उत्तर भारत में मानसून के मौसम में इन त्योहारों का आनंद लें

भारत को त्यौहारों का देश भी कहा जाता है जहां हर महीने हर क्षेत्र में कोई न कोई त्यौहार मनाया जाता है और जब कोई त्यौहार नहीं मनाया जा रहा होता है तो हर समाज के हिसाब से शादियां का उत्सव मनाया जाता है. उत्तर भारत में अप्रैल शुरू होते ही भीषण गर्मी का दौर शुरू हो जाता है जो जून के आखिरी सप्ताह तक रहता है. अप्रैल से शुरू होने वाली गर्मी धीरे-धीरे तेज होती जाती है और जून के मध्य तक झुलसाने लग जाती है. गर्मी के मौसम सब कुछ थम सा जाता है.
जुलाई के पहले सप्ताह तक पूरे उत्तर भारत में मानसून एक नई उम्मीद बनकर छा जाता है. बारिश की पहली बूंद पूरे वातावरण को एक नई ऊर्जा देती है. फिर चाहे वो पेड़-पौधे हों, पशु-पक्षी हों या फिर हम इंसान. यह नई ऊर्जा हमें नई खुशियां मनाने के लिए प्रेरित करती है. हमारे देश में मानसून के दौरान कई त्यौहार मनाए जाते हैं, लेकिन इस कड़ी में हम केवल उत्तर भारत के त्यौहारों के बारे में बात करेंगे. आइए एक नजर डालते हैं मानसून के मौसम में उत्तर भारत में मनाए जाने वाले त्यौहारों पर.
हरियाली तीज: भारत में मानसून के त्योहारों की शुरुआत तीज से होती है जिसे हरियाली तीज भी कहा जाता है. हरियाली तीज का त्योहार राजस्थान, गुजरात, मध्य प्रदेश, उत्तर प्रदेश, छत्तीसगढ़ में बड़ी धूमधाम से मनाया जाता है. इस अवसर पर महिलाएं रात में उपवास रखती हैं और पूजा-अर्चना करती हैं. वहीं ग्रामीण इलाकों में रहने वाली महिलाएं बड़े पेड़ों की शाखाओं पर झूला झूलती हैं और लोकगीत गाकर मानसून का आनंद लेती हैं. हरियाली तीज का त्योहार भगवान शिव-पार्वती के आत्मीय रिश्ते के रूप में मनाया जाता है. इस हरियाली तीज उत्सव के अवसर पर विवाहित महिलाएं हरे रंग के कपड़े और आभूषण पहनती हैं और देवी पार्वती से अपने सुखी वैवाहिक जीवन का आशीर्वाद मांगती हैं.
आजादी का पर्व: हर साल 15 अगस्त को आजादी का राष्ट्रीय पर्व स्वतंत्रता दिवस पूरे भारत में बड़ी धूमधाम से मनाया जाता है. 15 अगस्त एक राष्ट्रीय पर्व है, इसीलिए देश के सभी जाति, धर्म और संप्रदाय के लोग इस पर्व को बड़े उत्साह के साथ मनाते हैं. राजधानी दिल्ली और उसके आसपास के इलाकों में सभी लोग मिलकर पतंग उड़ाते हैं. गौरतलब है कि हमारा देश 15 अगस्त 1947 को आजाद हुआ था और साल 2024 में हम आजादी का 78वां स्वतंत्रता दिवस मना रहे हैं. 15 अगस्त यानी आजादी का पर्व भी मानसून की रिमझिम फुहारों के बीच मनाया जाता है. इस मौके पर प्रधानमंत्री दिल्ली के लाल किले से ऐतिहासिक भाषण देते हैं.
रक्षा बंधन: भारत का एकमात्र ऐसा त्योहार जो भाई-बहन के रिश्ते को मजबूत करता है. रक्षा बंधन का त्योहार भी पूरे देश में एक साथ मनाया जाता है, जो हिंदू महीने सावन के आखिरी दिन मनाया जाता है. यह त्योहार मानसून के मौसम का भी एक महत्वपूर्ण त्योहार है. इस दिन पूरे बाजार में भाई-बहनों को नए कपड़ों में घूमते देखे जा सकता है. जहां एक तरफ भाई की कलाई पर रंग-बिरंगी राखियां और माथे पर लाल टीका नजर आता है, वहीं दूसरी तरफ बहन के चेहरे पर भाई को राखी बांधने की खुशी साफ झलकती है. रक्षा बंधन से जुड़ी सबसे लोकप्रिय कहानी भगवान कृष्ण और द्रौपदी की है.
जब भगवान कृष्ण ने शिशुपाल को मारने के लिए सुदर्शन चक्र का इस्तेमाल किया, तो चक्र से उनकी उंगली कट गई और उंगली से खून बहता देख वहां मौजूद द्रौपदी ने अपनी साड़ी फाड़कर उनकी उंगली पर बांध दी, जिससे खून बहना बंद हो गया. इसके बाद भावुक हुए भगवान कृष्ण ने द्रौपदी को वचन दिया कि वे हमेशा द्रौपदी की रक्षा करेंगे. जब दुर्योधन और दुशासन द्रौपदी की साड़ी खींचने लगे तो भगवान श्री कृष्ण ने द्रौपदी को दिया वचन निभाते हुए उनकी रक्षा की थी. रक्षा बंधन का त्यौहार पूरे भारत में बहनों की रक्षा के त्यौहार के रूप में जाना जाता है. इस अवसर पर जहां बहनें अपने भाई की कलाई पर राखी बांधती हैं, वहीं भाई भी अपनी बहनों की रक्षा करने के वचन के साथ उन्हें कुछ उपहार भी देते हैं, जिससे बहनें बेहद खुश होती हैं.
कृष्ण जन्माष्टमी: यह भी उत्तर भारत का एक महत्वपूर्ण त्योहार है. जन्माष्टमी को भगवान विष्णु के अवतार भगवान श्री कृष्ण के जन्म के रूप में मनाया जाता है. जन्माष्टमी का त्योहार भाद्रपद की अष्टमी की रात्रि को मनाया जाता है. हिंदू धर्म के अनुसार भगवान कृष्ण ने माता देवकी की आठवीं संतान के रूप में जन्म लिया था. जो अपने मामा कंस की मृत्यु का कारण बनने वाले थे. इसलिए कंस अपनी बहन देवकी को मारने के लिए उठा, लेकिन देवकी के पति वासुदेव ने कंस को यह कहकर रोक दिया कि वह अपनी सभी संतानों को कंस को सौंप देंगे.
लेकिन वासुदेव और देवकी को एक दिव्य रूप में आठवें बच्चे के जन्म के बारे में पता चल गया. तब वासुदेव ने अपने आठवें बच्चे को एक टोकरी में रखकर भारी वर्षा में भीगते हुए गोकुल तक लेकर गए, और वापसी में नंद और यशोदा की बेटी को कोठरी टोकरी में लेकर आ गए. कंस वासुदेव और देवकी के कारागार के पास आया और नन्ही योगमाया को मारने के लिए उठा. इतने में वह पुत्री आठ भुजाओं वाली देवी के रूप में बदल गई, और कंस से बोली, मूर्ख, तुम्हारा संहारक कहीं और जन्म ले चुका है. यह कहकर वह गायब हो गई. कृष्ण जन्माष्टमी को पूरे देश में भगवान कृष्ण के जन्मदिन के रूप में मनाया जाता है.
जन्माष्टमी का मुख्य त्योहार भगवान श्री कृष्ण की जन्म स्थली मथुरा में मनाया जाता है. इस अवसर पर पूरे 10 दिनों तक भजन, कीर्तन के साथ-साथ रासलीला के साथ प्रवचन का आयोजन किया जाता है, और मथुरा के बाजार और मंदिरों विशेष रूप से सजाया जाता है.
गणेश चतुर्थी : मानसून के मौसम के प्रमुख त्योहारों में से एक त्योहार है. गणेश चतुर्थी का त्योहार भगवान गणेश को समर्पित है, जिनकी पूजा हिंदू समाज में समृद्धि और बुद्धि के लिए होती है. गणेश चतुर्थी की शुरूआत हिंदू महीने भाद्रपद की 4 तारीख से होती है जो की अंग्रेजी के महीने की सितंबर के महीने में मनाया जाता है. गणेश चतुर्थी हिंदू-महाराष्ट्रियन समुदाय हर्षोल्लास से मनाता है. उस दौरान ढोल- नगाड़ों के साथ भगवान गणेश की छोटी-बड़ी मूर्तियों को लोग अपने घर में लाते है और पूजा-अर्चना कर सुख समृद्धि का कामना करते हैं. इस दौरान भगवान गणेश का सामने फल और मिठाई का प्रसाद चढाते हैं. इस दौरान भगवान गणेश के भक्त उनकी 1 से लेकर 10 दिनों तक पूजा करते हैं.
गणेश चतुर्थी: यह मानसून के मौसम के प्रमुख त्योहारों में से एक है. गणेश चतुर्थी भगवान गणेश को समर्पित है, जिनकी हिंदू समाज में समृद्धि और बुद्धि के लिए पूजा की जाती है. गणेश चतुर्थी हिंदू महीने भाद्रपद की 4 तारीख से शुरू होती है, जो अंग्रेजी में सितंबर के महीने में मनाया जाता है. गणेश चतुर्थी का त्योहार हिंदू-महाराष्ट्रीयन समुदाय द्वारा बहुत खुशी के साथ मनाया जाता है. इस दौरान श्रद्धालु भगवान गणेश की छोटी और बड़ी मूर्तियों को ढोल-नगाड़ों के साथ अपने घरों में लाते हैं, और सुख-समृद्धि की प्रार्थना करते हैं. इस दौरान भगवान गणेश को प्रसाद के रूप में फल और मिठाइयाँ चढ़ाई जाती हैं. भगवान गणेश के भक्त 1 से 10 दिनों तक उनकी पूजा अपने घरों में करते हैं. और धूमधाम से उनका विसर्जन करते हैं.

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