उल्टा चोर कोतवाल को डांटे! हिंदुओं के खिलाफ हिंसा पर बांग्लादेश के विदेश मंत्री का बेतुका बयान
बांग्लादेश में आरक्षण विरोधी आंदोलन के बीच शेख हसीना सरकार का तख्तापलट हुआ. इस दौरान हिंदुओं और अल्पसंख्यकों के खिलाफ भी हिंसा की कई घटनाएं दर्ज की गईं. लेकिन अब बांग्लादेश के विदेश मंत्री हिंदुओं के खिलाफ हिंसा को नकार रहे हैं.
बांग्लादेश के विदेश मंत्री तौहीद हुसैन ने बांग्लादेश में हुई अल्पसंख्यकों और हिंदुओं के खिलाफ हिंसा की घटनाओं को नकारते हुए उल्टा भारतीय मीडिया पर आरोप मढ़ दिया है. उन्होंने कहा है कि भारतीय मीडिया को इस तरह के मुद्दों को बढ़ा-चढ़ाकर पेश करने से बाहर आना चाहिए.
बांग्लादेश के विदेश मंत्री का बेतुका बयान
दरअसल बांग्लादेश के विदेश मंत्री तौहीद हुसैन से न्यूयॉर्क में पूछा गया कि मोहम्मद यूनुस की अध्यक्षता वाली अंतरिम सरकार अल्पसंख्यकों और हिंदुओं पर हो रहे हमलों को लेकर क्या कर रही है तो उन्होंने इसे खारिज कर दिया. तौहीद हुसैन ने कहा कि, ‘यह सच है कि हिंसा की कुछ घटनाएं हुईं हैं, लेकिन हिंसा की किसी भी घटना को हिंदुओं के खिलाफ हिंसा के तौर पर दिखाना, यह सही नहीं है.’ उन्होंने कहा है कि, ‘मुझे लगता है भारतीय मीडिया को इस तरह के मुद्दों को बढ़ा-चढ़ाकर पेश करने से बाहर आना चाहिए. हम अपने नागरिकों की सुरक्षा के लिए हरसंभव प्रयास कर रहे हैं और बांग्लादेश के हिंदू भी हमारे नागरिक हैं. हम उनका भी ख्याल रख रहे हैं.’
तख्तापलट के बाद हिंदुओं पर हुए हमले
बांग्लादेश के विदेश मंत्री भले ही हिंदुओं के खिलाफ हिंसा को नकार रहे हों लेकिन शेख हसीना सरकार के तख्तापलट के बाद वहां अल्पसंख्यकों और हिंदुओं के खिलाफ जमकर हिंसा हुई थी. जून के अंत में आरक्षण के खिलाफ शुरू हुआ आंदोलन अचानक शेख हसीना की सरकार के विरोध में हिंसक हो गया. मजबूरन शेख हसीना को कुर्सी छोड़नी पड़ी. उनके इस्तीफे के बाद बांग्लादेश में हिंसा का नया दौर शुरू हो गया, जिसमें अल्पसंख्यकों और हिंदुओं को निशाना बनाया जाने लगा.
5 अगस्त को जब शेख हसीना ने प्रधानमंत्री पद से इस्तीफा देकर देश छोड़ दिया था, इसके बाद करीब एक हफ्ते में ही हिंदुओं और अल्पसंख्यकों के खिलाफ 205 हिंसा की घटनाएं सामने आईं थीं. 13 अगस्त को अंतरिम सरकार के मुखिया मोहम्मद यूनुस ने राजधानी में ढाकेश्वरी मंदिर का दौरा कर हिंदू समुदाय के लोगों से मुलाकात की थी. उनके इस दौरे को हिंदू समुदाय के बीच भरोसा पैदा करने के प्रयास के तौर देखा गया था, लेकिन अब उनके विदेश मंत्री का यह बयान बांग्लादेश की नई सरकार की नीयत पर गंभीर सवाल खड़े कर रहा है.