॉल्यूशनरी गार्ड कॉर्प्स (आईआरजीसी) यानी कुद्स फोर्स के कमांडर मेजर जनरल कासिम सुलेमानी की अमेरिकी ड्रोन स्ट्राइक में हत्या कर दी गई. जवाब में, ईरान ने इराक में मौजूद अमेरिकी सैन्य ठिकानों पर मिसाइल बरसाने शुरू किए. इसी बीच, गलती से एक मिसाइल यूक्रेन के एक एयरप्लेन से जा टकराई. जिसमें 176 जानें चली गईं.
चूंकि हादसे में जान गंवाने वाले 147 शख्स ऐसे थे जिनके पास ईरानी नागरिकता थी. लिहाजा, मुल्क में सरकार विरोधी प्रदर्शन शुरू हो गए. चौतरफा तंत्र पर बढ़ते दबाव को देखते हुए 17 जनवरी को खामेनेई ने शुक्रवार की नमाज की अगुवाई करने की ठानी. उस दिन खामेनेई ने अपने खिताब के जरिये मध्य पूर्व से अमेरिका को बेदखल करने की अपील की. अमेरिकी नेताओं को ‘जोकर’ कहते हुए उनसे किसी भी तरह के बातचीत की संभावना को खारिज कर दिया. साथ ही, प्रदर्शन कर रहे लोगों को अमेरिका का ‘कठपुतली’ कहा था.
3. 3 फरवरी, 2012ः ओबामा की धमकी और परमाणु कार्यक्रम
अमेरिका और इजराइल खामेनेई के संबोधन का हमेशा हिस्सा रहे. 2020 से पहले फरवरी 2012 में वह इस मंच के जरिये दुनिया से मुखातिब हुए थे. ईरान में संसदीय चुनाव होने थे, मुल्क घरेलू स्तर पर बढ़ते आर्थिक दबाव का सामना कर रहा था और अपने परमाणु कार्यक्रम पर बढ़े जा रहा था. इसी बीच तत्कालीन राष्ट्रपति बराक ओबामा ने कह दिया कि ईरान को परमाणु हथियार बनाने से रोकने के लिए अमेरिका के सामने सभी तरह के विकल्प खुले हैं. खामेनेई को ये बात बेहद नागवार गुजरी.
आखिरकार 3 फरवरी, 2012 को होने वाले शुक्रवार के नमाज के लिए सुप्रीम लीडर सामने आए और साफ कहा कि ईरान अपने परमाणु कार्यक्रम से पीछे नहीं हटेगा चाहे उस पर कितने ही प्रतिबंध और दबाव क्यों न बढ़ते जाए. उन्होंने यूएस को विश्वासघात करने वाला मुल्क बताया था. उनके उस संबोधन का एक जुमला लोगों की जहन से भुलाए नहीं जाता जब उन्होंने इजराइल को ‘कैंसर का ट्यूमर’ कहा था और इजरायल से लड़ रही दुनिया की हर ताकत का समर्थन करने की बात की थी.
4. 19 जून, 2009ः ईरान राष्ट्रपति चुनाव में धांधली के आरोप
खामेनेई के कुछ जुमे की नमाज ऐसी भी रही जब बाहरी घटनाक्रम के बजाय मुल्क के निहायत कठिन हालात ने उन्हें खिताब करने को मजबूर किया. 2009 का साल था वो. जून महीने की 12 तारीख थी. जब ईरान में राष्ट्रपति चुनाव हुआ. नतीजों में तत्कालीन राष्ट्रपति और खामेनेई के करीबी महमूद अहमदीनेजाद दोबारा राष्ट्रपति घोषित हो गए. विपक्षी नेता मीर हुसैन मुसावी की हार हुई. इस चुनाव को बड़े पैमाने पर धांधली का परिणाम कहा गया. मुल्क भर में विरोध प्रदर्शन शुरू हो गए.
आनन-फानन में तब 19 जून को खामेनेई को शुक्रवार की नमाज के बहाने ईरानी आवाम से मुखातिब होना पड़ा. तब उन्होंने तेहरान विश्वविद्यालय से जुमे की नमाज के बाद खिताब किया था. उन्होंने धांधली के आरोपों को यह कह खारिज किया कि 1 लाख, 5 लाख वोटों का अंतर होता तो फर्जीवाड़े की बात कुबूल भी की जा सकती थी मगर कोई 1 करोड़ से भी ज्यादा जीत के अंतर को कैसे बढ़ा सकता है. मामला घरेलू होते हुए भी इन उन्होंने विदेशी ताकतों (खासकर यूएस, यूके, इजरायल) की साजिश की तरफ इशारा किया था.
1989 ही से लगातार ईरान के सर्वोच्च नेता के पद पर काबिज 85 वर्षीय खामेनेई भरसक बूढ़े हो चुके हैं लेकिन अपनी समझ, राजनीतिक और धार्मिक लकीर के आसरे अमेरिका और इजराइल से लोहा लेते रहते हैं. उनके मुल्क और पूरे खित्ते में ईरान के सहयोगी लड़ाकों, संगठनों के लिए बेहद निर्णायक समय में आज का उनका खिताब मध्य पूर्व के हालत को कितना और बिगाड़ता है और किस कदर संवारता है, देखते जाइये.

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