एंटीबायोटिक का ज्यादा यूज इस तरह सेहत को पहुंचा रहा नुकसान, हो रहीं लाखों मौतें
एंटीबायोटिक का बढ़ता यूज देश के लिए चिंता का एक बड़ा कारण बन गया है. बीते कुछ सालों में भारत में इन दवाओं का इस्तेमाल काफी बढ़ गया है. अधिक इस्तेमाल से सेहत को भी काफी नुकसान हो रहा है. एंटीबायोटिक दवाओं के ज्यादा यूज से शरीर में मौजूद बैक्टीरिया के खिलाफ रजिस्टेंस पैदा हो रहा है. इस वजह से दवाओं का बीमारी पर असर नहीं हो रहा है और मरीजों के इलाज में समस्या हो रही है. एंटीबायोटिक का इस्तेमाल सेहत के लिए कितना खतरनाक है और ये कैसे जानलेवा बन रहा है. इस बारे में एक्सपर्ट से जानते हैं.
इंस्टीट्यूट ऑफ ह्यूमन बिहेवियर एंड एलाइड साइंस (IHBAS) की प्रोफेसर डॉ संगीता शर्मा बताती हैं कि कोविड के दौरान और उसके बाद से ही एंटीबायोटिक दवाओं का यूज काफी बढ़ गया है. सेकेंड्री इंफेक्शन की वजह से इनका यूज काफी बढ़ गया. चूंकि कई एंटीबायोटिक ओवर द काउंटर मौजूद हैं तो लोग डॉक्टर की सलाह के बिना ही इनको मेडिकल से खरीद कर खा लेते हैं. एंटीबायोटिक दवाओं का ओवर यूज और मिसयूज दोनों ही हो रहा है. इसकी वजह से शरीर पर दवाओं का असर तो हो ही नहीं रहा बल्कि, अच्छे बैक्टीरिया भी मर रहे हैं. इस कारण खराब बैक्टीरिया शरीर में फैल रहे हैं और अच्छे वालों को ओवरपावर कर हे हैं. ये सेहत के लिए अच्छा नहीं है.
एंटीबायोटिक कैसे बन रही खतरनाक?
डॉ संगीता बताती हैं कि एंटीबायोटिक दवाओं का ज्यादा यूज हो रहा है. कुछ लोग तो बिना डॉक्टरों की सलाह के इनको ले रहे हैं और ओवर यूज हो रहा है. ज्यादा एंटीबायोटिक खाने के कारण शरीर में मौजूद बैक्टीरिया इन दवाओं के खिलाफ खुद को मजबूत बना लेते हैं. बैक्टीरिया में इन दवाओं के खिलाफ रजिस्टेंस पैदा हो जाता है. यानी, बैक्टीरिया पर एंटीबायोटिक का असर होना बंद हो जाता है. ऐसे में मरीज को जब ये दवा देते हैं तो उनपर असर नहीं करती है. ऐसे में इलाज से फायदा नहीं होता है और मरीज की मौत हो जाती है. दुनियाभर में हर साल लाखों मौतें एंटीबायोटिक रजिस्टेंस के कारण हो रही हैं.
लोगों को जागरूक करने की जरूरत
डॉ संगीता बताती हैं कि एंटीबायोटिक के अधिक यूज को लेकर लोगों को जागरूक करने की जरूरत है. इसके साथ ही यह भी जरूरी है कि एंटीबायोटिक की ओवर द काउंटर सेल औप बिना डॉक्टर के प्रिसक्रिप्शन के इनको देना बंद करना चाहिए. क्योंकि एंटीबायोटिक का यूज कम होगा तो इसके रजिस्टेंस का खतरा भी कम रहेगा.