ईरान ही निकला हैकर…अमेरिका चुनाव में टांग अड़ाने के पीछे क्या है मंसूबा?

अमेरिका के पूर्व राष्ट्रपति और रिपब्लिकन उम्मीदवार डोनाल्ड ट्रंप की टीम ने पिछले महीने दावा किया था कि उनका कैंपेन को ईरान ने हैक किया है. अब इस बात पर मुहर लग गई है कि ईरान अमेरिका के राष्ट्रपति चुनाव में घुसपैठ करने की कोशिश कर रहा है. अमेरिका की सुरक्षा एजेंसियों ने खुलासा किया है कि डोनाल्ड ट्रंप के कैंपेन को हैक करने के पीछे ईरान का ही हाथ था.
अमेरिकी सुरक्षा एजेंसियों के बयान में खुलासा हुआ है कि ईरान राष्ट्रपति चुनाव को प्रभावित करने की कोशिश कर रहा है. FBI और ODNI ने अपनी जांच में पाया कि पिछले महीने ट्रंप के कैंपेन पर हुए हमले के पीछे ईरान था.
गूगल और माइक्रोसॉफ्ट ने भी दी है चेतावनी
ट्रंप के आरोप के कुछ ही दिन बाद माइक्रोसॉफ्ट और गूगल ने भी पाया कि ईरान से जुड़े कुछ अकाउंट अमेरिकी वोटर्स को फेक ईमेल भेजने की कोशिश कर रहे हैं. माइक्रोसॉफ्ट और गूगल का कहना है कि उन्होंने ईरान से जुड़े फेक अकाउंट्स की पहचान कर उनको बंद किया है. इन खबरों के बाद अमेरिका के राष्ट्रपति चुनाव में विदेशी दखल का डर बढ़ गया है.
हैकिंग के पीछे ईरान का क्या मंसूबा
अमेरिका को दुनिया का सुपर पावर कहा जाता है. अमेरिका की राजनीति में बदलाव का असर पूरी दुनिया पर पड़ता है. इस समय पूरे मध्य पूर्व में तनाव है और इस तनाव को कम करने और बढ़ाने में अमेरिका एक बढ़ा रोल निभाता रहा है. ईरान अमेरिका को ‘बड़ा शैतान’ और इजराइल को ‘छोटा शैतान’ कहता है.
जानकार मानते हैं कि ईरान इस चुनाव पर नजर बनाए हुए है, क्योंकि अमेरिका का अगला राष्ट्रपति ही इजराइल को दी जाने वाली मदद को कम ज्यादा करने का फैसला लेगा. डोनाल्ड ट्रंप चुनावी मंचों और मीडिया के जरिए खुले तौर पर इजराइल का समर्थन करते रहे हैं. वहीं कमला हैरिस भी इजराइल का समर्थन करती दिखी हैं, लेकिन उन्होंने गाजा में मानवीय संकट के लिए इजराइल पर भी सवाल खड़े किए हैं.
हालांकि ऐसा नहीं है कि ईरान ने सिर्फ ट्रंप के कैंपेन को निशाना बनाया. कमला हैरिस के टीम ने भी ऐसा ही दावा किया है कि ईरान उनके कैंपेन को निशाना बनाने की कोशिश कर रहा है. मध्य पूर्व के लिहाज से देखा जाए तो ईरान के लिए ट्रंप ज्यादा खतरनाक हो सकते हैं, क्योंकि उन्होंने अपने पिछले कार्यकाल में इजराइल के कई अरब देशों के साथ रिश्ते सामान्य कराए थे.

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