उपचुनाव: लोकसभा की जीत से गदगद समाजवादी पार्टी का ‘3K’ वाला जाल भेद पाएगी बीजेपी?
लोकसभा चुनाव में 37 सीटें जीतने के बाद समाजवादी पार्टी गदगद है. वहीं 33 सीटों पर सिमटने वाली बीजेपी चिंतित है. खुशी और नाखुशी के बीच अब उपचुनाव की बारी है. यूपी की 10 विधानसभा सीटों पर उपचुनाव होने हैं, जिसमें से 5 पर एनडीए और 5 पर सपा का कब्जा है. इन 10 सीटों में से तो 3 सपा के किले के तौर पर जानी जाती हैं. ये सीटें हैं करहल, कुंदरकी और कटेहरी. इसे अगर सपा का 3K वाला जाल कहें तो गलत नहीं होगा. अब सवाल उठता है कि क्या बीजेपी अखिलेश के इस जाल को छेद पाएगी.
करहल से सपा प्रमुख अखिलेश यादव विधायक थे. वह अब सांसद बन गए हैं. वहीं, कटहरी अंबेडकरनगर की सीट है. यहां से सपा के लालजी वर्मा विधायक थे. वह अंबेडकरनगर लोकसभा सीट से सांसद बन गए हैं. जबकि, कुंदरकी सीट मुरादाबाद के अंतर्गत आती है. ये मुस्लिम बहुल है. जियाउर रहमान वर्क यहां से विधायक थे, लेकिन इस बार संभल लोकसभा सीट से जीतकर वह सांसद बन गए हैं.
यादव बहुल सीट है करहल
मैनपुरी जिले की करहल विधानसभा सीट यादव बहुल है. यहां सर्वाधिक सवा लाख यादव मतदाता हैं. ऐसे में यहां सपा हमेशा जातिगत कार्ड ही खेलती रही. यादव उम्मीदवार को करहल के सियासी मैदान में उतारकर सपा यहां जीत हासिल करती रही. जातिगत गणित से हर बार करहल की सियासत सपा के अनुकूल रही. इसी के चलते ही अखिलेश यादव ने 2022 में अपने लिए यह सीट चुनी थी.
करहल विधानसभा सीट पर करीब तीन लाख मतदाता है, जिसमें सबसे बड़ी यादव समुदाय की है. उसके बाद शाक्य समुदाय के वोटर 35 हजार है. इसके बाद पाल और ठाकुर समुदाय के 30-30 हजार वोट हैं. दलित समुदाय करीब 40 हजार है तो मुस्लिम 20 हजार, ब्राह्मण 15 हजार, लोध और वैश्य 15-15 हजार हैं. 2022 के विधानसभा चुनाव में करहल के सियासी समीकरण को देखते हुए बीजेपी ने केंद्रीय मंत्री एसपी सिंह बघेल को अखिलेश यादव के खिलाफ उतारा था. एसपी सिंह बघेल को 67 हजार 504 मतों से हराया था.
कुंदरकी की कहानी भी समझिए
2022 में कुंदरकी विधानसभा सीट से चुनाव जीतकर सपा के जियाउर्रहमान बर्क विधायक बने थे. पार्टी ने लोकसभा चुनाव लड़ाया और इसमें भी वह जीत दर्ज किए. वह अब संभल सीट से सांसद बन गए हैं. उनके विधायक पद से इस्तीफा देने के बाद कुंदरकी विधानसभा सीट पर अब उपचुनाव होना है. यह मुस्लिम बहुल सीट है. यही वजह है कि यहां पर अब तक सपा और बसपा को ही जीत मिलती आई है. 2012, 2017 और 2022 के चुनाव में यहां पर सपा ने जीत दर्ज की थी. वहीं, 2007 के चुनाव में बसपा तो 2002 के चुनाव में सपा को जीत मिली थी. बीजेपी को इस सीट पर सिर्फ एक चुनाव में ही जीत मिली है. वो था 1993 का चुनाव. सीवी सिंह तब यहां के विधायक बने थे.
कटेहरी का समीकरण
कटेहरी अंबेडकरनगर जिली की विधानसभा सीट है. कटेहरी विधानसभा सीट पर भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) को बस एक चुनाव में जीत मिली है. 1991 के विधानसभा चुनाव में उसे जीत नसीब हुई थी. 1991 के बाद हुए छह में से पांच बार इस सीट पर बसपा के उम्मीदवारों को ही जीत मिली है. चुनावी अतीत की बात करें तो इस सीट से 1977 और 1985 में जनता पार्टी, 1989 में जनता दल के टिकट पर रवींद्र नाथ तिवारी विधायक निर्वाचित हुए थे. 1991 में बीजेपी के अनिल कुमार तिवारी जीते थे.
कटेहरी विधानसभा सीट से 1993 में पहली दफे बसपा के उम्मीदवार को जीत मिली और तब पार्टी के रामदेव वर्मा विजयी रहे थे. इसके बाद 1996, 2002 और 2007 में लगातार तीन दफे बसपा के धर्मराज निषाद जीते. 2012 में बसपा की जीत के सिलसिले पर समाजवादी पार्टी (सपा) ने ब्रेक लगाया. 2012 के चुनाव में सपा के शंखलाल मांझी कटेहरी सीट से जीतकर विधानसभा में पहुंचे.
कटेहरी विधानसभा सीट से 2017 के विधानसभा चुनाव में बसपा के टिकट पर लालजी वर्मा विधायक निर्वाचित हुए. लालजी वर्मा ने बीजेपी के अवधेश कुमार द्विवेदी को 6287 वोट के अंतर से हरा दिया था. सपा के जयशंकर पांडेय तीसरे स्थान पर रहे थे. वहीं, 2022 के चुनाव में लालजी वर्मा सपा के टिकट पर चुनाव लड़े और विधायक बने.