उन्नाव रेप केस: CRPF सुरक्षा हटाने की केंद्र की मांग, SC ने पीड़िता और उसके परिवार से मांगा जवाब
केंद्र सरकार ने उन्नाव रेप केस की पीड़िता और उसके परिवार को मिली सीआपीएफ की सुरक्षा वापस लेने के लिए सुप्रीम कोर्ट से इजाजत मांगी है. केंद्र सरकार के वकील ने कहा है कि पीड़िता और उसके परिवार के सदस्यों पर खतरे के आकलन के अनुसार सुरक्षा की आवश्यकता नहीं है. केंद्र सरकार की अर्जी पर कोर्ट ने पीड़िता और उसके परिवार के सदस्यों से जवाब मांगा है. इस मामले में दोषी कुलदीप सिंह सेंगर उम्रकैद की सजा काट रहा है.
पीड़िता और अन्य की जान को खतरे का संज्ञान लेते हुए सुप्रीम कोर्ट ने 1 अगस्त 2019 को सीआरपीएफ की सुरक्षा उपलब्ध कराने का आदेश दिया था. जस्टिस बेला एम त्रिवेदी और जस्टिस सतीश चंद्र शर्मा की पीठ ने मंगलवार को केंद्र की याचिका की प्रति पीड़िता और उसके परिवार के सदस्यों को देने के लिए कहा है. कोर्ट ने यह भी कहा कि शायद ही किसी खतरे की आशंका है तो वह इस मामले को बंद करना चाहेगी.
सुरक्षा की आवश्यकता नहीं है: केंद्र
इस पर केंद्र के वकील ने कहा कि पीड़िता और उसके परिवार पर खतरे के आकलन के अनुसार सुरक्षा की आवश्यकता नहीं है. उत्तर प्रदेश सरकार की ओर से पेश वकील रुचिरा गोयल ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद मुकदमे समेत सब कुछ दिल्ली की अदालत को सौंपा जा चुका है. पीठ ने पूछा कि पीड़िता अभी कहां रहती है. इस पर उन्होंने बताया कि वो और उसका परिवार दिल्ली में रहता है.
CRPF को इस जिम्मेदारी से हटने की अनुमति मिले
सुप्रीम कोर्ट ने 14 मई को केंद्र सरकार से कहा था कि वो उन्नाव रेप केस की पीड़िता, उसके परिवार के सदस्यों और वकीलों को 2019 के उसके आदेश के तहत दी की गई सुरक्षा वापस लेने के लिए अलग से एक याचिका दायर करे. केंद्र सरकार की ओर से कहा गया था कि पीड़िता और अन्य को दिल्ली या उत्तर प्रदेश पुलिस सुरक्षा प्रदान कर सकती है. इस जिम्मेदारी से सीआरपीएफ को हटने की अनुमति दी जाए.
सुप्रीम कोर्ट ने उन्नाव रेप कांड के संबंध में दर्ज सभी 5 मामलों को 2019 में लखनऊ की कोर्ट से दिल्ली की एक अदालत में ट्रांसफर कर दिया था. केस की सुनवाई दैनिक आधार पर करने और 45 दिन में पूरा करने के निर्देश दिए थे. कोर्ट ने यूपी सरकार को भी निर्देश दिया था कि वह अंतरिम मुआवजे के रूप में पीड़िता को 25 लाख रुपये दे.